STORYMIRROR

Sharda Kanoria

Others

3  

Sharda Kanoria

Others

पतझड़

पतझड़

2 mins
318

सर्द अंधेरी रात और कड़कड़ाती ठंड! चारों तरफ कोहरे की चादर खिड़की पर खड़ी में दूर तक फैले वीराने को देख रही हूं, जहां सिर्फ पत्तों की सरसराहट है। लगता है दूर कहीं कोई चल रहा है और मेरे पास आ रहा है।


 हां यह भ्रम ही तो है, कुछ वर्ष पहले तुम हमारे गांव आए थे तुम्हें बहुत पसंद आया था गांव और साथ ही मैं भी। अपने प्यार का इजहार भी तुमने किया तब लगा मेरी तो किस्मत ही खुल गई है और समझने लगी दुनिया की सबसे खूबसूरत लड़की मैं ही हूँ।

     तुम्हारे वादे और तुम्हारा संग जीवन कितना खुशनुमा लगने लगा था। सर्दी कम होने लगी थी और बसंत पूरजोश में खिलखिला रहा था। गर्मी के मौसम की आहट हो गई थी। सब और मुस्कुराती हरियाली और खिलखिलाते बगीचे। गुलमोहर अमलतास के झाड़ पेड़ों पर तो खूबसूरत लगते थे परंतु धरा पर भी लाल पीली चादर फूलों की बिछा ही देते थे। इतना खूबसूरत जीवन तुम संग रहने की आदत सी बन गई। थोड़ा भी ओझल होते नजरों से तो मन विचलित हो जाता।

 फिर एक दिन तुम ने फैसला सुनाया, मुझे जाना होगा, काम है, जल्दी लौट आऊंगा। परंतु तुम नहीं आए और तुम्हारा पैगाम भी नहीं आया। बहुत कोशिश की लेकिन नाकामी ही हाथ लगी।

   हर आहट पर लगता तुम आए हो परन्तु दिन, महीने, साल बीतते चले गए, सारे मौसम भी सुने से हो गए पत्ते भी पीले होकर टूटकर गिरने लगे मेरी हालत भी इस पतझड़ के मौसम सी हो गई। इन पेड़ों को उम्मीद थी नए पत्ते आएंगे नई कोंपलें फूटेंगी, मैंने भी सोचा तुम भी मेरे जीवन के पतझड़ को हरियाली में बदल दोगे लेकिन ऐसा नहीं हुआ। हरियाली की जगह बालों की चांदी ने ले ली। चेहरे की रौनक पर झुर्रियों की चादर बिछ गई। एक दिन अचानक एक पत्र मिला तुम्हारा स्वर्गवास हो गया है। मेरा तो जीवन ना चाहते हुए भी आजीवन पतझड़ सा हो गया। एक उम्मीद रहती थी वह भी टूट गई, पता किया क्या हुआ कैसे हुआ? तब पता चला शहर में तुम्हारा परिवार है, बच्चे हैं, सभी दुखी हैं। अचानक दिल का दौरा पड़ा तुम्हें और तुम सभी बंधनों से मुक्त हो गए। 

 फिर खिड़की के पास खड़ी सोच रही हूं मैं कहां हूं तुम्हारी जिंदगी में, क्यों तुम्हारे इंतजार में बाल सफेद कर दिए। मेरा गुनाह क्या था? तुमने तो जिंदगी को बेरंग बना दिया ।बुझा बुझा सा दिल लिए बिना किसी को बताए मैं लौट आई अपने गांव और


फिर खिड़की के पास देख रही हूं वही सर्द रात और कड़कड़ाती ठंड...

एक अंजान की कहानी


Rate this content
Log in