STORYMIRROR

Afsana Wahid writes Wahid

Others

3  

Afsana Wahid writes Wahid

Others

उदास खिलौना

उदास खिलौना

1 min
239

आज बरसों बाद उठाकर देखा जब उस गुड़िया को बहुत उदास नजर आई वो।

जब बचपन में खेलती थी मैं उस गुड़िया से उस वक्त बहुत खुश नजर आती थी वह। मुझे लगता था मैं उसकी दोस्त हूं सबसे प्यारी और उसको हमेशा अपने साथ रखती थी मैं। मगर जब समय आगे बढ़ता गया मेरी जरूरत भी अब वो खिलौने ना रहे मुझे अपने फ्यूचर की तरफ भी देखना था। मैंने उस गुड़िया को अपने स्टोर रूम में रख लिया उस वक्त मुझे बहुत उदास नजर आई मानो उसकी सारी दुनिया उसे छोड़ कर जा रही हो।

आज जब दोबारा मैं उस गुड़िया को देखने आए तो मुझे लगा आज वो बहुत उदास है कहने को तो वह बेजान गुड़िया थी मगर एक पल में ही मेरा सारा बचपन याद दिला दिया उसने उदास सा खिलौना मेरी वह उदास गुड़िया।



Rate this content
Log in