वो भूली बिसरी गलियाँ
वो भूली बिसरी गलियाँ
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वो भूली बिसरी गलियाँ, वो तेरी कहानी रह रह कर याद आ जाती है। जितना दिल से निकाल कर फेंकने की कोशिश करते है, उतनी ही और याद आती है। ये कैसा रिश्ता मेरा है तुझसे की जो टूटता ही नही। तेरी कहानियाँ तेरी महफिलें और याद आती है। अरसा गुज़र गया है हमको बिछड़े हुए फिर क्यों तू दिल से जाता नही। क्यों तेरी हर बात मेरे दिल को आज भी छू जाती है, वो भूली बिसरी गलियों में क्यों हम बार बार भटकते है। ये बात हमको हर पल परेशान करती है।