हालाँकि सौंदर्य को किसी श्रृंगार की आवश्यकता कभी नहीं रही हालाँकि सौंदर्य को किसी श्रृंगार की आवश्यकता कभी नहीं रही
विशाखा की माँ और भाई आ जाने से वो स्वयं को सहज महसूस कर रही थीं। विशाखा की माँ और भाई आ जाने से वो स्वयं को सहज महसूस कर रही थीं।
जाहिल बना कर बांध दिया मेरे मत्थे। चाय बनाना तक नहीं सिखाया जाहिल बना कर बांध दिया मेरे मत्थे। चाय बनाना तक नहीं सिखाया