Dhan Pati Singh Kushwaha

Children Stories Inspirational

4  

Dhan Pati Singh Kushwaha

Children Stories Inspirational

वैश्विक महामारी कोरोना के दो पक्ष

वैश्विक महामारी कोरोना के दो पक्ष

4 mins
686


" इस संसार में ईश्वर इच्छा के बिना पत्ता भी नहीं हिलता और ईश्वर तो सदा ही शुभ करता है । ऐसा इन दो कहावतों के माध्यम से समाज में संदेश दिया गया है। पहली बात का तो कोई प्रमाण नहीं मिल सकता कि जो पत्ता हिला उसमें ईश्वर की इच्छा शामिल थी या नहीं क्योंकि ईश्वर के विषय में जानकारी विश्वास रखना अंतर्मन की बात है।पर दूसरी बात में जरा सा भी दम नहीं है क्योंकि इस वैश्विक महामारी कोरोना में लाखों की संख्या में लोग असमय काल के गाल में समा गये। कितने लोग अपने बच्चों को अनाथ और असहाय स दुनिया में अकेला छोड़ गए । बहुत से युवा लोग जो अपने बुजुर्ग मां-बाप के कंधे की लाठी के समान थे उनकी असमय मृत्यु से अंधे की लाठी गायब हो गई। क्या यह सब कुछ ईश्वर की इच्छा का और शुभ माना जा सकता है? "- जिज्ञासा ने पूरी कक्षा के सामने यह यक्ष प्रश्न रखा।


सभी एक-दूसरे का मुंह ताकते रहे कि कोई कुछ बोले।कुछ क्षणों की प्रतीक्षा के उपरांत जिज्ञासा की जिज्ञासा को शांत करते हेतु आकांक्षा अपने विचार व्यक्त करती हुई आकांक्षा बोली- " पहले इस संसार में सब अपने स्तर से सर्वश्रेष्ठ प्रयास भी करते हैं और सब ही अपना सर्वश्रेष्ठ प्रयास करने का दम भी भरते हैं । यदि किसी को कोई काम करते समय आशा के अनुरूप सफलता मिलती है तो वह इसे अपनी कड़ी मेहनत का परिणाम बताता है। यदि लोगों को उनकी आशा के अनुरूप परिणाम नहीं मिलते तो वैसे ईश्वर की मर्जी बताते हैं तो क्यों ना हर काम ईश्वर की मर्जी का ही माना जाए? इसके साथ ही साथ इस बात को मान लिया जाए कि किसी काम को करने या न करने की प्रेरणा ईश्वर की इच्छा से ही संचालित है। ईश्वर की इच्छा होने पर ही हम किसी काम में कृत संकल्पित होकर लग जाते हैं उसके सकारात्मक परिणाम मिलते हैं । ईश्वर की इच्छा न होने पर हम अनेकानेक विचार करने के बाद भी उस काम पर पूरे मनोयोग नहीं लग पाते और उस काम में हमें अपेक्षित सफलता नहीं मिल पाती । रही बात दूसरे विचार की कि ईश्वर सदैव शुभ करता है। जिसमें हमारा पूर्ण रूपेण यह मानना है कि जिस परिवार ने अपने किसी परिजन या प्रियजन को कोरोना संक्रमण के खोया हो तो तो इसे शायद कभी स्वीकार नहीं कर पाएगा। हमारे आसपास कोई कसम से संक्रमित होने पर स्वर्ग सिधार गया हो तो हो जो उनके सम्पर्क है तो वह ईश्वर के इस क्रियाकलाप से सकारात्मक रूप से कभी नहीं ले पाएगा । इस संसार में सभी जानते हैं कि इस संसार में जिस किसी ने जन्म लिया है उसकी मृत्यु निश्चित है आज नहीं तो कल, कल नहीं तो परसों , बुजुर्ग हो, प्रौढ़ किशोर हो या छोटा बच्चा ।हम सब सुविचार अपने आचरण और व्यवहार में बनाए रखें।"


थोड़ा सा रुककर आकांक्षा बताने लगी कि कोरोना कॉल में लोगों को इस बात का एहसास हो गया कि बहुत कम संसाधनों में उनका गुजारा अच्छे से चल सकता है ।लोग संक्रमित लोगों के साथ भी सहानुभूति नहीं वरन् समानुभूति का व्यवहार करने लगे । जो कोराना वारियर्स के रूप में डॉक्टर, नर्सें, पुलिसकर्मी सभी का अपने व्यवसाय के प्रति जो नूतन अनुभूति हुई वह एक शुभ संकेत माना जा सकता है लोगों ने अपने उन कामों को स्वयं किया जिसके लिए वो दूसरों पर निर्भर थे अपने खाना बनाने और बर्तन एवं घर की सफाई खुद की। इससे उनको इस बात का बोध हुआ कि इस काम को भी वे अच्छी तरह कर सकती हैं। कुछ साहित्यिक रुचि के लोगों ने साहित्यिक सृजन किया इससे मुझे अपनी साहित्य सृजन की क्षमता का पता लगा लॉकडाउन के समय लंबे समय तक घर में रहने पर उनका समय साहित्य सर्जन साहित्य पाठन जैसे करेंगे जागरूक माता पिता बच्चों के साथ समय दे सके उन्हें उनका बच्चों का सानिध्य और बच्चों को अपने बड़ों का मार्गदर्शन मिला। बहुत सारी समस्या वमषिप को अनदेखा तो नहीं किया जाता लेकिन इन सबके बीच आशा की किरण माना जाता है ईश्वर एक तरफ कोई कमी करता है तो दूसरी तरफ इसकी क्षतिपूर्ति कर देता है !हम कह सकते हैं कि ईश्वर सदैव शुभ करता है।


Rate this content
Log in