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Garima Maurya

Children Stories Drama

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Garima Maurya

Children Stories Drama

स्वाभाविक

स्वाभाविक

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एक समय की बात है… एक नीलकंठ ने मोरों को नाचते हुए देखा। वह उनके सुंदर पंखों से मोहित हो गया। वह घूमता-घूमता मोरों के रहने की जगह पहुँचा। वहाँ उसने मोरों के ढेर सारे पंख गिरे हुए देखे। नीलकंठ ने सोचा कि यदि मैं इन पंखों को लगा लूं तो मैं भी मोरों की तरह सुंदर बन जाऊँगा।


यह सोचकर उसने सभी पंखों को उठाया और अपनी पूँछ के चारों ओर रखकर बाँध लिया। फिर ठुमकता हुआ वह मोरों के बीच पहुँचा और उन्हें घूम-घूमकर दिखाने लगा।


मोरों ने उसे पहचान लिया और चोंच से मारना शुरु कर दिया। चोंच मारने के साथ वे बँधे हुए पंखों को भी खींचते जाते थे। सारे पंख निकालकर ही वे शांत हुए।


नीलकंठ के भाई-बंधु दूर से यह तमाशा देख रहे थे। नीलकंठ दुखी मन से अपने भाई बंधु के बीच पहुँचा। सभी उससे नाराज थे उन्होंने कहा, “सुंदर पक्षी बनने के लिए मात्र सुंदर पंख आवश्यक नहीं है। ईश्वर ने सबको अलग-अलग सुंदरता दी है।”


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