Akshat Garhwal

Others

4.5  

Akshat Garhwal

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The 13th अध्याय 16

The 13th अध्याय 16

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सृजल और उसके साथियों को ओबर से लड़ के आज एक हफ्ता पूरा हो चुका था, सृजल ने रूबी से बात करके कुछ दिनों की छुट्टियां मांग ली थी जिस पर रूबी ने बिल्कुल भी मन नहीं किया था। इसका कारण ये नहीं था कि वो उनका दोस्त था बल्कि इससे भी बड़ा कारण ये था कि हमेशा ही सृजल को उन दोनों की वजह से कोई ना कोई मुश्किल का सामना करना पड़ता था और पिछली बार तो हद ही हो गयी थी। अगर उस दिन सृजल रूबी और आनंद के साथ नहीं होता तो शायद वो आज जिंदा नहीं होते और अच्छी बात ये थी कि सृजल भी उस रात बच गया था वरना उसे कुछ भी हो सकता था। खैर ओबर ने उनका पीछा नहीं किया था और न ही पीछे कुछ दिनों में आसपास ऐसा कुछ देखने को मिला जिस से इस लगे कि ओबर ने उन तीनों पर नज़र रखी हो।सब कुछ काफी सामान्य ही चल रहा था, आनंद उर रूबी आफिस में काम पर लगे हुए थे और सृजल भी कभी घर में तो कभी आफिस के ट्रैनिंग रूम में चला जाता था। जब से उसे होश आया था उसका व्यवहार कुछ अजीब सा हो गया था,खुद में कुछ खोया हुआ सा रहने लगा था......इस लगता था जैसे हमेशा ही वो कसीस के साथ बात करता रहता था जबकि अक्सर वो अकेला ही होता था। आनंद का मानना था कि ओबर से लड़ कर हारने के कारण सृजल थोड़ा गुस्से में था जबकि रूबी के हिसाब से वो किसी ओर ही सोच में डूबा हुआ था........कोई और ही कारण था उसके यूँ खोय-खोय से रहने का!

आज का दिन भी वैसा ही था बस अंतर ये था कि आज रविवार होने के बावजूब कुछ लोग अभी भी कम पर लगे हुए थे। सृजल भी सुबह जल्दी उठ कर ही ऑफिस के ट्रेनिंग रूम में पहुंच चुका था और आनंद को भी ध्यान नहीं आया कि सृजल ट्रेनिंग रूम में हो सकता था......आनंद भी आज आफिस में काम करने आया था, उसे काफी सारे विदेशी एकाउंट्स देखने थे, रूबी के घर पर आज उसकी मां और कुछ रिश्तेदार आये थे जिस कारण से वो जल्दी ही काम निपटा कर घर जा चुकी थी।

आनंद भी उसके साथ उसके घर जाना चाहता था पर सृजल के बारे में सोच कर वो नहीं गया और रूबी भी उसे सृजल का ख्याल रखने का कह के गयी थी।

आज का काम खत्म करके ही आंनद निकल ने वाला था, वो लिफ्ट से नीचे आया तो रास्ते में ही उसे नर्स अलका मिल गयी

“अरे आनंद, कितनी देर लगते हो? सृजल कब से तुम्हारा इंतज़ार कर रहा होगा...जल्दी उसके साथ हर जाओ और कुछ खाओ पियों” अलका की बात सुनकर तो पहले आनंद को कुछ समझ में नहीं आया, वो सोचा की ये क्या बात कर रही है?...फिर कुछ पलों बाद जब अलका जाने लगी तो आनंद ने आवाज लगाई

“सृजल है कहाँ पर?” आनंद ने इसे पूछा जैसे वो भी उसे ढूंढ रहा हो

“ट्रेनिंग रूम में, काफी देर हो गयी है शायद उसको......” कहते हुए अलका वहां से मेडिकल वार्ड की ओर चली गयी

आनंद ने भी अपने कदमों में पंख से लगाये और सीधा बेसमेंट से होता हुआ ट्रेनिंग रूम में जा पहुंचा। जहां पर सृजल ट्रेनिंग करता था वहां पर सामने की तरफ ही एक कंट्रोल रूम से था जहां पर एक माइक और कुछ डिजिटल इंस्ट्रूमेंट्स की व्यवस्था थी।

