Gita Parihar

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समुद्री शैवाल से पीने योग्य पानी

समुद्री शैवाल से पीने योग्य पानी

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बेंगलुरु स्टार्ट अप में बना समुद्री शैवाल से पीने लायक पानी!


यह पानी से भरी फलियां कहें,बॉल कहें अथवा कैप्सुल,इनको बनाने का मकसद है -पर्यावरण को बचाना।पानी जो प्लास्टिक की बोतलों में ,अथवा प्लास्टिक के ग्लासों में दिया जाता है,जिसका आधा इस्तेमाल कर फेंक दिया जाता है, उसका विकल्प हैं ,ये खाने वाली पानी भरी फलियां।

मणिपाल इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी के विद्यार्थी रहे रिचर्ड गोम्स जब जैविक खाद के अपने प्रोजेक्ट पर काम कर रहे थे ,तो उन्हें पता चला कि यू के की स्किपिंग रोक्स लैब ने पानी के पॉड्स तैयार किए हैं।वे इस जानकारी से बेहद प्रभावित हुए और उन्होंने इस पर शोध करने का निर्णय लिया। 

इसके लिए मॉलिक्यूल गैस्ट्रोनॉमी अर्थात आणविक पाककला का इस्तेमाल किया जाता है रिचर्ड के साथ नित्या भी इस काम में जुड़ गए उन्होंने पहले तो समुद्री शैवाल को एकत्रित किया, पीने योग्य बनाने के लिए उसका शोधन किया।वे एक बेस्वाद, बेरंग तरल चाहते थे जिसका आकार पानीपूरी जितना बड़ा और गोलाकार हो।,जिसे केवल पानी के ही लिए नहीं, दवाई की डोज या फलों का रस का रस भरने के लिए भी इस्तेमाल किया जा सके।


 इसके लिए एक बर्फ़ की ट्रे में पानी और अलिजनेट पॉलिमर के मिश्रण को -10 डिग्री सेल्सियस पर जमाया जाता है।इस मिश्रण के जम जाने पर उसे एक जैव रसायन में डुबोया जाता है।यह रसायन मनुष्यों के लिए सुरक्षित होते हैं।इस रसायन को बर्फ अलिजनेट हाइड्रोजेल से चारों तरफ से ढक लेती है और वह एक पाउच(थैली) बन जाता है।बर्फ पिघल कर द्रव में परिवर्तित हो जाती है। 

अगला चरण होता हैं इसे पकाना।इसे तब तक पकाया जाता है जब तक अलीजनेट क्यूब के आसपास झिल्ली न बना ले और बुलबुले न उठने लगे और गेंद का आकार न लेे लें।

इनका वितरण ओर विक्रय ऑफिसेज में,सार्वजनिक स्थानों पर ,होटलों और रेस्टोरेंट्स में किया जाता है।100मिली लिटिर की कीमत 2रूपये है, यदि बड़े पैमाने पर बनाए गए तो 1रुपया अथवा उससे भी कम दाम हो सकते हैं।


 रिचर्ड एक ऐसी मशीन का निर्माण भी करना चाहते हैं जो इसे लाने ले जाने के श्रर्म को बचाएगी।आप ए टी एम मशीन की तरह सीधे ही इससे बोलस ले सकेंगे। मशीन प्रति घंटा 10 बबल्स बना सकेगी, जल के साथ- साथ प्लास्टिक संकट कम करने में भी यह खोज मिल का पत्थर साबित हुई है।


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