वह अलौकिक शक्ति
वह अलौकिक शक्ति
अनुपम और उसके मित्रों का ट्रेकिंग का शौक एक दिन उन्हें इतनी बड़ी सौगात देकर जायेगा ये तो उनमें से किसी ने नहीं सोचा था। यह बारह लोगों का एक ग्रुप था जिन्हें जीवन में कुछ अलग करने की ललक दीवानगी की हद तक थी। वह रात कुछ अलग थी। सारी मित्र मंडली शाम को सुरक्षित जगह पर तम्बू गाड़ कर अलाव जला कर अगली सुबह और ऊपर चढ़ाई करने की रूपरेखा तैयार कर रही थी। खाने पीने के साथ साथ हँसी मजाक का दौर भी चल रहा था। इस मंडली की खास बात यही थी कि एक ओर यह लोग जोश से भरपूर थे और लगन से लक्ष्य हासिल करने की ओर अग्रसर रहते थे वहीं दूसरी ओर ये इतने मस्तमौला थे कि आपस में ही की गयी मस्ती इनकी सारी थकान छूमंतर कर देती थी। मंडली में लड़के लड़कियाँ दोनों ही थे और सभी में गहरी दोस्ती थी।
अनुपम का झुकाव आशी की ओर कुछ अधिक था। शायद उसे प्यार हो गया था और वह इजहार करने का अवसर तलाश रहा था।
आशी खाना खाने के बाद थोड़ा वहीं आसपास टहलना चाहती थी। उसने उठते हुये पूछा
"किसी को मेरे साथ वॉक करनी है तो आ जाओ"
अनुपम तुरन्त उठकर उसके साथ हो लिया। बातें करते हुये वह कुछ दूर निकल गये। अनुपम दिल की बात कहना ही चाहता था कि आकाश में कुछ गड़गड़ाहट सी सुनाई दी। दोनों ने ऊपर देखा तो कोई गोल बड़ी सी चीज नीचे की ओर आ रही थी।
"यह क्या है?" आशी ने हैरानी से कहा।
अनुपम कुछ कहता तब तक वह नीचे कुछ ही दूर पर आकर उतर गयी।
दोनों कुछ समझ पाते इससे पूर्व ही कुछ अलग सी दिखने वाली पाँच आकृतियाँ उसमें से बाहर निकल कर आयीं। वह धरती के मानव जैसी तो बिल्कुल भी नहीं थीं, परन्तु उनके अंग अवश्य ही पूरे थे। कान कुछ अधिक बड़े थे। आँखें एकदम गोल थीं और सामान्य से बड़ी भी। लम्बाई चार फीट से अधिक नहीं रही होगी और सब एक बराबर लम्बे भी थे। धरती के मानव से इतर एक पूँछ भी थी उनके पास। वह दोनों समझ चुके थे कि वह एलियंस से घिर चुके हैं।
अनुपम और आशी वैसे तो बहुत निडर थे परन्तु फिर भी ऐसी किसी स्थिति से कभी वास्ता नहीं पड़ा था तो जड़वत होकर वहीं खड़े रह गए। उन दोनों को देख कर वह लोग उनकी ओर बढ़े। दोनों ने भागने का प्रयत्न किया परन्तु किसी अदृश्य शक्ति ने जैसे पाँव में बेड़ियाँ डाल दी हों। पास आकर पहले तो उन्होंने आपस में कुछ बात की फिर अनुपम से कुछ पूछना चाहा।
पर अनुपम और आशी कुछ समझ नहीं सके। उनमें से एक एलियन ने आगे बढ़ कर अनुपम को घड़ी जैसी कोई चीज हाथ में पहना दी। पता नहीं कैसी तरंगें सी पहुँचने लगीं अनुपम के दिमाग में कि उसे उनकी बात समझ में आने लगी। वह इस दुनिया का नाम पूछ रहे थे। अनुपम ने तुरंत बताया कि यह पृथ्वी है। तब तक दूसरा एलियन आशी को घड़ी पहना चुका था। उसे भी अब सब समझ में आने लगा था। अनुपम ने भी उनसे उनके ग्रह का नाम पूछा जिसके जबाव में उन्होंने ग्रह का नाम झिंगाला बताया। यह नाम तो उन दोनों ने कभी सुना ही नहीं था। परन्तु आकाश में तो न जाने कितने ग्रह हैं जिनके बारे में किसी को पता ही कहाँ है? इन्हीं में से कोई झिंगाला भी होगा ही।
अनुपम ने उनसे पृथ्वी पर आने का कारण पूछा तो उन्होंने बताया कि सौरमण्डल में अपने स्पेस शिप में विचरण करते समय ये ग्रह उन्हें सदैव ही आकर्षित करता था। एक बार पहले भी वह पृथ्वी पर उतरना चाहते थे परन्तु डर और संकोचवश नहीं उतरे। परन्तु आज यहाँ सुनसान जगह पर कुछ हलचल दिखाई दी तो उन्होंने आज यह फैसला ले लिया। आशी और अनुपम का डर दूर हो चुका था क्योंकि यह लोग खतरनाक नहीं लग रहे थे। वह इन्हें अपने मित्रों से मिलवाने ले गये। सभी मित्र कुछ पल को सहमे परन्तु जल्दी ही माहौल सहज हो गया। उन्हें भी घड़ी पहना दी गयी। उन सब को अपनी आँखों पर विश्वास ही नहीं हो रहा था कि वह दूसरी दुनिया के लोगों से मिले हैं और उनसे बात भी कर पा रहे हैं।