अंदर आते ही सबसे पहले उसे उसकी नजर सामने खिड़की जैसी दीवार पर पड़ी जिससे साफ दिख रहा था कि सृजल वहां अंदर पंचिंग बैग पर अपना गुस्सा उतार रहा था। वो 250 किलो के पंचिंग बैग को अपने मूव्स से ऐसे झकझोर रहा था जैसे कि वो 50-60 किलो का वजन हो, वो लगातार उस पर वार कर रहा था। यह देख कर आनंद ने माइक को जरा अपने करीब लाया जो कि सामने के इलेक्ट्रिकल बोर्ड से कनेक्ट था और सामने साउंड वेव्स का ग्राफ शो कर रहा था

“बस कर मेरे लाल! अब क्या उस बेचारे की जान लेकर रहेगा?....” आनंद ने सृजल के मजे लेते हुए कहा, आनंद की आवाज सुनकर वो जल्दी से रुक गया और जाकर पास रखी बेंच पर बैठ गया जहां पर एक हरे रंग का टॉवल और एक पानी की बोतल रखी हुई थी।

आनंद ने माइक छोड़ा और सीधे दूसरे दरवाजे से उसी रूम के अंदर गया जहां पर सफेद रोशनी से जगमगाता हुआ माहौल था और कुछ दूरी पर पंचिंग बैग के ठीक पीछे सृजल बेंच पर बैठ टॉवल से अपना सर पोंछ रहा था। उसने दिर्फ नीचे एक चड्डा पहना हुआ था और बाकी उसका नंगा शरीर जिस पर काफी घावों के छोड़े हुए निशान बने हुए थे, उसके पसीने की चमकार में और जगमगा रहे थे।

“तू यहाँ पर कब आया? मुझे लगा था कि तू वहीं पर होगा या फिर बाहर घूम रहा होगा” आनंद ने उसके पास बैठते हुए कहा

“मैं तो सुबह से ही यहीं पर हूँ,” आनंद ने जैसे ही सृजल के मोह से ये सब सुना तो उसका तो मुँह ही उतर गया।

“तो.....तो तू सुबह से ही यहां पर है जब में घर पर ही था?” आनंद ने एक बार और सवाल किया

“हाँ” सृजल ने पानी पीने से पहले जवाब दिया

“फिर तो तूने सुबह से कुछ खाया नहीं होगा?....और मैं इतना बिजी था कि मेरा तो बिल्कुल ध्यान ही नहीं गया, चल जल्दी चल चलकर आज का खाना ‘मिस्टर बीन रेस्टोरेंट’ पर खाते है” आनंद ने उसे कहा पर अज़ीज़ वह कहीँ और ही खोया हुआ था और उसने आनंद की बात सुनी ही नहीं “यार आखिर बात क्या है? जब से ओबर के साथ वो रात की बैंड बजी है तभी से तेरा मूड भी कितना बेकार से हो गया है।

वो तो मुझे रूबी ने मना किया था वरना मैं तो तुझे लेकर किसी हिल स्टेशन पर चल जाता......ठंडा करने के लिए” आनंद ने थोड़े धीमे स्वर में बात की पर अभी भी सृजल ने कोई भी जवाब नहीं दिया हालांकि उसने सब कुछ सुन लिया था।

आनंद वहीं पर कुछ देर उसके साथ बैठ रहा, ताकि सृजल का मन हल्का होते ही वो उससे बात कर सके पर आनंद को शुरुआत करने की जरूरत ही नहीं पड़ी

“2 साल पहले जब में रशिया में था तभी से मैंने की बार स्ट्रीट फाइट और अंडरग्राउंड फाइट्स में हिस्सा लेना शुरू कर दिया था। मैं हमेशा से ही इतना ताकतवर नहीं था इसलिए कई बार हार का सामना करना पड़ा और एक दिन मुझे समझ में आया कि मैं अब तक इसलिए हारता रहा क्योंकि मुझे खुद पर भरोसा नहीं था। और उस रात जब मेरी हालत खराब होने लगी तो मेरा खुद पर से विश्वास कम होने लगा कि कहीं मेरी कमजोरी की वजह से तुम दोनों को कुछ हो गया तो? ये दूसरी बार था जब मैं हर के इतने करीब आया था” सृजल की बात से भले ही ऐसा लग रहा था जैसे वो बिना किसी जज्बात में ये सब कह रहा था पर वो दोस्त ही कैसा जो दोस्त की खाली स्लेट जैसी शक्ल को पढ़ न सके। आनंद हल्के से मुस्कुराया उर उसके बाद उसके जो बात कि तो सृजल का खुद पर से उठा हुआ वो भरोसा एक बार फिर से कायम हो गया

