घनी सी रात में वो थरथराई सी हाइवे पर खड़ी थी , हर आते जाते मुसाफिर को हाथ देती । घनी सी रात में वो थरथराई सी हाइवे पर खड़ी थी , हर आते जाते मुसाफिर को हाथ देती ।
लेकिन आज सड़क वो बातें बयाँ नहीं कर रही थी जो वो हर रोज़ किया करती थी... आखिर क्या है उसकी कहानी ? जान... लेकिन आज सड़क वो बातें बयाँ नहीं कर रही थी जो वो हर रोज़ किया करती थी... आखिर क्या...
अलविदा कहा लेकिन वादा करके आए कि हम फिर से ज़रूर आएंगे। अलविदा कहा लेकिन वादा करके आए कि हम फिर से ज़रूर आएंगे।
और फिर अपने रस्ते चलने लगा थोङी देर बाद मैंने पाया कि वो भी मेरे पीछे पीछे आ रहा है नन्हें नन्हें कद... और फिर अपने रस्ते चलने लगा थोङी देर बाद मैंने पाया कि वो भी मेरे पीछे पीछे आ रहा...
बॉस की डाँट सब भूल गयी थी क्यूंकि गुमान की एक और वजह मिल गयी थी। बॉस की डाँट सब भूल गयी थी क्यूंकि गुमान की एक और वजह मिल गयी थी।
नाराजगी का किस्सा शुरू हुआ तीन दिन पहले जब सरदार सिंह पार्क में दाखिल हुआ । नाराजगी का किस्सा शुरू हुआ तीन दिन पहले जब सरदार सिंह पार्क में दाखिल हुआ ।