Ashish Kumar Trivedi

Others

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Ashish Kumar Trivedi

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रक्षा का वादा

रक्षा का वादा

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इस राखी पर शालिनी ने अपने भाई के लिए एक बहुत ही सुंदर राखी खरीदी थी। वैसे तो हर साल वह अपने भाई को अच्छी राखी बांधती थी। पर इस साल राखी का पर्व उसके लिए और भी खास हो गया था। उसके भाई जतिन ने उसकी रक्षा की थी। 


शालिनी पढ़ने लिखने में बहुत अच्छी थी। वह अपने स्कूल के अन्य कार्यक्रमों में भी बढ़-चढ़कर हिस्सा लेती थी। कई पुरस्कार जीतती थी। पर कुछ दिनों से उसे एक परेशानी झेलनी पड़ रही थी। स्कूल से लौटते समय दो बदमाश लड़के उसे छेड़ते थे। उस पर फब्तियां कसते थे। शालिनी सबकुछ चुपचाप बर्दाश्त करके आगे बढ़ जाती थी। इन सबसे शालिनी बहुत डरी हुई थी। उसने स्कूल से लौटने का अपना रास्ता बदल दिया। अब उसे एक लंबा रास्ता तय करके घर आना पड़ता था। इससे उसे समय भी अधिक लगता था। घर लौटते हुए वह थक भी जाती थी‌। लेकिन उसने अपने घर में इस बारे में कुछ नहीं बताया।


कुछ दिनों तक वह लड़के उसे नहीं मिले। वह खुश हो गई कि उसकी योजना कामयाब हो गई। लेकिन उसकी खुशी ज्यादा दिन तक नहीं टिक पाई। एक दिन जब वह अपने तय रास्ते से लौट रही थी तो वही लड़के उसे दिखाई पड़े। उन्हें देखकर वह डर गई। नजरे झुकाए तेज कदमों से वह आगे बढ़ने लगी। लेकिन वह लड़के बड़ी ही बेशर्मी के साथ उसके पीछे पीछे चल रहे थे। उस दिन तो वह किसी तरह घर वापस आ गई। अगले दिन संडे होने के कारण स्कूल नहीं जाना था। लेकिन मन ही मन वह बहुत डरी हुई थी कि सोमवार को जब स्कूल खुलेगा तो फिर से उनका सामना करना पड़ेगा। 


शालिनी का भाई जतिन एक खिलाड़ी था। उसने जूडो में ब्लैक बेल्ट जीती हुई थी। उसने भी कई प्रतियोगिताओं में मेडल जीते थे। सोमवार को उसका भी एक मैच था। संडे को वह उसके लिए ही प्रैक्टिस करता रहा। शाम को उसने देखा कि शालिनी बहुत उदास सी दिख रही है। उसने अपनी बहन से पूछा,


"क्या बात है शालिनी तुम परेशान लग रही हो ?"


शालिनी ने यह सोचकर कि उसका भाई परेशान हो जाएगा और अपने मैच पर ध्यान नहीं दे पाएगा, बात को बहाना बनाकर टाल दिया। उसने कह दिया कि आज उसने दिन भर पढ़ाई की थी इसलिेए थकी हुई है। सोमवार को जतिन को अपने कॉलेज की तरफ से मैच खेलने जाना था। शालिनी ने उसे ऑल द बेस्ट कहा। जतिन के जाने के बाद वह भी अपने स्कूल चली गई। उसका मन स्कूल जाने का नहीं कर रहा था। लेकिन आज क्लास में टेस्ट था। इसलिए उसका जाना जरूरी था। 


स्कूल पहुंच कर भी शालिनी यही सोचकर परेशान थी कि छुट्टी में क्या होगा ? वह घर कैसे जाएगी ? उसकी कोई सहेली भी उसके घर के पास नहीं रहती थी। इसलिए उसे अकेले जाना पड़ता था। इसी फिक्र में उसका टेस्ट भी खराब हो गया। 