“उस रात जब उन सब असासिंस ने हमें घेर लिया तो मुझे बिल्कुल भी डर नहीं लगा जानता है क्यों? क्योंकि मुझे तुझ पर खुद से भी ज्यादा भरोसा था, जब तक तो है तब तक हम दोनों का बाल भी बांका नहीं कर सकता। हमारा जो तुझ पर विश्वास है वो ही तो हमें मुश्किल में काम आता है वरना अगर तू वहां नहीं होता तो मैं सरेंडर ही कर देता। इसलिए प्लीजsssssss यार! तेरा खुद पर जो विश्वास है वो न सिर्फ तुझे ताकत देता है बल्कि हर उस शख्श को तेरी खुद की ताकत बना देता है जो तुझसे प्यार करता है”

वैसे तो आनंद कभी भी इस तरह की जोश भारी बातें नहीं किया करता था पर आज जब बात उसके दोस्त की है तो फिर भला वो कैसे पीछे हट जाए। आनंद की बात सुनकर सृजल की तो आंखें ही खुल गयी, उसे यकीन ही नहीं हो रहा था कि वो इतनी सी बात को लेकर परेशान था। वो बिल्कुल ही भूल सा गया था कि वो अब अकेला नहीं है, उसके साथ दोस्त है और एक गर्लफ्रैंड भी है! जो न सिर्फ उससे प्यार करते है बल्कि हर मुश्किल में उसके साथ खड़े रहते है। ये ऐसी अवस्था है जो बहुत नसीब वालों को मिलती है

“थैंक्स यार, सब कुछ याद दिलाने के लिए” सृजल ने आनंद को गले से लगा लिया, एक पल के लिए आनंद भी भावनाओं में बह गया फिर अचानक से सृजल को खुद से अलग कर दिया

“अबे यारsssssss! तेरे पसीने ने कपड़े गीले कर दिये” इतना कह कर आनंद उठा कर सृजल से मुँह बनाता हुआ कुछ दूर खड़ा हो गया जिस पर सृजल अपनी हंसी नहीं रोक पाया और हंसने लगा। सृजल और आनंद को याद आ गया कि किस तरह वे अक्सर स्कूल के समय में इसी तरह छोटी-छोटी बातों में हंस दिया करते थे और बड़े से बड़ा गम भी हंसी में गुजर जाता था।

“चल यार, बहुत भूख लगी है। चल कर ‘गुरुकृपा’ में खाना खाते है” इतना कहते हुए सृजल ने अपने कपड़े उठाय और आनंद की तरफ बढ़ने लगा

“ओssss भाई साहब! ब जब यहां पर है ही तो जरा नहा ले वरना होटल वाला बाहर से ही ‘सूंघ’ कर भाग देगा” इसी बात पर दोनों एक बार फिर हंसे और साथ में बाहर जाने लगे, क्योंकि ये एक अंडर ग्राउंड फैसिलिटी थी तो वे जमीन के अंदर लगभग 100 फुट नीचे थे। दोनों ने लिफ्ट पकड़ी और ऊपर जाने लगे

“वैसे तुझे और ताकतवर होने की जरूरत है ही नहीं, कौन सा तुझे किसी सुपर पावर के खिलाफ लड़ना है” आनंद ने यूं ही यह बोल दिया था पर सृजल के चेहरे के भाव कुछ पल के लिए बदल गए थे जो उसने आनंद को दिखने से पहले बदल लिए।आनंद भी सुपर पावर्स के बारे में बोलने के बाद कुछ अनमना से हो गया था और जाहिर सी बात है दोनों एक दूसरे के असली भाव छुपाने में कामयाब रहे

“अब क्या करूं यार? जब से रशिया में हारा था तभी से मुझे और पावरफुल होना था और अब एक ओबर भी है जो मुझसे ज्यादा ताकतवर है” सृजल ने लिफ्ट के इस तरफ टिक कर कहा, सृजल के इतना कहते ही जैसे आनंद को कुछ याद आ गया और वो तपाक से बोला

“रशिया.......में तू किस से हारा था?”

