विश्वासघात [9 जून]
विश्वासघात [9 जून]
मेरी प्यारी संगिनी
आज मन थोड़ा उदास है, आसपास जब कुछ गलत होता है, तो नकारात्मक ऊर्जा हम तक भी पहुँचती है, किसी को धोखा देना, किसी के साथ विश्वासघात करना, स्वयं के साथ विश्वासघात करना है, क्योंकि दूसरों को तकलीफ़ देकर, हम कभी सुखी नहीं हो सकते, हमारा मन अशांत रहता है।
हम कहाँ पर सही हैं, और कहाँ पर ग़लत, यह सिर्फ और सिर्फ हम जानते हैं, इसीलिए जानबूझकर कभी भी किसी के साथ धोखा या विश्वासघात नहीं करना चाहिए, क्योंकि हमारा किया हुआ, हमारे पास लौट कर ज़रूर आता है।
आज का "जीवन दर्शन"
हमारा किया गया पाप और पुण्य, सूद समेत हमें एक दिन ज़रूर मिलता है, इसीलिए कोई भी कार्य यह सोच कर करें कि हम भगवान के सीसीटीवी के नज़र में हैं।
आज के लिए बस इतना ही मिलते हैं कल फिर से मेरी "प्यारी संगिनी"
