Padma Agrawal

Others

4  

Padma Agrawal

Others

पश्चाताप

पश्चाताप

17 mins
318


गार्गी टैक्सी की खिड़की से बाहर झांक रही थी ..परंतु उसके दिमाग में जीवन के पिछले वर्ष चलचित्र की भांति घूम रहे थे ... उसकी अंगुलियां मोबाइल पर अनवरत चल रहीं थीं ..आरव प्लीज मुझे एक मौका दो ...तुमने मुझे प्यार, समर्पंण, भरोसा, सुख सुविधा सब कुछ देने की कोशिश की लेकिन मैं पैसे के पीछे भागती रही और आज इस दुनिया में नितांत अकेली खड़ी हूं ... उसकी तंद्रा भंग हुई थी,’’मैडम कहां चलना है।‘’

‘मैरीनड्राइव’, उसका प्रिय स्थान, जहां समुद्र की उठती लहरें और लोगों का हुजूम देख कर उसका अकेलापन कुछ क्षणों के लिये दूर हो जाता रहा है। वह एक कॉलेज युगल को हाथ में हाथ डाले घूमते देख आरव की यादों में खो गई .... गार्गी साधारण परिवार की महत्वाकांक्षी लड़की थी, उसने अपने मन मे सपना पाल रखा था कि वह किसी रईस लड़के के साथ शादी करेगी। दूध सा गोरा रंग, गोल चेहरा, बड़ी बड़ी कजरारी आंखें, अनछुई सी चितवन, मीठी सी मुस्कान ...किसी को भी अपनी ओर लुभा लेती थी। आरव उससे सीनियर था लेकिन पहली झलक में ही वह उसे देख मुस्कुरा पड़ी थी, उसका कारण उसका बड़ी सी गाड़ी में कॉलेज आना था ... वह छः फीट लंबा, गोरा आकर्षक लड़का, उसके हाथ में आईफोन, आंखों पर मंहगा ब्राण्डेड गागल्स देख उस पर आकर्षित हो गई थी ... सोशल साइट्स, और व्हाट्ऐप पर चैटिंग शुरू होते ही बात कॉफी तक पहुंची और जल्द ही दोनों ने एक दूसरे के हाथों को पकड़ कर प्यार का भी इजहार कर दिया था।

    आरव ने एक दिन गार्गी को अपने मम्मी पापा से भी मिलवा दिया था, उन लोगों ने मन ही मन दोनों के रिश्ते के लिये हामी भी भर दी थी। गार्गी कभी अपनी मां की तो सुनती ही नहीं थी इसलिये उन लोगों की परमिशन वगैरह की उसे कोई फिक्र ही नहीं थी।

 अब दोनों प्यार के पंछी आजाद कॉलेज टूर, पिकनिक, डेटिंग, पिक्चर, वीकेन्ड में आउटिंग, वैलेन्टाइन डे से बढ़ती मुलाकातों से दोनों के बीच की दूरियां कम होती गईं। दोनों के बीच प्यार मोहब्बत की बातें, किस्में वादे, शादी की प्लैनिंग, शादी के बाद हनीमून कहां मनायेंगे, किस फाइव स्टार में बुकिंग करेंगे आदि बातें होती थीं।

गार्गी कुछ ज्यादा ही मार्डन टाइप थी ... नये फैशन के कपड़े, ड्रिंक, स्मोक, पब, डिस्को, ड्रग्स सब कुछ उसे पसंद था। आरव उसके प्यार में डूबा हुआ उसका साथ देने के लिये नशा करने लगा और नशे में ही दिल का रिश्ता शरीर तक जा पहुंचा और उस दिन दोनों ने प्यार की सारी हदें पार कर दी थी।

वैसे भी दोनों शीघ्र ही एक दूसरे के होने वाले ही थे। आरव का प्लेसमेंट नहीं हुआ था इसलिये वह परेशान रहता था। गार्गी उससे गोवा चलने की जिद कर रही थी ... उसने जोर से डांट कर कह दिया कि गोवा कहीं भाग जायेगा क्या ?

गार्गी नाराज होकर वहां से चली गई और बातचीत बंद कर दी। आरव अपनी चिंताओं में खोया हुआ था। दोनों ने छोटी सी बात को अपना अहम का प्रश्न बना लिया था। उसने तो मोबाइल से उसका नंबर भी डिलीट कर दिया था। कुछ ही दिन बीते थे ... उसके जीवन में पुरू आ गया वह आरव से ज्यादा पैसे वाला था। वह बचपन से बड़े सपने देखने वाली लड़की थी, अपने ख्वाबों को पूरा करने के लिये मार्ग में आये अवरोधों को दूर करने के लिये साम दाम दंड भेद सब कुछ आजमा लेती थी.....एक दिन वह पुरू के साथ शहर के एक कैफे में बैठी थी कि उसकी निगाह एक टेबिल पर बैठे आरव और उसके दोस्तों पर पड़ी तो वह जानबूझकर उन्हें अनदेखा कर दिया।

