सपना था: हकीक़त है
सपना था: हकीक़त है
बहुत पहले एक सपना देखा था कि हमारे ज्येष्ठ पुत्र की पहली संतान, पुत्री होगी। तो कितना आनंद आयेगा।
यह बात एक दिन पत्नि से शेयर की थी "हमारे तो एक भी ,पुत्री हुई नहीं। तीन पुत्रों ने हमें, माँ बाप कहलाने का सौभाग्य दिया है। अगर हमारी पहली नात हुई तो, कितना अच्छा लगेगा। "
पत्नि ने मुझसे कहा था "वो तो ठीक है। नात की जगह नातू हुआ तो। यह हमारे हाथों में तो, नहीं रहता ना।"
मैंने तब कहा था "ठीक है, जो भी हो। परमेश्वर की कृपा समझ ग्रहण करेंगे। हमारा वंश तो आगे बढ़ेगा।"
और देखिये, जो सपना देखा था, वह हकीक़त में तब्दील हो गया। ज्येष्ठ पुत्र को प्रथम पुत्र रत्न 05/01/2008 को प्राप्त हुआ।
समय की गति, कितनी तेज होती है। कुछ दिनों बाद हमारा नातू 12 वर्ष का पूरा हो जायेगा।
मैंने नातू को आवाज़ दी "बेटा सुनो ज़रा।" वह मेरे समीप आया। मैने उससे कहा "आजकल देख रहा हूँ। तुम पढ़ाई में कम और मोबाइल पर ध्यान ज्यादा देते हो।"
नातू मुझसे कहता है "दादू आप भी। शायद आपको पता नहीं है कि हमारे समय में मोबाइल ही तो सब कुछ है। जैसे कि आपके समय में गीता, कुरान ,बाइबिल हुआ करते थे। अच्छा, आप कैसे जानोगे कि मोबाइल में क्या है। मोबाइल आपके समय तो था ही नहीं। " कहकर वह खेलने भाग गया।
मैं सोचने लगा कि क्या यह हकीक़त है? अगर यही हकीक़त है तो हमारा नातू, ही क्यों, न्यू जनरेशन सभी तो ,यही कर रहे हैं। फिर मेरे उस सपने का क्या?
