STORYMIRROR

Lokanath Rath

Others

3  

Lokanath Rath

Others

वचन (भाग -आठवी )...

वचन (भाग -आठवी )...

5 mins
340


अशोक अपने गाने का अभ्यास करने रिकॉर्डिंग स्टूडियो पहुँच गया । वहाँ वो निर्देशक जी के बोलते हुए बातों पे ध्यान देकर अभ्यास करने लगा । तीन चार घंटे अभ्यास करने के बाद उसका पहेला गाना का रिकॉर्डिंग शुरू हुई ।उसने अपनी माँ और पिता जी को मन से प्रणाम करके गाना गाया और पुरे गाने का रिकॉर्डिंग ख़तम किया । जब अशोक उसका रिकॉर्डिंग ख़तम करके बाहर आया तो सब उसको बहुत ख़ुश होकर तारीफ करने लगे । फिर वो थोड़ी डेर बाद अपने रूम मे पहुँच गया । तब उसका फोन का घंटी बजा ।वो उठाया तो उस पार से देश का नामी म्यूजिक कम्पनी "सरगम " से फोन था ।वो लोग अशोक के साथ एक बड़े काम के लिए मिलने को बुलाए ।शाम को उसे सरगम के दप्तार जाना होगा, उसके लिए वो हाँ भर दिआ । अशोक खाना खाकर थोड़ा आराम करने के बाद तैयार होकर सरगम के दप्तार के लिए निकल गया । वहाँ पहुँचने के बाद उसको कम्पनी के मुख्य अजित कुमार जी के पास लेगये । उनको देखकर अशोक को उसका पहेला प्रतियोगिता याद आगया, जिसमे वो दशवी पढ़ने के समय भाग लिआ था और जीता भी था । वो आन्त बिद्यालय सर्ब भारतीय स्तर का प्रतियोगिता था ।उसके तीन बिचारक थे और अजित कुमार जी उनमे से एक थे ।अशोक को याद है उस दिन उसका गाना सुनके अजित कुमार जी उसको बोले थे, "आप के बहुत सुन्दर गला है और आप बहतिरिन गाते हों ।अपनी रियाज करते रहेना ।मे आपको वचन देता हूँ जब मुझे मौका मिलेगा तब मे आप के साथ बहुत गाना बनाऊंगा ।" तब आशीष उनको प्रणाम करके उनकी आशीर्वाद लिआ था।उन दिन अजित कुमार जी एक अच्छे संगीतकार के रूप मे जाने जाते थे और उनकी ये कम्पनी सरगम उन दिन सुरु हुआ था ।अशोक का सोच को बिराम देते हुए अजित कुमार बोले, "आप वही आन्त बिद्यालय प्रतियोगिता जितनेवाले अशोक हो ना? मैं आपका यहाँ कुछ लोकल कार्यक्रम देखा हूँ, मुझे आपकी गला और गाने का कला बेहद पसन्द है ।अब मैं चाहता हूँ की आप हमारे कम्पनी के लिए गाना गईए ।हम एक शाल के लिए आपके साथ कॉन्ट्रैक्ट करंगे और उस एक शाल मे कमसे काम पचास गाना आपसे गवाएंगे । ये सब की एल्बम बनेगा । उसके साथ जब कोई सिनेमा का हमें संगीत देना होगा, उसमे भी आपको मौका मिलेगा । आप अगर हाँ करंगे तो कुछ समय मे आप के साथ हम कॉन्ट्रैक्ट करलेंगे ।" अशोक बहुत ख़ुश होगया और हाँ भर दिआ । एक घंटे बाद उसके सामने कॉन्ट्रैक्ट के कागज रखा गया ।अशोक उसको पढ़कर दस्तखत करदिए । जब वो वहाँ से निकलने के उठा तो अजित कुमार जी उसको पचीस लाख के एक चेक अग्रिम राशि के तौर दिए कॉन्ट्रैक्ट के हिसाबसे । उनको धन्यवाद देकर उसका रिकॉर्डिंग का तारीख लेकर अशोक अपनी कमरे मे आगया । वो बहुत ख़ुश था ।