Shalini Dikshit

Others

5.0  

Shalini Dikshit

Others

व्हाट्सएप्प ज्ञान

व्हाट्सएप्प ज्ञान

3 mins
251


रिद्धिमा के दिमाग में उथल-पुथल मची हुई थी, वह बस करवटें ही बदल रही थी, नींद तो जैसे कोसों दूर हो उस से।

आखिर क्यों होता है ऐसा? क्या गलती है उसकी ? क्या उस के पति का बड़े ओहदे पर होना कोई गुनाह है ? ऐसे ही अनगिनत सवाल उसको परेशान कर रहे लेकिन एक का भी जवाब उस के पास नहीं है।

हमेशा से उसकी यही सोच रही कि घर में सब मिल-जुल कर ही रहे इसके लिए कोशिश भी करती पर कई बार लोगो को समझ नहीं पाती, वह तो यही सोचती लोगो की जुबां पर जो होता वही मन में भी होता पर अमूमन ऐसा होता नहीं है।

अभी कुछ दिन पहले ही उसकी छोटी ननद की शादी के अवसर पर सभी इकट्ठे हुए काफी धूम-धाम से किया गया सब, अच्छा खासा खर्च हुआ वैसे भी उत्तर प्रदेश के लोग तामझाम, दिखावे और आवभगत में कुछ ज्यादा ही आगे रहते है; साथ ही उस के पति की इच्छा थी कि पापा जी की आखरी जिम्मेदारी है इसलिए ननद की शादी खूब धूम धाम से ही हो, सब कुछ और हुआ भी ऐसा ही ।

रिद्धिमा ने भी अपनी तरफ से काफी चीजे दी गिफ्ट में गहनें, कपड़े और भी बहुत सी चीजें।

घर से दूर अकेले रहने के कारण उस को भी यही लगता जब जब वह घर आये तो सब जिम्मेदारी निभाये ,राहुल तो हमेशा से खुले हाथ से खर्च करते हैं , घर में इन सब में उसने बढ़ावा ही दिया कभी कोई हिसाब नहीं रखा।

शादी निपट जाने के बाद घर के बड़े बेटा, बहु गिनवा रहे थे कि मेरा पचास हजार खर्च हो गया। लेकिन हम किसी से कहते नहीं है, आखिर घर का मामला है; व्यक्तिगत क्या होता घर में रिद्धिमा कहना चाहती थी पर कहा नहीं।

ऐसा बहुत सी बातों में पहले भी होता आया है पर रिद्धिमा कभी दिमाग नहीं खराब करती अपना, बस यही सोच के चुप रहती कि वह किसी की वाह-वाही पाने के लिए कुछ नहीं करती जो भी करती है अपने पति की खुशी के लिए ही करती है, अगर वह खुश तो सब खुश।

"सुनो रिद्धिमा बाहर आओ।" राहुल ने आवाज दी।

पति की पुकार पर वह तुरन्त आ कर बोली, " हम्म ! क्या है?"

"मिल गया हिसाब।" राहुल बोले।

"अच्छा तब तो अच्छी बात है।" कह कर रिद्धिमा अंदर कमरे में चली गई।

राहुल को दस लाख का खर्च जो शादी में हुआ उस में से एक लाख का हिसाब नहीं मिल रहा था। वह इस बात में उलझा हुआ था साथ ही रिद्धिमा इस उलझन में करवटे बदल रही थी कि इतना सब करने के बाद भी राहुल का किसी की जुबां पर नाम क्यों नही था या कभी भी नाम क्यों नही होता?

मन को शांत करने के लिए वह मोबाइल ही उठा के देखने लगी की अचानक वाटस एप पर आये ज्ञान पर नजर पड़ गई।

'जब तक आप किसी को बिना मांगे सब देते रहते है तब तक कद्र नहीं होती, जब देना बन्द कर देंगे तब ही समझ आएगा।'

रिद्धिमा को आज यह ज्ञान बहुत अच्छा लगा उस ने तुरंत रिप्लाई कर दिया, "वाह लाख टके की बात कही है।"आज से उसने इसी बात पर अमल करने की ठान ली है।


Rate this content
Log in