Shalini Dikshit

Others

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सुहाना सपना

सुहाना सपना

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"मम्मी जी मैं ऑफिस जा रही हूँ, छोटू शायद उठ गया है आप देख लेना।"

"हाँ बेटा ठीक है तुम आराम से जाओ।" प्रिया ने कहा।

"बाय ब्रो ! मैं भी जा रहा हूँ।" यश ने अपने अंदाज में ही कहा।

बचपन से ही माँ को ब्रो कहने की आदत उसकी अब तक गई नहीं ।

"अरे सुनो तुम दोनो।" प्रिया ने आवाज दी।

"जी मम !" दोनों ने पलट के कहा।

"तुम दोनों एक ही गाड़ी में जाओ अलग-अलग ले जाने की कोई जरूरत नहीं है, पर्यावरण का ध्यान हमे ही रखना है।" 

"ओके ब्रो यू आर राइट।" एक में ही जाएंगे।

छोटू उठकर आँखें मलते हुए बाहर आ गया।

गुड मॉर्निंग बच्चा चलो जल्दी से मुँह धो लें, फिर हम बाहर धूप में बैठकर दूध पिएंगे। तब तक दादाजी अपनी एक्सरसाइज पूरी कर लेंगे फिर उनको चाय देनी है।

"दादी- दादी आपने रात को मुझे कहानी नहीं सुनाई थी अभी दूध पीते हुए आपको मुझे कहानी सुनानी पड़ेगी।" छोटू तुतली बोली में बोला।

"अच्छा ठीक है ज़रूर सुनाऊंगी, जैसा कहेगा मेरा बच्चा। पहले तुम दूध पियो चलो चलते है बाहर।" प्रिया गोद में उठा के चल दी।

"आज मैं तुम्हें एक डरावने राक्षस की कहानी सुनाऊँगी जिससे हम सब बहुत डर गए थे।" प्रिया ने डरावनी भाव मुद्राएं बनाकर कहानी सुनाना शुरू किया छोटू को।

जब तुम्हारे पापा कॉलेज में पढ़ते थे तब एक बहुत डरावना राक्षस आया, जिसका नाम था कोरोना उसने दुनिया में सभी को डरा दिया था सब उससे डर के घर में बंद हो गए थे। बार-बार हाथ धोते, दरवाज़े बंद रखते, कहीं नहीं जाते फिर भी पता नहीं वह कितने घरों में घुस जाता और उन सब को बहुत परेशान करता। कुछ लोग तो उस से लड़ लड़के उसको भगा देते, लेकिन कुछ लोग ऐसे भी थे जो थोड़ा कमजोर थे वह हार गए। जो लोग ज्यादा केयर से रहते थे उनको राक्षस नहीं पकड़ पाता था जो लोग जरा सी भी लापरवाही करें तुरंत व राक्षस दौड़ कर उनको दबोच लेता था।"

"अच्छा दादी! इतना डरावना था वो राक्षस। क्या बहुत मोटा था?" छोटू ने बहुत आश्चर्य से डरते डरते पूछा।

"हाँ बेटा डरावना तो था। लेकिन बस हमे सावधान रहने की जरूरत थी। उससे बचने की जरूरत थी ,कि वह चुपचाप से भाग जाए हमें पकड़ ना पाए।"

"फिर क्या हुआ दादी ?" छोटू ने आश्चर्य से पूछा।

धीरे-धीरे ऐसे ही हमने उसको भगा दिया।"

"आप लोग तो बहुत ब्रेव थे दादी उसको भगा दिया, लेकिन अगर फिर से अब आ गया तो?"

दूसरे कमरे से मोबाइल की रिंग सुन के प्रिया छोटू की बात का जवाब दिये बिना ही फ़ोन लेने चली गई।

"हाँ बेटा ! पहुंच गई क्या हुआ ? कैसे फोन किया?"

"अरे मम्मी जी ! मैं बताना भूल गई छोटू को आज कोरोना की वैक्सीन लगवाने जाना था।"

"ठीक है मैं लगवा लाऊंगी।"

कहानी सुनाते सुनाते प्रिया को आज फिर वह खौफनाक मंजर याद आ गया था।


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