उसका चेहरा
उसका चेहरा
वह अभी बारहवीं कक्षा का छात्र था। पढ़ने वाले बच्चे कमाते नहीं हैं लेकिन रौब बहुत झाड़ते हैं।
उसकी माँ घर की लिपाई पुताई में व्यस्त थी। और उसे किसी से मिलने जाना था।
घर, आंगन और दालान सभी गीले थे।
वह कभी इधर पैर पटकता तो कभी उधर!
गरम खून यह सब बर्दाश्त से बाहर हो रहा था। गीले दालान से मना करने के बावजूद मोटरसाइकिल बाहर निकाल लिया तो उसके पिता जी रूष्ट हुए।
पर जिसको कुछ समझ न आए उसे समझाने का क्या फायदा!
अब जूते कपड़े के लिए घर के अंदर गया तो माँ और दूसरे भाई बहन उलझ गए।
दिखाई नहीं देता अभी घर आंगन सभी जगह गीले हैं।
गुस्से में उसकी माँ ने यहां तक कह दिया कि सगाई करने जाएगा जो इतना उतावला हो रहा है।
अब उसका चेहरा देखने लायक था। घर में पहने जाने वाले कपड़ों के साथ ही पैर पटकते घर से बाहर निकल आया। तभी उसका सामना उसके पिता जी से हो गया।
न जाने उसके पिता जी ने उसे क्या कहा कुछ समझ न आया तो घर के दरवाज़े पर रखे कुदाल उठाकर मोटरसाइकिल के ऊपर ही पांच सात बार दे मारा।
हालांकि मोटरसाइकिल को जितनी भी चोटें आई वह सब गद्दीदार सीट पर और उस गहरी चोट को मोटरसाइकिल बखूबी झेल गया।
उसके पिता जी भी इस कुकृत्य पर क्रोधित हो उठे अभी जब तक वे लाठी उठाते।
वह जिस निर्दोष मोटरसाइकिल को पीटा था उसी पर बैठ कर फरार हो गया।