जिन्हें अक्सर बड़ी खुशियों को पाने की कशमकश के बीच हम कुर्बान कर देते हैं।” जिन्हें अक्सर बड़ी खुशियों को पाने की कशमकश के बीच हम कुर्बान कर देते हैं।”
अब घर में बैठी हैं तो खुद बना खा भी नहीं सकतीं। और कितना आराम दें हम इनको।” अब घर में बैठी हैं तो खुद बना खा भी नहीं सकतीं। और कितना आराम दें हम इनको।”
जबकि उस छोटे बच्चे ने अपना हिस्सा भी ख़ुशी-ख़ुशी दूसरों को दे दिया था। जबकि उस छोटे बच्चे ने अपना हिस्सा भी ख़ुशी-ख़ुशी दूसरों को दे दिया था।
'नयी मित्र' के भी कदम जमीन पर नहीं पड़ रहे थे क्योंकि साहब जो उनके साथ थे। साहब अपने दोस्तों के बारे... 'नयी मित्र' के भी कदम जमीन पर नहीं पड़ रहे थे क्योंकि साहब जो उनके साथ थे। साहब ...