श्रेया और रोहन की "निर्जीव" आँखें अब भी ताक रही थी आकाश को। विशालकाय परिंदे अपने शिकार को खाकर उड़ चु... श्रेया और रोहन की "निर्जीव" आँखें अब भी ताक रही थी आकाश को। विशालकाय परिंदे अपने...
अब तुम्हारी बारी है......छाप दो तुम भी अपने कदमों के निशान ....जहाँ चाहो वहाँ ....! अब तुम्हारी बारी है......छाप दो तुम भी अपने कदमों के निशान ....जहाँ चाहो वहाँ .....
खोल दे पंख को ओह परिंदे, थोड़ा अपने विचारों के साथ सही पथ पर उड़ चलो खोल दे पंख को ओह परिंदे, थोड़ा अपने विचारों के साथ सही पथ पर उड़ चलो
वो हडसन नदी के इस मनोरम तट पर कहां से आया था! वो हडसन नदी के इस मनोरम तट पर कहां से आया था!
ये कहानी ..स्वर्ग की कहानी है ,परी कथा है। ये कहानी ..स्वर्ग की कहानी है ,परी कथा है।