किसी फकीर की झोली में भला कब तक रह सकता है। किसी फकीर की झोली में भला कब तक रह सकता है।
मनमोहन तिवारी रेलवे स्टेशन की तरफ चल पड़ा ताकि ट्रेन पकड़ कर वापिस कानपूर जा सके। मनमोहन तिवारी रेलवे स्टेशन की तरफ चल पड़ा ताकि ट्रेन पकड़ कर वापिस कानपूर जा सके।
अतः ईश्वर को अपने भक्तों की हर बात माननी पड़ती है। अतः ईश्वर को अपने भक्तों की हर बात माननी पड़ती है।
ताकि देख सकूँ कि गुलाब का पौधा फिर से हरा हुआ कि नहीं। शायद फिर फूल खिले। ताकि देख सकूँ कि गुलाब का पौधा फिर से हरा हुआ कि नहीं। शायद फिर फूल खिले।
भले ही वह एक फकीर ही क्यों न हो,सब अपने जिंदगी के रंग में रंगे होते हैं। भले ही वह एक फकीर ही क्यों न हो,सब अपने जिंदगी के रंग में रंगे होते हैं।