Sheikh Shahzad Usmani

Children Stories Tragedy Thriller

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Sheikh Shahzad Usmani

Children Stories Tragedy Thriller

शक्तिमान-भक्तिजान

शक्तिमान-भक्तिजान

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शक्तिमान-भक्तिजान (कहानी) :


जैसे ही बच्चों और औरतों की चीखें सुनीं, शक्तिमान शिवपुरी नगर के मीना टॉवर मॉल की पाँचवीं मंज़िल पर पहुँच गया। एक बच्चा खिड़की से नीचे गिर गया था कमरे में सुपरमैन स्टंट का खेल खेलते समय। जब वह उस गिरते बच्चे तक पहुंचा, तो उसने देखा कि औसत ऊंचाई की एक सुपरवुमन सी आकृति उस बच्चे को अपनी बाहों में समेट चुकी थी।

शक्तिमान उसके नज़दीक़ जाकर बोला, "तुम कौन हो? पहले तो कभी कहीं देखा नहीं तुम्हें?" 

"इस बच्चे को इसकी माँ तक पहुंच जाने के बाद बात करना!" यह कह कर वह आकृति पाँचवीं मंज़िल पर पहुंच गई और बच्चे को उसकी माँ को सुपुर्द कर दिया। इसके पहले कि माँ उससे कुछ बोलती, वह आकृति ग़ायब हो गई। इस दरमियान शक्तिमान अपने पिछले अधूरे मिशन को पूरा करने चल पड़ा।

जब वह नगर की एक पिछड़ी बस्ती से अदृश्य रूप से गुजर रहा था, तभी उसे एक घर से तालियों की आवाज़ें सुनाई दीं। उसने देखा कि एक बुज़ुर्ग महिला अपनी हर ताली के साथ पुकार रही थी, "भक्तिजान... भक्तिजान... भक्तिजान!" शक्तिमान एकदम चौंक गया और एक बरगद के पेड़ के पीछे छिप गया। कुछ ही पलों में मीना टॉवर पर दिखी सुपरवुमन सी आकृति उस बुज़ुर्ग महिला की ओर जाती दिखी। पुकार की वज़ह पूछे जाने पर उसने बताया कि उसकी सात साल की पोती गुंजा लापता है। कुछ बच्चों ने उसे दो लड़कों के साथ देखा था नज़दीक़ के दीपावली मार्केट की ओर जाते हुए। शक्तिमान दूर से ही अलर्ट हो गया। लेकिन उसे जिज्ञासा थी उस अजनबी आकृति से परिचित होने की। सुपरवुमन आकृति के पीछे-पीछे अदृश्य रूप से जाते हुए वह उसकी गतिविधियों पर नज़र रखने लगा। इतना तो वह समझ ही गया कि उस आकृति में कोई अजीब सी शक्ति है। उसके ठीक सामने प्रकट होकर वह उससे बोला, "तुमने अपना परिचय नहीं दिया था मीना टॉवर के पास। अब बताओ तुम कौन हो? मैं तुम्हारी क्या मदद कर सकता हूँ? उस बच्चे को हम मिलकर क्यों न तलाशें?" 

"तुम सुपरमैन और सुपरवुमन अपने आप को ही शक्तिशाली समझते हो! हम भी तो कुछ हैं?" उस आकृति ने स्पष्ट रूप दिखाते हुए कड़क लहज़े में कहा और एक ज़ोरदार विशिष्ट ताली बजा कर कहा, "भक्तिजान हैं हम.... भक्तिजान! बच्चों को अब तुम्हारी ज़रूरत नहीं! बच्चों के लिए अब मैं ही काफी हूँ!"

"भक्तिजान... हाँ, यही नाम तो पुकार रही थी वह बुज़ुर्ग महिला! तो तुम कोई सुपरवुमन हो, है न!" शक्तिमान तेज़ क़दमों से एक बिल्डिंग के मुख्य द्वार पर पहुँचते हुए बोला।

"रुको शक्तिमान! मैं न पुरुष हूँ... न वुमन! थर्ड जेन्डर हूँ ... किन्नर हूँ मैं! बच्चे और औरतें मुझे 'भक्तिजान' के नाम से जानते हैं... और सुनो... यह केस मेरा है। मुझे अपनी थर्ड सेंस से पता है कि गुंजा को अपहृत कर इसी बिल्डिंग के बेसमेंट में रखा गया है।" यह सुनते ही शक्तिमान के क़दम रुक गये। वह हैरान था कि भारत में 'थर्ड जेन्डर' की शक्ति को इतना महत्व दिया जाने लगा है क्या! 

"शक्तिमान, तुम्हारा काम ज़ोखिम वाली जगहों पर है। बाक़ी जगहों पर हमारा। यह कहकर भक्तिजान ने एक ताली बजायी और कुछ पल बाद उसने कहा, "वे दोनों लड़के इस समय इस बिल्डिंग में रूम नंबर 17 में एक सीनियर कर्मचारी के साथ आगे की योजना बना रहे हैं। तुम छत पर पहुँच कर उन पर नज़र रखो। ... ये भक्तिजान तो जायेगी सीधे बेसमेंट में!" इतना कहकर उसने ताली बजायी और ग़ायब हो गई।

शक्तिमान हैरान था आदेश सुनकर। "ऐसी भी कोई सुपरपावर हमारे देश में है, जो मुझे आदेश दे!" यह सोचते हुए वह बिल्डिंग के एक बड़े से पिलर से होता हुआ रूम नंबर 17 की छत पर पहुंच गया।

 उधर भक्तिजान बिल्डिंग के गलियारे से होती हुई बेसमेंट के लिए लिफ्ट पर सवार हो गई। बेसमेंट पर गुंजा की तलाश शुरू हुई। वहां ठसाठस सामान भरा हुआ था। भक्तिजान ने बारी-बारी से तीन तालियाँ बजायीं। टेबलें और बड़े-बड़े कार्टून एक धक्का देते ही खिसकने लगे। तभी एक दो कार्टूनों के बीच से सिसकने की आवाज़ें सुनाई दीं। भक्तिजान ने तुरंत वहां पहुंच कर देखा कि गुंजा के हाथ-पैर बंधे हुए थे और मुँह पर सख़्ती से कपड़ा लिपटा हुआ था। वह कराह भी नहीं पा रही थी। गुंजा को बंधनों से मुक्त कर भक्तिजान ने एक बार विशेष ताली बजाई और बेसमेंट से ग्राऊण्ड फ्लोर पर गुंजा को लेकर पहुंच गई। मुख्य द्वार पर एक ढोलक नुमा यान प्रकट हुआ और उसमें गुंजा को बिठा कर भक्तिजान सीधे उस की दादी माँ के घर तक पहुँच गई। गुंजा को उसे सौंप कर वह वापस उस बिल्डिंग की छत पर पहुंची जहाँ शक्तिमान उन दोनों लड़कों को सबक़ सिखा रहा था। 

दोनों लड़कों को धूल चटाने के बाद शक्तिमान भक्तिजान से रूबरू हुआ। विशेष अनुरोध पर वह भक्तिजान के ढोलयान पर उसके साथ सवार होकर चला गया अपने अगले मिशन पर। इस बार भक्तिजान का साथ भी उसे मिल रहा था क्योंकि अगला लक्ष्य एक युवती की रक्षा करना था।


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