“वैसे तो हम दोनों के बीच दोस्ती ही है पर जब सवाल जीतने का होता है तब वो दोस्ती को बीच में नहीं आने देता। और आखिरी बार भी यहीं हुआ था पर जीतने के बाद वो काफी घमंडी हो गया इसलिए अब मेरी उससे बात नही होती और उसे हराना मेरा लक्ष्य ही बन चुका है” सृजल ने आननद को उस शख्श के बारे में अपनी अतीत की बात बताई

“अबे मैंने नाम भी पूछा था” आनंद ने अपनी आवाज जरा तीखी करते हुए एक बार फिर पूछा

“जेफरी क्लिफ्फहेंगर है, वो वहीं रशिया से ही है। और वो मेरी तरह कोई काम नहीं करता बल्कि अंडर ग्राउंड फाइट्स ही उसकी रोजी-रोटी है जिसके लिए उसे ज्यादा मेहनत नहीं करनी पड़ती” सृजल ने जल्दी से जवाब दिया, वैसे तो आनंद उस से और कुछ भी पूछना चाहता था पर तब तक लिफ्ट का दरवाजा खुला चुका था उर सृजल बिना सुने ही बाहर आ गया।

वो दोनों ही एक साथ शांति से ऊपर गए और सृजल जाकर मेडिकल वार्ड के एक बाथ रूम में नहाने चला गया। आनंद बाहर ही बैठ गया ताकि कोई और वहां पर ना आये

“तुम अब तक गए नहीं?” अलका सामने से आई, उसके हाथ में एक मेडिकल बॉक्स था

“बस जाने ही वाले है, वो जरा सृजल अंदर नहा रहा है” आनंद ने मुस्कुराते हुए कहा

अलका अंदर रूम में चली गयी जहाँ पर उसने वो बॉक्स रखा और कुछ काम में व्यस्त हो गयी। कुछ ही देर म,इन सृजल बाहर निकला। उसके हाथ में वो बैग था जो वो अपने साथ सुबह ही लाया था, काले रंग का गोल से जिम वाला बैग।

“तुम्हारी शिफ्ट अब तक खत्म नहीं हुई अलका?” अपने ठीक सामने अलका को देख सृजल ने पूछ ही लिया जिस पर कुछ सोच कर अलका ने जवाब दिया

“बस में निकलने ही वाली थी कि पता चला की तुम अभी नहा रहे हो, तो मैं रुकी हुई थी” अलका की बात सुनते ही सृजल ने उसे सवालिया नजर से देखा जिस पर अलका सीधे उसके पास आते हुए बाथ रूम में जाने लगी

“मुझे भी नहाना था इसलिए! पर अब जब तुमने पूछा ही है तो क्या तुम मेरे लिए रुक सकते हो” अलका की आवाज में कुछ मदहोशी सी थी, उसकी आँखों में कुछ गहराई

“हाँ ठीक है, में यहीं पर बाहर इंतज़ार करता हूं” सृजल ने उसे मुस्कुराते हुए जवाब दिया जिसके जवाब में अलका भी मुस्कुराई और सृजल बाहर आ गया

“वेल..वेल तुझे नहीं लगता तू आज कल कुछ ज्यादा ही फ़्लर्ट करने लगा है?” आनंद ने मजाकिया चेहरा बनाते हुए कहा

“ओह रियली?!” सृजल ने भी आनंद को देख कर मुँह बनाया और फिर दोनों वहीं साथ में बैठे रहे। इस दौरान आनंद ने सृजल को बता दिया कि आज रूबी जल्दी घर चली गयी है क्योंकि उसकी माँ और कुछ रिश्तेदार आये है, पर सृजल कोई बात पता थी उसने आनंद को बताया कि उसने जाने से पहले एक बार मुझे भी फ़ोन किया था। आनंद और सृजल अभी बात कर ही रहे थे कि अलका उनके सामने आ गयी, वैसे तो उन्होंने कई बार उसे देख था पर आज वह थोड़ी अलग थी

“चलों अब जब तुम दोनों यहां पर ही हो तो साथ में डिनर कर ही लेते है” अलका ने अपनमे एक हाथ से बालों को पीछे करते हुए कहा और बजाए उसे सुन ने के वो दोनों उसे घूर कर देखने लगे जैसे उसे पहले कभी ना देखा हो।

