शुभ संकल्प
शुभ संकल्प


"आज नई शिक्षा नीति के अनुसार हर वर्ष में पुस्तकें पाठ्यक्रम में शामिल होती हैं और फिर रद्दी के भाव बेच दी जाती हैं "एक सत्र के बाद उन पुस्तकों का कोई उपयोग भी नहीं रहता।
नेहा एक संयुक्त परिवार की लड़की थी अपने ही परिवार में पुस्तकों का ऐसा दुरुपयोग होते देखकर उसने मन ही मन एक निश्चय किया...क्यों ना एक ऐसा पुस्तकालय बनवाया जाए जिसमें वह सारी पुस्तकें जमा करके उन क्षेत्रों में वितरित की जाए जहां अभावग्रस्त बच्चे शिक्षा से वंचित रह जाते हैं।
नेहा ने अपना यह विचार अपने ही समाज की एक कर्मठ समाज सेविका शोभा जी के सामने रखा और वह सहर्ष ही नेहा के इस शुभ काम के लिए तैयार हो गई।नेहा ने सबसे पहले अपनी जान पहचान के परिवारों से शुरुआत की धीरे धीरे यह कार्य विस्तृत रूप धारण करने लगा। सभी ने बढ़ चढ़कर इसमें अपना योगदान दिया।
नेहा के एक शुभ संकल्प से कितनें ही अशिक्षित बच्चों का जीवन संवर गया है और जो पुस्तकें ऐसे ही नष्ट कर दी जाती थी उनका सही सदुपयोग हो गया।आज नेहा अपने उसी पुस्तकालय को देखकर भावविभोर हो उठी और खुशी की अतिरेक से उसकी आंखों से आंसू निकल पड़े ।