परेशान वह डरी हुई स्कूल के गेट से निकली। उसने सोचा था कि आज वह पुराना छोटा वाला रास्ता ही अपना लेगी। हो सकता है वह लड़की उस रास्ते पर ना मिलें। लेकिन स्कूल से कुछ ही दूर बढ़ने पर जब वह उस मोड़ पर मुड़ी जहां से दोनों रास्ते जाते थे तो उसने देखा कि वह लड़के खड़े हुए हैं। उन्हें देखकर वह और डर गई। उसकी आंखों में आंसू आ गए। उसकी यह हालत देखकर उन लड़कों की हिम्मत और बढ़ गई। उनमें से एक ने आगे बढ़कर शालिनी का हाथ पकड़ लिया। आसपास कोई भी नहीं था। शालिनी जोर जोर से रोने लगी। 


जिस लड़के ने हाथ पकड़ रखा था उसे अचानक एक जोर का मुक्का लगा। उसने शालिनी का हाथ छोड़ दिया। उस दिन में तारे नजर आ रहे थे। उसका साथी आगे बढ़ा तो उसे भी मुक्के का सामना करना पड़ा। दोनों दर्द से तड़प रहे थे। शालिनी यह देखकर हैरान थी कि उन लड़कों की पिटाई करने वाला उसका भाई जतिन था। 


जतिन ने उन लड़कों की अच्छी तरह पिटाई की। उसके बाद उन्हें धमकी दी कि दोबारा उसकी बहन के साथ कुछ गलत करने की हिम्मत ना करें। वह शालिनी को अपने साथ घर ले आया। घर पहुंच कर उसने शालिनी को बताया कि आज का मैच भी उसने जीत लिया था। घर लौट कर उसने सोचा कि आज वह शालिनी को खुद घर ले आए। इसलिए वह उसे लेने के लिए गया था। पर जब उसने देखा कि वह लड़के उसे छेड़ रहे हैं तो उसका खून खौल उठा। उसने दोनों की जमकर पिटाई कर दी। अब वह कभी भी उसके साथ गलत करने की हिम्मत नहीं करेंगे। 


शालिनी खुश थी। उसके भाई ने उसकी सबसे बड़ी समस्या हल कर दी थी। इसलिए राखी पर उसने जतिन के लिए एक खास राखी चुनी थी। रक्षाबंधन वाले दिन शालिनी ने जतिन को तिलक लगाकर उसे राखी बांधी। मिठाई खिलाई। फिर उससे अपना गिफ्ट मांगा। जतिन अपने कमरे में गया और एक पैकेट लेकर आया। पैकेट बड़ा था। शालिनी खुश थी कि उसे एक नई ड्रेस मिली है। उसने फौरन पैकेट खोला। वह देखकर दंग रह गई। वह जूडो की ड्रेस थी। उसने पूछा,


"ये क्या है भइया ?"


जतिन ने कहा,"तुम्हारी रक्षा का जो वादा मैं हर साल करता हूं उसे पूरा करने के लिए।"


"मतलब ? वह वादा तो आपने उस दिन पूरा कर दिया। आप उस दिन ना आए होते तो मेरा क्या होता।"


"तभी तो यह लाया हूं। हर समय तो मैं तुम्हारे साथ नहीं हो पाऊंगा। इसलिए तुम्हें इस लायक बनाऊंगा कि तुम खुद ऐसे लोगों को सबक सिखा सको। मैंने अपने सर से बात कर ली है। तुम उनकी अकादमी में जाओगी। बाकी मैं भी हूं तुम्हें सिखाने के लिए। मुझे पूरी उम्मीद है कि अगली राखी तक तुम खुद अपनी रक्षा करने के लिए लायक हो जाओगी।"


जतिन की बात शालिनी को अच्छी लगी। उसने अपने भाई को गले लगा लिया।


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