उपकार

उपकार

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"अब मेरे बच्चे को कौन बचाएगा ," सोच रहे थे डॉ शर्मा । एक भयानक एक्सीडेंट हुआ था उनके बेटे सौरव का वह अपनी बाइक में था और एक ट्रक ने उसे टक्कर मार दी थी खून बहुत ज्यादा बह गया था ,रायपुर बायपास रोड में हुआ था ये एक्सीडेंट , वहीं किसी ग्रामीण ने देखा ये हादसा और तुरंत उनके बेटे सौरव को हॉस्पिटल ले आया । समय ऐसा था कि डॉ शर्मा भी कुछ नहीं कर पा रहे थे सारे ब्लड बैंक में पता कर लिया , सभी सम्बन्धियों को भी फ़ोन कर दिया पर हर तरफ से नाकामी ही नज़र आ रही थी । उनकी पत्नी और बेटी भी लगातार रोये जा रही थीं।

विवशता उनको घेरे जा रही थी क्या करें , क्या ना करें ।

"पता लगाओ , पता लगाओ डॉ मेरे बच्चे को कुछ नहीं होना चाहिए , वह ही हमारा सहारा है । "

फिर भी सबने असमर्थता जाहिर की , कहीं से कोई इंतजाम नही हो पा रहा था। तभी वही ग्रामीण जो सौरव को हॉस्पिटल तक लेकर आया था उठा और "उसने कहा डॉ साहेब मेरा खून जांच लीजिये , यदि मिल जाये तो जितना चाहें लें लें , आपके बच्चे को कुछ न हो पाए ।"

तुरन्त डॉ शर्मा ने जांच करवाई , दोनों का ब्लड ग्रुप एक ही था , बच्चे को उस ग्रामीण का खून चढ़ाया गया , बच्चे पर से मौत का साया टल गया । सभी लाख लाख धन्यवाद कर रहे हैं उसका ,डॉ शर्मा का परिवार उसका उपकार मानते थक नहीं रहे । 

"कौन हो तुम कहाँ रहते हो ये रुपये रख लो" डॉ शर्मा ने कहा ।

ग्रामीण ने कहा "साहेब पिछले महीने मैं आपके पास अपने बच्चे को लेकर आया था पर मेरे पास आपकी डॉक्टरी फीस देने को पैसे ना थे और इलाज के अभाव में मेरा बच्चा मर गया। आपका बच्चा बच गया मुझे बहुत खुशी है। "कहकर वह चला गया ।

डॉ शर्मा की आंखों में आँसू थे , जो मैं नहीं कर पाया आज एक ग्रामीण मुझ पर इतना बड़ा उपकार कर गया। 

ज़िन्दगी में काल कब किसे क्या दिन दिखाए इसे कोई नही जान सकता ।




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