श्रीरंग
श्रीरंग
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प्रीत बहरली प्रीत,
प्रीत फुलली मीत
मित खुलवी रंग,
रंग झुलवी अंग ।।
अंग चोरूनी श्रीरंग
श्रीरंग लावूनी रंग,
रंग राधेसी भुलवी,
भुलवी तनू अभंग ।।
अभंग करी निःसंग,
निःसंग होऊनी संग,
संग भुलवुनी गंध,
गंध दे प्रीत सुगंध ।।
सुगंध मोहवी मन,
मन सोडवी प्राक्तन,
प्राक्तन घडवी भविष्य,
भविष्य भुलवी प्रीत ।।
