अब त्रिलोक के सामने एक ही रास्ता था कि अपने परिवार से इस बाबत बात करे। अब त्रिलोक के सामने एक ही रास्ता था कि अपने परिवार से इस बाबत बात करे।
लोग वास्तविकता को समझ क्यों नहीं पा रहे हैं। लकीर के फकीर बने हुए हैं। लोग वास्तविकता को समझ क्यों नहीं पा रहे हैं। लकीर के फकीर बने हुए हैं।
सर लेकिन ये अस्पताल है, यहाँ सब बराबर है। सर लेकिन ये अस्पताल है, यहाँ सब बराबर है।
अरे आज तो भगवान को भी मांग लेता तो मिल जाते अरे आज तो भगवान को भी मांग लेता तो मिल जाते