शेरू (बिल्ली का बच्चा )

शेरू (बिल्ली का बच्चा )

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पिछले साल मेरे घर के मंदिर में एक बिल्ली ने तीन बच्चों को जन्म दिया। उसी रात को सपना आया जिसमें मैने देखा मैने गोद में एक भूरे पीले भूरे रंग का छोटा बिल्ली के बच्चे को उठाया हुआ है जो हाथ से फिसल कर फर्श पर गिर गया। मुझे बहुत दुख हुआ मैने उसे पकडने की कोशिश की तब तक स्वप्न टूट गया।

बगल के कमरे से जब उन नन्हे बच्चों की हल्की हल्की म्याऊं म्याऊ की आवाज आती तो देखने का मन करता लेकिन उनकी माँ ने उन्हे अलमारी के ऊपर रखी गत्ते की पेटी में पैदा किया ताकि कोई उन तक पहंच न सके।

थोडे समय के बाद उनकी माँ ने उन्हे नीचे रखा| जब देखा तो वह तीन बच्चे थे। जिसमें एक पीले भूरे रंग का था मेरी आँखे मारे आश्चर्य के खुली की खुली रह गयी। हे भगवान यह कैसी लीला है। यह मेरे सपने में पहले ही अपनी शक्ल दिखा बैठा।

कहते है बिल्ली सात घर बदलती है, कुछ दिनो बाद जब वो बडे हो गये बिल्ली उन्हे अपने मुँह में दबा कर एक के बाद एक ले गयी| फिर लौट कर आयी म्यांऊ म्यांऊ कर मेरे बच्चो के आगे पीछे घुम घुम कर उसी जगह जाती जहां उसने अपने बच्चे रखे थे।

उसे यह भम्र हो गया की उसका एक बच्चा कम है। बिल्ली के बच्चे आते जाते रहतेे, भूरा पीला रंग का मेरा लाडला है मैने उसका नाम रखा शेरू। उनको पकडती तो एक भी हाथ न आता सिवाय शेरू के। शेरू चुपचाप मेरी पकड में आ जाता और मेरी गोद में खेलता जब भुख लगती तो मांऊ. मांऊ कर मुझसे दूध मांगता।

बिल्ली ने अपने बच्चों को चूहे पकडने से लेकर पॉटी करना, पेड पर चढना सब सिखाया मेरा घर का बगीचा उनके लिए आदर्श स्थान था। घर के चूहे उन बच्चों चट कर डाले मुझे भी चूहों के आतंक से निरात मिली।

शेरू इतना मासूम है कि खुद दरवाजा नही खोलेगा आवाज लगाता है। खोलो बन्द करो खुद को किसी महाराजा से कम नही समझता। जबकि उसके भाई बहन कालू और बौ टाई खुद घर घुस जाते है। रसोई की स्लैप के ऊपर चढ दूध खुद ही पी लेते है। जैसा आमतौर पर बिल्लयां करती है मौका मिलते ही दूध साफ।

शेरू ने कभी ऐसा नही किया, हमेशा मांऊ मांऊ कर खाने को मांगता। उसको नमकीन खाना बेहद पसंद है और ब्रिटेनिया के केक उसके फेवरेट है। एक बार केक खत्म हो गये, सुबह से घमासान बारिस हो रही थी, रूकने के नाम ही नही लेती, शेरू भुखा चिल्लाता रहा मांऊ मांऊ, मजाल जो उसने कुछ खाया पीया दिन भर भुखे प्यासा केक मांगता रहा। शाम को मेरे पति घर लौटे तो उन्होने सबसे पहले शेरू के लिए केक खरीदी तब जाकर शेरू जी की भुख शान्त हुई।

उस दिन के बाद से जो कोई भी बाजार जाता तो केक जरूर खरीद लेता याद से। धीरे धीरे उसका स्वाद बदला और जिद करनी छोड दी। वह इतना बडा हो गया था कि चिडिया का शिकार खुद करता।

बिल्ली के तीनों बच्चे जब बडे हो गये तो खाना मुझ से ही मांगते। उनकी माँ उन्हे बुलाती नही जाते फिर बिल्ली बेफ्रिक हो घर पर कम आने लगी। बिल्ली के बच्चों को नई माँ जो मिल गयी थी। वह तीनों बच्चे निश्चंत हो मेरे पास रहने लगे।


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