वो हमेशा नर्स के कपड़ों में ही रह करती थी इसलिए सभी के लिए उसकी छवि एक सफेद शार्ट ड्रेस और टोपी लगाय हुई थी पर आज! वो बिल्कुल ही अलग लग रही थी जैसे रात का बुझा हुआ कमल सूरज की पहली किरण पड़ते ही खिल उठा हो और उसकी लाली ने सभी को अपनी और खींचना शुरू कर दिया हो............ एक सफेद रंग की फुल शर्ट और एक काला लंबा जीन्स जिस से पहली बार नजर आ रहा था कि उसकी टांगे कितनी लंबी है, खुले हुए वो काले, हल्के से नीचे से घुंघराले बाल जो उसकी पीठ तक थे उसके लुक्स को सबसे अलग दर्शा रहे थे। वो अब भी अपना गोल चश्मा पहने हुए थी और कोई भी मेकअप नहीं किया हुआ था सिवाय लिपबाम के जिसने उसके होंठों को गुलाबी कर दिया था। उन दोनों को एक तक नजर लगाए देख कर अलका ने जल्दी से दोनों के कान पकड़े और उन्हें खड़ा कर दिया

“आssssss ह....... अरे कान टूट जाएगा” सृजल और आनंद एक साथ बोले और वो भी एक ही बात!

“चलों मुझे घूरना बंद करो, पहले कभी देखा नहीं है क्या?” उन दोनों के कान छोड़ते हुए अलका गलियारे से बाहर जाने लगी। सृजल और आनंद भी उसके पीछे चलने लगे

“हम तो तुम्हे रोज देखते है पर आज पहली बार तुम्हे नर्स के गेटउप की बजाए सामान्य कपड़ों में देख खुद को रोक नहीं पाए” आनंद ने जल्दी उसके सवाल का जवाब दिया जिसे सुनकर उसने सृजल की तरफ देखा तो सृजल ने भी आनंद की बात में ‘हाँ’ में सर हिला दिया

“वैसे आज कहाँ पर डिनर करने वाले हो, घर पर या कहीं बाहर?” बिल्डिंग से बाहर निकल कर उसकी दाईं ओर नीचे की ओर जाते हुए अलका न पूछा, जहां पर कार पार्किंग है

“आज ‘गुरुकृपा’ चल रहे है, काफी समय से वहां का खाना नहीं खाया है” सृजल ने अपनी जेबों में हाथ डालते हुए जवाब दिया।

सामने ही आनंद की ‘ऑडी आरएस ई-ट्रॉन जीटी’ खड़ी हुई थी जो आनंद ने पिछले हफ्ते ही ली थी, हादसे से 2 दिन पहले! ये वाली कार का रंग सिल्वर था और दिखने में क्या लग रही थी! एक दम ऐसी की देख कर ली उसे चलाने का मन करने लगे। आनंद ने जाकर ड्राइविंग सीट पकड़ ली, उसके पास वाली सीट पर सृजल बैठ गया और पीछे अलका और ये तीनों चल दिये ‘गुरुकृपा रेस्टोरेंट’ की ओर।

पुणे के जगमगाते वातावरण से गुजरते हुए आनंद सीधे ‘गुरुकृपा’ के सामने आकर रुका। उस होटल की अपनी खुद की पार्किंग थी जहाँ पर पहले तो आनंद ने सृजल और अलका को बाहर ही उतार दिया था और अब वो पार्किंग के लिए गया था। सड़क के काफी कोने में थी ये होटल जिसके ऊपर बड़े से शब्दों में ‘गुरुकृपा’ लिखा हुआ था जिनके अंदर लाइट लगी हुई थी जिससे वो शब्द भी दूर से ही दिख जाते थे। हालांकि ये रेस्टोरेंट मुख्य सड़क पर नहीं था पर इसके चर्चे दूर-दूर तक थे और उसका पूरा श्रेय जाता था उस रेस्टोरेंट के बावर्चियों को जो इस जबरदस्त कहना बनाते थे कि उसके स्वाद की अलग ही पहचान थी। आज ज्यादा गाड़ियां सड़क पर दौड़ नहीं रही थी इसलिए माहौल भी काफी सही-शांत था

“चलों अंदर चल कर जरा मेन्यू देखते हैं, तब तक आनंद भी आ जायेगा” सृजल ने अलका से कहा और दोनों कुछ पल पैदल चलते हुए रेस्टोरेंट में पहुंच गए। बाहर से भी कोई खास सजावट नहीं थी और ना ही अंदर से पर जिस चीज की सबसे ज्यादा अहमियत थी या कह लो कि जो लोगों को सबसे ज्यादा आकर्षित करती, वो वहां पर जरूर थी............जो कि थी ‘सफाई’ 

