" स्वामी और मकोड़े "
" स्वामी और मकोड़े "
दोस्तों आज का हमारा विषय है मालगुडी डेज। बचपन में मैं हमारी ब्लैक एंड व्हाइट टीवी पर रोजाना यह सीरियल देखता था । तब तो कलर टीवी का जमाना भी नहीं था ना ! उसके बारे में हम तो जानते भी नहीं थे। लेकिन यह जरूर सोचते थे कि सभी लोग सिर्फ ब्लैक एंड वाइट कपड़े क्यों पहनते हैं। इनके पास रंगीन कपड़े क्यों नहीं है हमारी तरह! चलिए तो कहानी शुरू करता हूं ।
मालगुडी डेज के एक एपिसोड में दिखाते हैं स्वामी नाम का एक बच्चा जिस स्कूल में पढ़ता है, वहां के प्रोफेसर अंग्रेज होते हैं। वह हमारे भगवान के बारे में उल्टा पुल्टा बोलते हैं तो स्वामी को बुरा लगता है। (अब यहां से मैं अपनी कहानी मिलाता हूं। ) वह वह अपने एक साथी रामू के साथ मिलकर एक योजना बनाता है । एक दिन जब प्रोफेसर रात को अपने घर जा रहे होते है। तब स्वामी और उसका साथी रामू भूत के कपड़े पहन कर उन्हें डराते है। अंधेरी रात और सामने भूत देखकर प्रोफेसर डर जाते हैं और वहां से भाग जाते हैं। यह देखकर दोनों बच्चे हंसने लगते हैं और अपने घर लौट जाते हैं।
स्वामी एक दिन टहल रहा होता है तो उसे कुछ मकोड़े दिखते हैं। वह फटाक से एक कागज की नाव बनाता है और उसमें उन मकोड़ों को बिठा देता है। फिर नाव के पीछे पीछे चलता है। पानी की छोटी सी धार बह रही थी, नाव उसमें बड़े मजे से चल रही थी। स्वामी को यह देख कर बहुत अच्छा लगता है कि उसकी नाव में मकोड़े सवार है तो उन्हें भी कितना मजा आ रहा होगा!
तभी अचानक एक बड़ा मेंढक आ जाता है। वह अपनी जीभ निकालता है और सभी मकोड़ों को खा जाता है। स्वामी ये देखकर रोने लगता है। तभी एक सांप उस मेंढक को खा लेता है। सांप जाने वाला होता है की उड़ता हुआ बाज आता है और सांप को अपने पंजे में दबाकर मार देता है खा जाता है।
स्वामी रोता रोता घर पर आता है और अपनी दादी को सारी बात बताता है। वह दादी को कहता है कि मेरी वजह से यह सब हुआ है। अगर मैं उन मकोड़ों को अपनी नाव में नहीं बिठाता, तो मेंढक उन्हें नहीं खाता ! ना ही सांप मेंढक को खाता और ना ही बाज सांप को! सभी बच जाते, कोई नहीं मरता। यह सब मेरी वजह से हुआ है दादी।
उसकी दादी कहती है बेटा ऐसा नहीं होता। यह तो प्रकृति का नियम है सभी एक दूसरे के निवाले बनते हैं। भगवान ने इसी प्रकार इस सृष्टि की रचना की है। यदि यह लोग एक दूसरे को नहीं खाएंगे तो भूखे मर जाएंगे। उन्हें भी तो अपना पेट भरने के लिए खाना चाहिये ना! स्वामी रोना बंद करके दादी की पुरी बात सुनता है और फिर सो जाता है।