उसका मन कर रहा था की वो अपनी माँ को पहेले आज की दोनों ख़ुश खबर सुनाएगा । बहुत सोचा, फिर डर डर के वो अपनी माँ सुजाता को फोन किआ ।समय रात का आठ बज चूका था । सुजाता देबी जब देखे अशोक का फोन है, वो तुरन्त फोन उठा लिए । अशोक कुछ समय रहकर रोते हुए धीरे से बोला, "माँ, मे.. मे.. अशोक बोल रहा हूँ । आप कैसी हों? मे मेरी जिन्देगी का पहेला कामियाबी के के बारे मे पहेले आपको बताने फ़ोन किआ ।" तब अशोक को सुचित्रा की रोने की आवाज सुनाई दिए । अशोक भी खुद रो रहा था ।उसे लगा सायद कुछ गड़बड़ है ।तब सुचित्रा ने रोते हुए बोले, "आज इतने दिनों के बाद तुझे माँ याद आयी । मे घुसे मे तुझे उसदिन बोल दि और तू चला गया । हर रोज तुझे याद करके मे मर मर के जी रही हूँ । तू ठीक है ना बेटा? ठीक से खाना खाता है तो? सुना है अब तू मुम्बई मे रहेता है । बचपन मे तू जब भी कुछ कमियाबी हासिल करता था तो दौड़के मेरी पास आकर बोलता था ।मुझे बहुत सुकून मिलता था । अब भी तू तेरे काम पे कामियाब हुआ और मुझे पहेले बता रहा है । मे क्या करूँ बेटा? तेरे पिता जी को मे बचन दिआ हूँ और उसका पालन कर रहा हुँ । तुम से दूर रहेके मे कैसे जी रहा हूँ, ये कोई नेहीँ समझेगा ।अब बोल बेटा ।तू कभी रोना नेहीँ, तेरे माँ अभी भी जिन्दा है ।बोल बेटा ।" तब अशोक अपनी आँखों से आँशु पोछके बोला, "माँ,मे आज एक हिन्दी सिनेमा के लिए मेरा पहेला गाना रिकॉर्डिंग किआ और आज संगीतकार अजित कुमार जी के कम्पनी सरगम के साथ पचास गाने का कॉन्ट्रैक्ट भी किआ । बस ये सब तुम्हारे और पिताजी के आशिर्बाद के लिए सम्भव हुआ ।" ये सुनकर सुचित्रा बहुत ख़ुश होगए ।उनको उसमे उनकी पति अरुण कुमार की छवि दिखाई दिए, जो अपने खुद की मेहनत से कामियाबी हासिल किए थे । फिर सुजाता ने बोली, "मे बहुत ख़ुश हूँ बेटा ये सुनकर । तू और भी कामियाबी हासिल कर ये उपरवाले से भिक मांगती हूँ । तू एक बार आकर मेरी गले तो लग जा बेटा । मे वहुत तड़प रही हुँ ।क्या करूँ माँ हूँ ना । मानता हुँ बचन के खातिर तू घर नही आएगा, पर और कहीं पे तो मुझसे मिल ले ।और ये घर से मे बोली थी तुझे जानेके लिए, अब मे बोलती हूँ अब तो घर आजा ।"ये बोलकर सुजाता रोने लगी । अशोक को अपनी माँ की रोना बहुत दुःखी करदिए । वो बोला,"माँ, मे जरूर आकर तुमसे मिलूंगा । तुमको मे कैसे भूल सकता हूँ? आप तो मेरी भगबान हों ।अभी आप भी रोना बन्द कर दीजिए । मे अभी फोन रखता हूँ ।" फिर अशोक फोन रख दिए ।


सुजाता फोन रखकर अरुण बाबू के तस्वीर के पास गयी और उनको बोली, "सुनिए, हमारा अशोक आज उसके संगीत साधना का पहला कामियाबी हासिल किया है । उसे भी आप आशीर्वाद दीजए ।वो अपनी और मेरी वचन के खातिर अभी दूर हो गया है पर मुझे पहेले अपनी कामियाबी के बारे मे बताया ।मे उसका माँ हुँ, पर उसको बहुत दिन होगया जीभर के देखे नहीं ।बोला है अब आएगा, उसका दिए हुए वचन जरूर निभाएगा ।"



Rate this content
Log in