संस्कार
संस्कार
लोगों को कभी एक छोटी सी भी बात अगर लग जाये तो वो गोली से भी तेज लगती है।
“सोनू बारिश में जल्दी जल्दी घर की तरफ बढ़ा जा रहा है।उसको लगता है, अगर आज फिर लेट जाऊँगा तो पापा फिर मुझे कुछ ना कुछ बोल देंगे।
“हे भगवान आज फिर मैं लेट हो गया,अब अगर मैं कुछ बोलूँगा तो फिर इनको लगेगा कि आज फिर कोई बहाना बना रहा है।”
घर के गेट पर पहुँचने के बाद देखता है,कि दरवाजा तो बंद है। सोनू पूरी तरह से भीग गया था। दरवाजे को खट खट की आवाज़ के साथ खोलने को कहता है।
“कहाँ था इतने देर से और कितनी बार कहा है, फिर भी लेट करते हो।” ( दरवाजे पर ही खड़ा हो कर)।
“माफ करना... वो मैं सच बोलूं तो आज भी गाड़ी नही मिली इसलिए लेट हो गया।”
“अब बस भी करो जब देखो उस पर चिल्लाते ही हो,उसके पीछे ही पड़े रहते हो।” सर पोंछते हुएमां ने कहा.
“देख लेना तुम्हरा लड़का एक दिन शराबी और नाशेडी निकलेगा” कमरे मे जाते जाते पापा ने कहा.
“जाने दो कुछ भी बोलते हैं ,मुझे पता है तुम सही हो ,तो कोई कुछ भी बोले बोलने दो”। ( खाना खिलाते)।
एक दिन बाजार में....
सोनू किसी काम से बाइक लेकर बाजार गया था। तभी देखता है कि एक आदमी जो बहुत ही धीरे धीरे एक झोला लिये जा रहा है। पहले तो वो चला जाता है लेकिन दिल नही मानता उसका तो फिर वापस आता है।
“कहाँ जाना है आप को,अंकल...”(बाइक रोकते हुए)
“बेटा घर थोड़ी दूर पर है।लेकिन उम्र होने की वजह से थक गया हूँ।”
“बैठिये मैं आप को छोड़ देता हूँ आप के घर”।
और अब सोनू अंकल को अपने बाइक पर बैठा लेता है। फिर उनको उनके घर के पास रुकता है।
“ठीक है अंकल मैं अब चलता हूँ”।( बाइक मोड़ते हुए)
”रुको बेटा... अंदर तो आओ एक चाय ही साथ मे पी लेते है”।
कुछ देर सोचने के बाद सोनू हाँ करता है।
सोनू बोलने में थोड़ा माहिर था। अंकल को भी कुछ कुछ लग रहा था।लेकिन जैसे सब बोलता है वैसे ये भी बोलेगा।
“क्या करते हो बेटा?” ( चाय पीते पीते)।
“लोगो की मदद” ( मुस्कुराते हुए)।
”मतलब.. मैं समझा नही कुछ” ( एक टक देखते )
“अरे! अंकल पढ़ाई तो सभी करते है लेकिन मदद तो कुछ ही लोग करते हैं”।
उसकी इतनी ही बात पर उस आदमी ने उसे बस इतना ही बोला “बेटा तुम्हरी बोली मेरे दिल पर छू गयी”।
“अच्छा अंकल मैं अब चलता हूँ”।
और बाइक लेकर वो वहां से निकल गया।
कुछ दिन बाद....
सोनू एक बार घर आते हुए देखता हैं कि चारो ओर से भीड़ लगी है। ऐसा लगता है जैसे किसी का एक्सीडेंट हो गया है।लेकिन कोई हिम्मत नहीं कर रहा था कि उसकी थोड़ी मदद कर दे।
सोनू से देखा नहीं गया तो वो उस आदमी को एक दो लोगों के सहारे उसको हॉस्पिटल ले जाता है।
“डॉक्टर सर देखो इसका एक्सीडेंट हो गया है,”। इसको एडमिट करो।
“लेकिन पहले पुलिस केस बनेगा तब इलाज होगा” ।
तब सोनू उनसे बहुत विनती करता है कि इलाज करो। लेकिन डॉक्टर कुछ करने को तैयार ही नहीं हुआ।
”अच्छा... डॉक्टर सर एक बात पूछना है”।
“क्या?”
”अपने तो इसका चेहरा ही नहीं देखा कि कौन है?”
“तो क्या, होगा कोई ”
”कोई और नही आपका लड़का है जो अभी बाइक भिड़ने से चोटिल हुआ है”। (उसका चेहरा छिपाते हुए)
अब डॉक्टर एक दम पागल सा हो जाता है।और जल्दी जल्दी उसके पास आता है।
“तो पहले क्यों नहीं बताया तुम ने” ( बहुत परेशान हो गया)।
“नहीं मैं इसको अभी नही दूँगा जब तक पुलिस नहीं आ जाती ”।
उस लड़के का पूरा मुँह ढक देता है ताकि डॉक्टर नहीं देख सके और उसको उससे दूर करता है। ताकि उसकी उसको कुछ अहसास हो कि कोई अपना ही है।लेकिन जैसे ही उसका मुँह देखता है। तो उसके जान में जान आ जाती है।
सोनू एक बात बोलता है“ सर ये भी किसी अपनो के इंतज़ार में होगा”।
उसकी एक बात से ही डॉक्टर बहुत प्रभावित हो गया ।
“सच ,बेटा... ज़िन्दगी की असली अहमियत तो तुम ने मुझे बताई”।
“मैंने कुछ नहीं बताया आप को बस एक उम्मीद थी कि आप कर सकते हैं”।
और सोनू वहां से चला जाता है। लेकिन हर बार की तरह फिर से लेट हो गया था लेकिन अब इस बार क्या बोलेगा अपने पिता से।
“फिर से लेट हो गया हूँ”।
घर पर....
सोनू को देखते ही उसके पिता बहुत गुस्सा हुए।उसके कुछ बेलने से पहले ये जानना चाहते थे कि आखिर लेट क्यों करता है।
”आज क्यों लेट हुए बोलो?”
”वो.... वो पापा ऐसा है कि ”(डरते डरते) उसके पिता ने हाथ उठाया तो लेकिन इस बार प्यार देने के लिए।ये देख कर उसकी माँ और खुद सोनू चौंक गया।
"बेटा आज जब तुम लेट हुए थे तो मैं ग़ुस्से में तुमको मारने के लिए बाजार आ रहा था। लेकिन आज जब तुम उस लड़के की मदद किए वो देख कर अच्छा लगा”।
”पापा मैंने कुछ नहीं किया और ना ही किसी की मदद किया। वो तो सब एक माध्यम था और कुछ नहीं”।
“पापा ,अगर मुझे गलत होना ही होगा तो आप मुझे कब तक रोकेंगे और कहाँ तक मेरे साथ रहेंगे।”
उसकी इतनी ही बात पर उसके पिता इतना प्रभावित हो गए कि उसके बाद तो उनके पास कोई शब्द ही नहीं रह गए।सोनू को गले लगा कर प्यार देने लगे।