अंदर काफी दूरी पर चोंकोर लकड़ी टी टेबल लगी हुई थी उर बैठने के लिए बढ़िया लकड़ी की ही कुर्सी। टेबल के ऊपर एक मोमबत्ती स्टैंड था जिसमें 5 मोमबत्तियां जल रही थी एक ऑरेंज जूस की बोतल और 4 वाइन वाले गिलास रखे हुए थे जिनका मुँह आधे कैप्सूल जैसा दिखता है। दोनों ने अंदर जाकर एक कोने का टेबल पकड़ लिया और उस पर जाकर बैठ गए सृजल ने अपने सामने रख हुआ मेन्यू कार्ड उठा कर अलका को दिया और कहा कि वो आर्डर दे दे, जो वो खायेगी वहीं सृजल भी खा लेगा

“आर यू श्योर , क्योंकि मैं गुजराती थाली खाने वाली हूं। तुम्हें चलेगा?”

“हाँ क्यों नहीं चलेगा? वैसे भी कभी-कभी कुछ नया सा ट्राय कर लेना चाहिए” सृजल ने उसे देख मुस्कुरा के कहा तो एक बार उसे फिर से वहीं हंसी देखने को मिली जो उसे उसकी तरफ खींच सी रही थी। कुछ ही देर बाद वेटर आकर 3 गुजराती थाली का आर्डर ले गया, सृजल ने आनंद के लिए भी आर्डर कर दिया था। जब सृजल और अलका अंदर आये थे तब काफी सारे लोग खा कर जा रहे थे इसलिए अभी वहां पर इक्के-दुक्के लोग ही थे।

“तुम्हारी ‘गर्लफ्रैंड’ कैसी है? आज कल तुम उसके बारे में बात नहीं करते” अलक ने सृजल से नजरें मिलते हुए कहा जैसे वो उसे पढ़ रही हो

“लगभग एक हफ्ते से उससे बात नहीं हुई थी तो मैं थोड़ा परेशान था पर कल उसका मैसेज आया कि वो अपने काम में काफी व्यस्त है और समय निकाल कर कॉल करेगी” सृजल ने ऑरेंज जूस की बोतल में से जूस 2 गिलासों में भरा और एक गिलास अलका की तरफ खिसका दिया

“ओह” अलका का यह ओह इस था जैसे उसे इस बात का अफसोस हो कि सराज और उसकी गर्लफ्रैंड का रिलेशन अब तक अच्छा चल रहा था। सृजल ने ये भांप लिया पर उसने अंदाजा लगाना ठीक नहीं समझा। आखिर अब अलका से रह नहीं गया और उसने अपने मन की बात कह ही दी

“ आई रियली-रियली लाइक यू सृजल, क्या तुम मेरे साथ डेट पर चलोगे?”

“हाँ, जरूर!” सृजल ने इतनी जल्दी जवाब दिया कि अलका के मुँह से ऑरेंज जूस बाहर आ गया, उसने जल्दी से अपना रुमाल निकाल कर अपनी ड्रेस खराब होने से बचाईं और मुँह पोंछते हुए बोली 

“क्या सच मैं या फिर तुम मेरे साथ मजाक कर रहे हो? मेरा मतलब तुम्हारी एक गर्लफ्रैंड पहले से ही है और...!”

“आराम से यार!” सृजल ने रोकते हुए कहा “देखो तुम अच्छे से जानती हो कि मैं अपनी गर्लफ्रैंड से बहुत ज्यादा प्यार करता हूँ और उसके लिए मेरी फीलिंग्स कभी भी नहीं बदल सकती और तुम भी उसे काफी हद तक जानती हो क्योंकि तुमने ‘उस’ से बात की है और वह भी मुझे बहुत प्यार करती है”

“हाँ, सही कहा” सृजल की बात सुनकर अलका ने अपना सर झुका लिया और उसके चेहरे पर हल्का सा अफसोस साफ नजर आने लगा

“पर आई डू लाइक यू और इसलिए में वो डेट वाला आईडिया नहीं ठुकरा सकता। मैं भी तुम्हारे साथ डेट पर जान पसंद करूंगा” सृजल की ये आखिरी बात सुनकर एक बार फिर उसका चेहरा खिल गया और उसके चेहरे पर चमक छा गयी