एलियंस ने पृथ्वी के किसी बड़े नगर को देखने की इच्छा जताई परन्तु अनुपम और उसके मित्रों को इससे उनकी सुरक्षा पर मंडराता खतरा दिख रहा था। किन्हीं गलत हाथों में पड़ने से वह लोग उन्हें बचा भी लेंगे पर कोरोना ने यदि संक्रमित कर दिया तब तो ये घातक वायरस दूसरे ग्रह को भी चपेट में ले लेगा। उन्होंने एलियंस को कोरोना के बारे में विस्तार से समझाया कि किस प्रकार हम सभी पृथ्वी वासी पिछले डेढ़ बरस से इस खतरनाक बीमारी से जूझ रहे हैं। कितने ही स्वजनो को तो हमने खो ही दिया है। यह सुनकर उन्होंने बताया कि उनके यहाँ तो ये वायरस आदि कब का अतीत बन चुके हैं। फिर भी यदि अनुपम और उसके मित्र इसे ठीक नहीं समझ रहे तो वह लोग भी किसी तरह का खतरा नहीं मोल लेंगे। लिहाजा इस यात्रा में पृथ्वी घूमने का इरादा एलियंस ने छोड़ दिया। इस बार उन्होंने अनुपम से पूछा कि उनके स्पेस शिप में दो लोगों की जगह खाली है। क्या कोई दो लोग उनके ग्रह पर चल कर उसे देखना चाहते हैं? एक बार तो वहाँ चुप्पी पसर गयी। सभी ये मौका हाथ से जाने भी नहीं देना चाहते थे और हिम्मत भी नहीं जुटा पा रहे थे कि कहीं सदा के लिए वहीं न रह जायें। कहीं स्पेस शिप वापस छोड़ने ही नहीं आया तो?
परन्तु अनुपम घड़ी पहनने के बाद जितना उनके दिमाग को पढ़ पाया था उसे किसी प्रकार का कोई खतरा नहीं दिखाई दे रहा था और उसका मन झिंगाला पर जाने के लिये मचल रहा था। उसने कहा
"मैं चलना चाहता हूँ, परन्तु हम कितने दिनों में वापस आ पायेंगे?"
"तीन महीने से पहले तो आना असम्भव होगा, यद्यपि हमारी गति बहुत तेज है फिर भी"
उनमें से एक बोला।
"मैं तुम्हें अकेले तीन महीने के लिए इतनी दूर नहीं भेज सकती। मैं भी साथ चलूँगी।"
आशी के ऐसा कहते ही अनुपम का दिल बल्लियों उछलने लगा। अब तो यात्रा का रोमांच अचानक बढ़ गया था।
तय हुआ कि इस बारे में किसी को बताना नहीं है। यहाँ तक कि अनुपम और आशी के घरवालों को भी यही बताना है कि वह किसी मिशन पर गये हैं। तीन महीने बाद वापसी के लिए यही स्थान तय किया गया। सभी मित्रों से विदा लेकर वह दोनों झिंगाला के लिये रवाना हो गये। वहाँ पहुँच कर दोनों का भव्य स्वागत किया गया। अनुपम और आशी ने उन लोगों के साथ अनेक विद्या और गुणों का आदान प्रदान किया। वहाँ पर विज्ञान पृथ्वी से कई गुना आगे था, परन्तु आध्यात्म की दृष्टि से वह लोग शून्य थे। इन दोनों ने उन्हें वह भी सिखाया और हमारी संस्कृति के बारे में विस्तार से बताया। वहाँ के लोग दोनों से अत्यंत प्रभावित व प्रसन्न भी हुये। तीन महीने पश्चात जब अनुपम और आशी वापस लौटे तो उनके पास अलौकिक शक्तियाँ थीं। सारी मित्रमंडली उनके स्वागत में पलकें बिछाये मौजूद थी। एलियंस विदा लेकर वापस लौट गये। इसके कुछ ही दिनों के पश्चात कोरोना अचानक पूरी पृथ्वी से विलुप्त हो गया। कोई नहीं समझ पाया यह चमत्कार आखिर हुआ कैसे! जब भी कोई इस बात का जिक्र छेड़ता, अनुपम और आशी मंद मंद मुस्कुराते क्योंकि सिर्फ वह दोनों ही जानते थे कि यह तो एलियंस द्वारा दी गयी शक्तियों के प्रयोग से ही सम्भव हो सका है।
