यह सोचकर उसने सभी पंखों को उठाया और अपनी पूँछ के चारों ओर रखकर बाँध लिया यह सोचकर उसने सभी पंखों को उठाया और अपनी पूँछ के चारों ओर रखकर बाँध लिया
सुनो क्या तुम कुछ देर मेरे साथ बैठोगी यहां सुनो क्या तुम कुछ देर मेरे साथ बैठोगी यहां
आज जो भी मैं हूँ वह उस डायरी से कहीं आगे निकल चुकी हूँ आज जो भी मैं हूँ वह उस डायरी से कहीं आगे निकल चुकी हूँ
इन पंखों वाली बातों से अपने परिवार को सावधान कर दिल ही दिल खुश हैं। इन पंखों वाली बातों से अपने परिवार को सावधान कर दिल ही दिल खुश हैं।