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कर्तबगार संग स्पर्श सृष्टी धावपळ अंतर्मन काटे क्षुधा आनंद धुंद पुण्याई वृक्ष सुगंध जीव शांत विवेकबुद्धी कामातुर विषय अभिलाषा वाट

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