    पुरू उसका बॉस था वह कंपनी में सीनियर मैनेजर की पोस्ट पर था। आकर्षक सजीला सांवला सलोना पुरू की सीनियर मैनेजर की पोस्ट और उसका बड़ा पैकेज देख कर उसने उसके साथ चट मंगनी पट ब्याह रचा लिया ... उसने अपनी सगाई की फोटो फेसबुक और दूसरी सोशल साइट्स पर शेयर की थी। वह हीरे की अंगूठी पाकर बहुत खुश थी।

आरव को उसकी फोटोज देख कर सदमा सा लगा था। उसने कमेंट बॉक्स में लिखा भी था ... वह प्यार मोहब्बत की बातें, कसमें,वादे, जो सपने हम दोनों ने साथ बैठ कर देखे थे, सब झूठे हो चुके ....

शौकीन पुरू की जीवन शैली दिखावे वाली थी ... उसका लक्जीरियस फोरबेडरूम फुल्लीफर्निश्ड फ्लैट, बड़ी गाड़ी ... और ऐशो आराम का सारा सामान देख वह अपने चयन पर खिलखिला उठी। पार्टीज में जाना, जाम पर जाम छलकाना रोज का शगल था। गार्गी के लिये तो सोने के दिन और चांदी की रातें थीं, उसने यही सब तो चाहा था ....

कुछ दिन तो मस्ती में कटे.... सिंगापुर, मॉरीशस, हांगकांग, कभी गोवा के बीच पर तो कभी रोमांटिक खजुराहो, तो कभी ऊटी की ठंडी वादियां तो कभी कोबलम का बीच.. वह बहुत खुश थी। बस एक बात नहीं समझ में आती कि वह अपने फोन पर लंबी बातें करता लेकिन हमेशा उससे अलग हट कर, अपना लैपटॉप भी लॉक रखता ... अब जब वह उसके जीवन से चला गया तो महसूस हुआ कि उसने उसके साथ शादी किसी खास मकसद से की थी वह स्मग्लिंग के धंधे में उसका इस्तेमाल करता था, लेकिन वह तो इंद्रधनुषी सपनों में डूबी हुई थी। हसीन ख्वाबों में खोई हुई अपनी नौकरी भी छोड़ दी थी। उससे मिलने लोग आते और कुछ खुसुर फुसुर बातें करते और रात के अंधेरे में ही चले जाते। पिछले कुछ दिनों से वह परेशान रहने लगा था वह कहने लगा कि मेरी सैलरी अभी नहीं आई है ...कंपनी घाटे में चल रही है...आदि आदि 

एक दिन वह भागते हुये आया कि मुझे एक प्रोजेक्ट के सिलसिले में इटली जाना है कुछ दिनों के बाद तुम्हें बुला लूंगा और वह जल्दी जल्दी अपना बैग पैक कर चला गया.... वह बहुत खुश थी और उसके पास इटली जाने की तैयारी में थी । तभी कोरोना बम फट पड़ा और लॉकडाउन होते ही सब कुछ ठहर सा गया ...उसी के साथ उसके सपने धराशाई होते दिखाई पड़ने लगे ....कुछ महीनों तक तो उससे बात होती रही फिर उससे संपर्क भी टूट गया ....

     अब वह समझ नहीं पा रही थी कि क्या करें.... कोरोना ने पैर पसार लिये थे। यहां भी लॉकडाउन की आहट थी। वह परेशान होकर पुरू को फोन करती, ‘’ तुमने पैसे ट्रान्सफर नहीं किये, मेरा खर्च कैसे चले ?’’

“फ्लैट का किराया, गाड़ी वगैरह .... जो फ्लैट बुक किया था, वहां से भी मेल आई है ...वह डील कैंसिल कर देने की धमकी दे रहा है .... “

“ हां, मुझे सब मालूम है ...मेरी कंपनी बंद हो गई है और यहां कोरोना फैल गया है इसलिये लॉकडाउन कर दिया गया है.. मैं स्वयं बहुत बड़ी मुसीबत में हूं .... उसके इंतजार में 3-4 महीने बीत गये थे ... उसको समझ आ गया था कि वह ठगी गई है और फिर उसके बाद उसने अपना सिम बदल कर उससे संबंध समाप्त कर लिया। वह फ्लैट किसी और का था, केवल कुछ महीनों के लिये ही लिया गया था इसलिये अब मजबूर होकर वह अपनी मां के पास आ गई और फिर से नौकरी कर ली .... कुछ दिनों तक तो पुरू के दिये धोखे से वह बाहर नहीं आ पा रही थी। वह खोई खोई और उदास रहती। मां ने पहले ही उसे जल्दी बाजी में शादी करने से बहुत मना किया था परंतु वह तो उसके बड़े पैकेज की दीवानी थी। उसने नाराज होकर उसका नंबर भी ब्लाक कर दिया था और अपनी शादी की यादों के पन्ने को फाड़कर अपने जीवन में आगे बढ़ चली थी।

