तुम्हारी परवाह-लघुकथा
तुम्हारी परवाह-लघुकथा
उसने आंखे बंद किये किये बिस्तर पर हाथ फैलाया। खाली खाली हाथ पूरे बिस्तर पर घूम गया। बिस्तर खाली था, पुनः आंंखे बंद कर लीं और मेढक की तरह उल्टा बिस्तर पर लेट गया। वह जानता था कि उसे ऐसा लेटे देखकर वैदिका उस पर बरस पड़ेगी।
"राज कितनी बार कहा कि ऐसे उल्टे नहीं लेटते, हार्ट पर जोर पड़ता है"
वह हंसता हुआ कहता था"वैदिका, तुम तो कहती थी कि हमारे दिल तो आपस में एक्सचेंज हो गये हैं फिर मेरा दिल तो तुम्हारे दिल में सुरक्षित है"
वैदिका उसे सीधा करते हुए उसके दिल पर हाथ रखकर कहा करती तो क्या यहां मेरा दिल है न, उसे बचाने के लिए कह रही हूं और वह वैदिका को बाहों में भर लेता। सोचते सोचते वह हंस दिया अभी तक वैदिका बाथरूम से बाहर नहीं आयी थी, वह थोड़ा सा उठ गया। बाथरूम की लाइट भी नहीं जल रही थी तो वैदिका? अचानक उसे याद आया कि कल रात में वह स्टेशन पर उसे मायके जाने के लिये छोड़कर आया था.
उसकी नींद पूरी तरह खुल गयी। तकिया उठाकर उसने अपने पैरों पर रख लिया। चलो कम से कम पन्द्रह दिनों तो वह एकदम फ्री है। कोई किचकिच नहीं।अपने मन का राजा, अब दोस्तों के साथ शाम की महफिल, अब बिस्तर के दोनों कोने उसके अपने हैं। वैदिका हमेशा बाथरूम की ओर ही लेटती थी। शादी के बाद उस किनारे पर वैदिका ने उस कौने पर अपना अधिकार न केवल ठोक दिया बल्कि एक तरह से कब्जा ही कर लियाहजब उसने थोड़ी सी कुनमुन की तो वैदिका ने उसके फूले हुए पेट की ओर इशारा करते हुए कहा था कि इस हनुमान टेकरी को रात में पार करते समय गिरने से अच्छा है, इसी किनारे सोया जाये।
उसने अपने पेट पर नजर डाली। एकदम स्लिम हो गया था। वह भी वैदिका की बीमारी के चक्कर में। एक दिन सुबह सुबह उठ कर हांफने लगी। उसने वैदिका की पीठ थपथपाई
" क्या हुआ तुम्हें""यह अचानक?
वह बोलने लगी कि"" मेरे हार्ट मे थोड़ी प्रोबलम है, डाक्टरों का कहना है कि सुबह सुबह चार"पांच किलोमीटर सैर किया करो और योग किया करो तो ठीक हो जाओगी, आप चिंता न करें, कल से मैं घूमना और योग शुरू कर दूंगी".
"तुमने योग सीखा है? मैने उससे पूछां।
वह बोलने लगी... "नहीं लेकिन यह टीवी है न?
दूसरे दिन वैदिका सुबह सुबह उठकर घूमने चली गयी। उससे भी चलने के लिए कहा लेकिन उसने मना कर दिया। वह अपने पैर फैलाये सुबह की मीठी नींद का आनंद लेता रहा। लौटकर वैदिका आयी तो उसका चैहरा उतरा हुआ था। राज ने उसकी ओर देखते हुए पूंछा "
" क्या बात है तुम कुछ उदास सी लग रही हो""?
