तू नहीं तो कोई और नहीं

तू नहीं तो कोई और नहीं

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यह बात कहते कहते दिनेश की आँखे भर गयी कि तू नहीं तो कोई और नहीं, कैसी बातें करते हो दिनेश पूरी जिंदगी रखी है तेरे सामने। यह बोला था आभा ने, आभा और दिनेश दोनो कब जिंदगी के सपने देखने का सिलसिला शुरू किया, दोनो को ही नहीं मालूम पर हाँ जो भी देखता तो उस जोड़ी को देखता ही रह जाता। लगभग 32 सालों का साथ दोनो ही मिडिल क्लास के बंदे परिवार का बोझ उठाये चले जा रहे है। किसी के यहाँ दवा नहीं तो किसी के यहाँ फ़ीस नहीं जमा तो दूसरा पूरा कर दे रहा है, पर यह जरूर था कि कारखाने से निकल कर दोनो साथ में चाय जरूर पीते सुख दुख बाँटते साथ में जीने मरने की कसमें खाते। यही तो शायद चाहत है, धीरे समय सरक रहा था। ऐसे लोगो की जिंदगी भागती नहीं सरकती है हाँ शायद सरकती ही है जब कभी शादी की बात होती तो परिवार वालो को रोना शुरू हो जाता कि हम लोगो को कौन देखेगा बस दोनो खामोश हो जाते।

आज आभा से कह दिया गया छोटी की शादी देखो तुम तो अधेड़ हो, यह सुन कर आभा खूब रोयी कि जब युवा थी तब तुम लोग कहाँ थे, या मेरा अभी भी धड़कता है और अभी भी संवेदना है। मेरा मन तन दोनो ही भूखा है पर कह नहीं पायी पर दिनेश के सामने जा कर कह कर कि तू कहीं और शादी कर लें मैं अधेड़ हो गयी हूँ, तभी दिनेश ने कहा कि तू नहीं तो कोई नहीं कह कर उसको गले से लगा लिया और छुपा लिया सारे हदों को दोनो ने तोड़ दिया, चाहत का तूफान बह उठा दोनो ने जी भर कर तन मन दोनो धोया समय का पता ही चला, पर आगोश में खोये रहे जब जगे तो तन और मन दोनों शांत और दोनो ही खुश थे। हम को नाम देने की जरूरत ही नहीं हम दोनो ऐसे ही खुश है यह सही है कि गलत है सोचने का समय नहीं है।


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