“ओह, थैंक यू सो मच ”

“किस बात की थैंक यू की जा रही है मेरी गेर मौजूदगी में” अभी अलका ने अपनी बात कही ही थी कि आनंद सामने वाले गेट से होता हुआ अंदर ही आ गया। जिसे एख कर अलका ने तुरंत जवाब दिया

“हम ‘डेट’ पर जाने वाले हैं!” अलका खुशी से चहक उठी इस बात में शक नहीं था कि वो सच में खुश थी, किसी तरह का नाटक नहीं था। उसकी बात सुनकर पहले तो आनंद की आंखे फटी फिर मुँह खुला.........जो कि कुछ ही पलों में बंदों गया

“सही है यार, जाओ और मजे करो पर....” आनंद ने जाने के लिए तो बड़े ही आराम से कह दिया पर आखिर में उसकी आवाज में थोड़ी सी गंभीरता आ गयी “पहले ये बताओ........ये गुजराती थाली वाला अपनी तरफ क्यों आ रहा है?”

उसने ये बात इतनी गंभीरता के साथ बोली की सृजल के मुँह से वो जूस निकल कर बाहर आ गया जो अभी वो निगल ही रहा था। उसे देख कर वेटर भी हंस पड़ा, और अच्छी खाई हंसी उस माहौल में गूंज गयी

वेटर ने खाने की थाली परोसी......... वाह क्या खुशबू थी? उस थाली में कई तरह की नई डिश थीं।

खाने में मुलायम, हल्का और स्वादिष्ट गुजराती डिश खांडवी ,ढोकला , हांडवो, थेपला, उंधियू , बासुंदी, घुघरा और दाल चावल-पनीर की सब्जी। आहा! क्या खुशबू थी उसकी! कोई भी भूंखा पेट उसकी तरफ लपक जाए और यह में पानी आ जाये इस स्वाद। भला ये कहना किसी नशे से कम था क्या? अब क्योंकि तीनों भूंखे थे वो जल्दी से खाने पर टूट पड़े पर काफी सज्जनता के साथ।

खाने के ठीक बाद वे तीनों आराम से बाहर निकले, वेटर ने बताया कि आज कोई रैली निकलने वाली है इसलिए ज्यादातर दुकानें आज जल्दी ही बंद हो जाएंगी। इसलिए वो तीनों क्योंकि आखिरी बचे हुए थे उस रेस्टोरेंट में वो जल्दी से बाहर आ गए

“वाह यार, मजा आ गया। इस जगह पर अपन को हमेशा ही नई थालियां ट्राय करते रहने चाहिए” आनंद के चेहरे पर बहुत प्रसन्नता थी अलका भी मुस्कुरा रही थी पर किस वजह से खाने की वजह से या सृजल के साथ ‘डेट’ पर जाने की वजह से? बस ये नहीं पता

अभी सृजल कुछ कहने ही वाला था कि उसकी नजर 2 बच्चों पर पड़ी जो कि उसी रेस्टोरेंट के कोने से खड़े होकर वेटर को खाना खाते हुए देख रहे थे। उसकी हालत देख कर ऐसा लग रहा था जैसे काफी दिनों का सफर किया हो वो भी पैदल। धूल में लथपथ कपड़े और शरीर पर कुछ खुले घाव

“मैं अभी आता हूँ, तुम तब तक यहीं पर रुको” सृजल जल्दी से रेस्टोरेंट के अंदर वापस चला गया

“अब इसे क्या हुआ?” अलका ने आननद से पूछा जिसके जवाब में उसने अपने सिर और कंधे को उचकाते हुए इशारा किया कि ‘मुझे क्या पता?’

कुछ ही देर में वो बाहर आया और सीधे उन दोनों बच्चों के पास गया, जो उसे देख कर दुबक गए और पीछे हटने लगे। एक लड़का था उर एक लड़की! लड़की के कदम सृजल के हाथ में लटक रहे थैले से निकलती खुशबू को सूंघ कर रुक गए पर वो लड़का अब भी उसके पीछे ही था। सृजल उसके पास गया और प्यार से सर पर हाथ रख कर पूछा

“तुम्हरा नाम क्या है बच्चे?”

और जवाब आया

“मैं ईव हूँ.”



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