सत्संग कि मख्खन मिसरी
सत्संग कि मख्खन मिसरी
आप सब ने कभी ना कभी तो मक्खन मिश्री जरूर खाई होगी और यह सबको बहुत पसंद भी होती है। खासकर गांव के लोगों को गांव के लोगों घरों में जानवर पालते हैं गाय भैंस और उनसे मक्खन दूध दही लस्सी प्राप्त करते हैं। इसलिए गांव के लोगों को मक्खन बहुत पसंद आता है। पर क्या आपने कभी सत्संग कि मख्खन मिसरी खायी है। आप सोच रहे होंगे कि सत्संग कि मख्खन मिसरी वो कोनसी होती है। तो चलिए आज मैं आपको एक ऐसी ही एक बचपन की कहानी सुनाती हूं।
मेैं8 साल की थी और गर्मी का मौसम था। स्कूल में गर्मी कि छुु्टीी चल रही थी।
तो हमारे गांव में सत्संग लगी। कुछ संत गाांव में आये हुए थे और उन्होंने भगवान कृष्ण की सत्संग लगायी।
गांव के सभी लोग सत्संग देेखने आये हुए थे। बच्चे बुढ़े और महिलाएं।
वहां एक सुंदर सा छोटा लड़का था उसने अपने सिर पर मोर पंख लगा रखा था और हााथ में बांसुरी लें रखीं थीं। वह बच्चा बहुत नटखट था वह बिल्कुल कान्हा बना हुआ था।वह इधर-उधर हाथ में बांसुरी लिए घूम रहा था और सबको कहता में काााान्हा हु सभी मुझे मखन खिििलायो सभी लोग उसकी शरारतें देेख बहुत हंस रहे थे।
तभी एक संत ने उस बच्चे को अपने पास बुलाया और कहा कि तुम तो बहुत सुंदर काााान्हा हो। तुम यहां मखन मिसरी के प्रसाद के पास बैठ जााओ। उस बच्चे को संत ने वहां बैठा दिया और अपने सत्संग शुरू हो गई।
सत्संग कुछ देर बाद समाप्त हो गई तो संत जी लोगों को प्रसाद बाांटने के लिए खड़े हुए। वो प्रसाद के थाल की तरफ गये तो उन्होंने देखा उस कान्हा ने थााल का सारा मखन मिसरी चट कर दिया और कुछ अपने आप पर लगा लिया । संत जी बोले ओ कान्हा आप तो सारा मखन मिसरी खा गए तो बच्चा बोला मैं तो कान्हा हु तो ये मेरे लिए ही था इसलिए तो मैं कान्हा बना।सभी लोग उसकी इस शरारत पर बहुत हंसे और बोले यह तो सचमुच का ही कान्हा है। और संत जी ने उसे और मखन मिसरी दिया और वह बहुत खुश हुआ।