सच्चा उपहार
सच्चा उपहार
अर्णव-मम्मी मम्मी हमारे कोई पुराने कपड़े हैं कंबल या चादर कुछ भी है।
मम्मी -हाँ बेटा, क्या हुआ ?
अर्णव मम्मी कल हमारे स्कूल वाले 14 नवंबर को अनाथ आश्रम के लिए दान कर रहे हैं अतः आज हमारे टीचर ने हमें कहा है कि आप अपने घर से अनाथ बच्चों के लिए कपड़े, कंबल या चादर कुछ भी ला सकते हैं।
और हाँ कोई जरूरी नहीं है यह दान आप अपनी मर्जी से कर सकते हैं मम्मी हमें क्या करना है ?
मम्मी- बेटा कल 14 नवंबर है और आपके स्कूल वाले अनाथ आश्रम वाले बच्चों के साथ बाल दिवस मना रहे हैं। अर्णव 14 नवंबर क्यों मनाई जाती है ?
अर्णव -मम्मी 14 नवंबर को बाल दिवस होता है और पंडित जवाहरलाल नेहरू का जन्मदिन बाल दिवस के रुप में मनाया जाता है।
मम्मी -शाबाश अर्णव। हाँ बेटा जब कल नेहरू जी का जन्मदिन है तब हम कल दान न करके उन अनाथ आश्रम वाले बच्चों को उपहार देंगे।
क्योंकि जन्मदिन में हमेशा उपहार दिया जाता है।
अर्णव -थैंक्यू मम्मी मुझे पता था आप जरूर मुझे कुछ उपहार देकर उन बच्चों के लिए भेजोगे।
मम्मी इन बच्चों के माता पिता नहीं हैं फिर यह बच्चे कहां पढ़ते हैं इन को घुमाने कौन ले जाता है? यह क्या हमेशा ऐसे ही हैं रहेंगे ? यह कभी बड़े आदमी नहीं बनेंगे और हमेशा 14 नवंबर का ही इनको उपहार के लिए इंतजार करना होगा।
मम्मी -नहीं बेटा जिनके माता-पिता नहीं होते या किसी कारणवश बच्चों को अनाथ आश्रम में छोड़ दिया जाता है, वहां इनको पढ़ाया-लिखाया भी जाता है व इनको पैरो में खड़ा भी करने के लिए शिक्षा दी जाती है। और इनके सभी जरूरतों का ध्यान समाज के प्रतिष्ठित लोगों द्वारा समय-समय पर अनाथ आश्रम की मदद करके किया जाता है। अर्णव -मम्मी तो कई बच्चे जो होटल में, कारखानों में, सड़कों पर ,मजदूरी में काम करते हैं उन्हें भी अनाथ आश्रम में आकर अपना जीवन बनाना चाहिए।
इतना कहकर अर्णव खाना खाकर खेलने चला गया पर मैं प्रति पल यही सोचती रही कि मेरे 8 साल के बेटे अर्णव ने कितनी बड़ी बात कह दी। शायद बाल मन ने सत्य ही कहने का प्रयास किया है जो लोग बच्चों से काम करवाते हैं वह काम ना करवाकर उन्हें शिक्षा का दान उपहार में दें तब सभी बच्चे शिक्षित होंगे और भारत का नाम रोशन होगा। और यह तोहफा हमारे स्वर्गीय पंडित जवाहरलाल नेहरु के लिए बहुत ही अमूल्य तोहफा होगा जिन्होंने बच्चों के मन में ईश्वर को देखा।
