रोने की उम्र नहीं होती
रोने की उम्र नहीं होती
"क्या हुआ अंकुर ?"
"पापा मैं मैच हार गया ।और अंकुर जोर जोर से रोने लगा ।
"अरे !मैच हारने पर भी कोई रोता है और तुम तो लड़के हो। लड़के रोते नहीं है ।देखो सभी तुम्हें घूर रहे हैं ।क्या कहेंगे? तुम्हारे सारे फ्रेंड्स तुम्हें चिढ़ाने लगेंगे ।"समीर अंकुर को कहते जा रहा था ।"चलो घर ।"अंकुर चुप होने की कोशिश करता हुआ पापा के साथ चल पड़ा।
" क्या हुआ बेटा?"
" मैं हार गया मम्मा ।"और अंकुर मम्मी से लिपट कर रोने लगा। "कितनी प्रैक्टिस की थी मैंने ।सब बेकार हो गया ।"
"कोई बात नहीं बेटा ।फिर मैच आएँगे। ये आखिरी मैच नहीं है। पूरी जिंदगी पड़ी है ।चलो खाना खा लो ।"मीरा ने अंकुर को समझाते हुए कहा ।
"अरे खाना तो खा ही लेगा ।पर पहले तुम इसे चुप कराओ। कब से रोए जा रहा है ।बारह साल का हो गया पर दो साल के बच्चे की तरह रो रहा है ।कितना कहा लड़के रोते नहीं है पर यह मेरी माने तब न....."।
"क्या कहा तुमने !लड़के रोते नहीं है।"
" और क्या ।"
"जाओ बेटा फ्रेश होकर आओ। मैं खाना लगाती हूँ।" अंकुर के जाते ही मीरा बोल पड़ी।"यह फालतू की बातें कहाँ से सीखी तुमने ?रोने की भी कोई उम्र होती है क्या ?और लड़के रोते नहीं है ,यह कन्सेप्ट कहाँ मिला तुम्हें ?किस किताब में लिखा है। अभी से बच्चे के दिमाग में यह सब बात क्यों डाल रहे हो? तुम कभी नहीं रोए क्या?"
"रोया हूँ जरूर रोया हूँ पर बचपन में ।अब कभी तुमने देखा है मुझे रोते हुए ।मन जरूर करता है कि रो कर दिल हल्का कर लूँ। कितनी परेशानियाँ रहती हैं फिर भी मैं नहीं रोता। कैसे रोऊँ? सब क्या कहेंगे कि लड़का होकर ।तुम क्या कहोगी?"
" हाँ, हाँ मैं भी तुमसे कुछ कहूँगी ना ।तुम्हारी मर्दानगी पर सवाल उठाने लगूँगी । और रोना भी कहीं लड़की लड़का या उम्र देखता है ।क्या रोने से तुम कमजोर कहलाओगे ? या कोई कहेगा कि तुम मर्द नहीं हो ?दिल की बातें दिल में रखोगे तो परेशान रहोगे ही ।ऐसे ही लोग आगे जाकर डिप्रेशन का शिकार हो जाते हैं। जो भी परेशानी हो दुख हो,अगर कह नहीं पा रहे हो तो उन्हें आँसू के जरिए बह जाने दो ।अपनी भावनाओं को निकल जाने दो ।उन्हें रोको मत। बेटे को अभी से यह सब बातें क्यों सिखा रहे हो ?अपनी फीलिंग्स को दबाना क्यों सिखा रहे हो ?रो रहा है ,रोने दो ।मन हल्का हो जाएगा उसका। रोने से कोई कमजोर नहीं होता । बल्कि वे लोग तो और मजबूत होते हैं जो अपनी भावनाएँ दूसरे को दिखा पाते हैं ।"
"इतना हाइपर मत हो मीरा। मैं तुम्हारी बात समझ गया। तुम सही कह रही हो ।मैंने तो कभी इस तरह से सोचा ही नहीं था। तुम सही कह रही थी मैं अभी से अंकुर को कमजोर बना रहा हूँ।उसे अपनी भावनाओं को दबाना सिखा रहा हूँ जो कि गलत है ।आगे जाकर उसे बहुत दिक्कत होगी।" समीर की आँखें भींग गई और उसने मीरा को गले लगा लिया।