जब राज ने उसका हाथ पकड़ कर पास बिठा कर पुनः कारण पूंछा तो वह बोलने लगी"
" मैं सुन्दर हूं क्या?"वह आश्चर्य में पड़ गया, भला उसके प्रश्न से इसका का संबध , फिर बोला"तुम सुन्दर नहीं बहुत सुंदर हो"
वह कहने लगी कि आज सारे जवान लड़के मुझे अकेला घूमते देखकर मेरे कदम से कदम मिलाकर चलने की कोशिश कर रहे थे।उसने बड़ी बड़ी आंखे उसकी ओर लगा दीं। आदमी कुछ भी सह सकता है लेकिन अपनी पत्नी के साथ ऐसा व्यवहार बर्दाश्त नहीं कर सकता और अगले दिन से वह भी मजबूरी में जाने लगा। घूमकर आते तो वैदिका टीवी खोलकर बैठ जाती और राज से कहती
" आप टीवी में योग देखिये और मुझे करते देखिये, जहां गलती करूं बताते जाईगा क्योंकि कहते हैं कि यदि ठीक से योग नहीं करेगें तो सही असर नहीं पड़ेगा"
और इस चक्कर में साला खुद ही सीख गया.अब वैदिका की बीमारी के चक्कर में डाइट कंट्रोल उसकी भी हो गयी, पहले तो चुपके से आफिस में समोसा आदि मंगाकर खा लेता था किंतु अब आदत हो गयी और सुबह सुबह चाय की जगह यह ग्रीन टी का फंडा मजबूरी में अपनाना पड़ा। हर माह अपना ब्लड टेस्ट कराने जाती थी और साथ में उसका भी करा देती। अभी पिछले शनिवार को तो हद ही हो गयी। जैसे ही मेरी रिपोर्ट देखी तो मेरे गले में लटक गयी। डाक्टर और नर्स मुस्कराने लगे, तब झेंपकर वह दूर हुई थी। मेरी कोलेस्ट्राल की रिपोर्ट नार्मल आ गयी थी.
आज उसे ही चाय बनानी थी। वैदिका की छोटी बहिन की शादी थी। उसको भी मां ने उसे भी आने के लिए कहा था लेकिन इतने दिन पहले से वह क्या करेगा? यह सोचकर वह नहीं गया था। वह उठकर किचन में गया। अब कहाँ पर चाय की पत्ति, शक्कर और सामान रखा है, उसे ढूढना होगा। शादी के बाद तो किचन से तलाक लेकर बैठा था। अब समझ में नहीं आ रहा था कि कौन सा सामान कहां से खोजे। अचानक सामने गैस स्टोव के पास एक मुड़ा हुआ कागज दिखाई दिया। उसने खोलकर देखा सामान कौन कहां रखा है, उसकी पूरी लिस्ट थी। टेबिल लैंप के नीचे लाल रंग का एक कागज दिखाई दिया। उसने उठा कर पढ़ा। यह वैदिका का पत्र था।
"राज, मैं पन्द्रह दिनों के लिए जा रहीं हूं, जानती हूं बहुत लापरवाह हैं आप, अपना ध्यान रखियेगा, तुम्हें याद है जब मेरी बहिन की शादी की बात चल रही थी तब मेरी माँ ने कहा था कि मुझे इस शादि में कोई चिंता नही है क्योंकि अब तो मेरा बेटा राज भी है। एक बात मैं बताना चाहती हूं कि मुझे कोई बीमारी नहीं थी। वह तो मैं आपके फैट को कम करके आपको स्वस्थ बनाना चाहती थी। उस झूंठ के लिए माफी मांगती हूं। यह सब मैं सिर्फ इसलिए नहीं कर रही थी कि मैं आपसे प्यार करती हूं बल्कि इस लिए कर रही थी क्योंकि परवाह करती हूं।वह तेजी से कम्प्यूटर की ओर बढ़ा और छुट्टी की एप्लीकेशन मेल कर दी। तुरंत वैदिका को फोन लगाया"
"वैदिका मैं शाम तक पहुंच रहा हूं। वैदिका अंचभित थी। आप, सच मैं आ रहे है, क्यों?"
"वैदिका मैं भी तुमसे प्यार ही नहीं करता, तुम्हारी और तुम्हारे परिवार की परवाह भी करता हूं।
