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Rajeev Tripathi

Others

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Rajeev Tripathi

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बसंत उत्सव

बसंत उत्सव

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लो फिर आया बसंत

दिलों पर छाया बसंत

पित्त वर्णा हुई धरती और

सरसों के फूल खिल आया बसंत

भंवरे की गुंजन से गूंजता

फूलों का प्यारा बसंत

लो फिर आया बसंत

दिलों पर छाया बसंत

माँ सरस्वती की होगी वंदना

चारों तरफ छाया उत्सव बसंत 

लो फिर आया बसंत

दिलों पर छाया बसंत

पीले पीले वस्त्रों की आभा

छाएगी चारों दिशा हरदम 

क्या महिला क्या पुरुष

मन रंजन करने आया बसंत

लो फिर आया बसंत

दिलों पर छाया बसंत

पित्त वर्णा होगी धरती और

होगा सारा अंबर

लो फिर आया बसंत

दिलों पर छाया बसंत

ऋतुराज है बसंत यही है

संधि काल मौसम के संग

शीत ऋतु और ग्रीष्म ऋतु का

होता अद्भुत संगम

लो फिर आया बसंत 

दिलों पर छाया बसंत 

त्योहारों का आरंभ इसी से

बदले पल पल रंग

नई कोपले फूटे प्रकृति पर

पीले पत्ते झड़ने से 

छा जाता है अद्भुत रंग

लो फिर आया बसंत

दिलों पर छाया बसंत।



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