कुछ दिनों तक तो वह रोबोट की तरह भावहीन चेहरा लिये घूमती ... फिर अपना पुराना ऑफिस ज्वायन कर लिया वहीं पर एक पार्टी में उसने एक सुदर्शन व्यक्तित्व के युवक को देखा ... उसकी उम्र लगभग 30 – 35 के आसपास, गेहुंआ रंग, इकहरा बदन, लंबा सा कद, कुल मिलाकर सौम्य सा व्यक्तित्व ... कनपटी पर एक दो सफेद बाल उसके चेहरे को गंभीर और प्रभावशाली बना रहे थे। कहा जाये तो लव ऐट फर्स्ट साइट जैसा ही कुछ था ... काला ट्राउजर और स्काईब्लू शर्ट, पर उसकी नजरें ठहर कर रह गईं थीं।

   शायद उसका भी यही हाल था, क्योंकि वह भी उसी जगह ठहर कर खड़ा उसी पर अपनी निगाहें लगाये हुये था ...

“हेलो, मी विशेष ‘’

“माईसेल्फ गार्गी ‘’

उसको देखते ही उसका तन मन खुशी से झूम उठा था। वह सोच रही थी कि खुशी तो उसके इतने करीब थी, लगभग उसके आंचल में थी, उसे पता ही नहीं था । हेलो ...हाय ...का रिश्ता जल्दी बातों और मुलाकातों में बदल गया था। बातों बातों मे उसे विश्वास में लेने के लिये उसने अपने जीवन की सच्चाई को निःसंकोच बता डाला था। पापा उस पर शादी के लिये दबाव डलते रहे लेकिन जिसको मैंने चाहा, वह उससे राजी नहीं हुये .... बस मैंने भी सोच लिया कि शादी ही नहीं करूंगा। एक दिन पापा का हार्टफेल हो गया .... फिर दुःख की मारी अम्मा भी अपनी बहू का मुंह देखने को तरसती रहीं और पापा के विछोह को सहन नहीं कर पाईं और जल्दी ही इस दुनिया से विदा हो गईं।

  ‘’अब उसकी जिंदगी पूरी तरह से आजाद और सूनी हो गई थी। एमएनसी में अच्छी पोस्ट पर हूं, अच्छा भला पैकेज है परंतु अपने जीवन के एकाकीपन से तंग आ चुका हूं ....शादी डॉट कॉम जैसी साइट पर अपने लिये लड़की ढूंढता रहता हूं ... लेकिन मेरी खोज अभी जारी है..... ‘’

“आपको देख कर लगा कि शायद आप ही मेरे लिये परफेक्ट साथी हो सकती हैं। “

वह तो उसी के ऑफिस के दूसरे सेक्शन में था।

दोनों के मन में एक सी हिलोरें उठ रहीं थी। कभी लिफ्ट तो कभी पार्किंग, तो कभी कैंटीन में मिलना जरूरी सा लगने लगा था।

व्हाट्सऐप और फोन पर लंबी बातें देर रात तक होने लगीं ... दीवानगी अपने चरम पर थी कि एक दिन उसने जान बूझ कर अपना फोन बंद कर दिया और ऑफिस भी नहीं गई, इस तरह से दो दिन बीत गये थे ... उसके मन में अपराध बोध का झंझावात चल रहा था कि वह पुरू के साथ अन्याय कर रही है.....

क्यों? उसका अंतर्मन बोला था कि विशेष उसका केवल अच्छा दोस्त है ... वह उसके दिल की भावनाओं को समझता है ...परंतु वह उससे सच्चाई बतानें में क्यों डर रही है ... उसकी आत्मा उसे धिक्कारती रहती लेकिन विशेष को देखते ही वह सब कुछ भूल जाती थी ... इसी पेशो पेश में वह घर में ही लेटी रही थी।

उसकी कॉलबेल बजी तो वह चौंक पड़ी थी।...दरवाजे पर विशेष को खड़ा देख वह प्रफुल्लित हो उठी थी

“अरे आप !‘’

“आपको दो दिन से देखा नहीं इसलिये चिंतित हो उठा था, आखिर आपका दोस्त जो ठहरा ...’’

“बस यूं ही ... सिर में दर्द था और सच कहूं तो मूड ठीक नहीं था ....’’

“मेरे होते हुये मूड क्यों खराब है ? आज मेरा ऑफिस नहीं है वर्क फ्रॉम होम ले रखा है। आज की मीटिंग पोस्टपोन कर देता हूं .... चलिये कहीं बाहर चलते हैं ... वहीं कहीं लंच कर लेंगें ‘’

उसके मन में लड्डू फूट पड़े थे। वह तो कब से चाह रही थी कि वह उसकी बाहों में बांह डाल कर कहीं बाहर घूमने जाये ....किसी फाइव स्टार में लंच और फिर शॉपिंग करवाये।

उसके मन में पुलक भरी सिहरन थी। दिसम्बर का महीना, बादल छाये हुये थे, हवा में ठंडापन होने से मौसम खुशनुमा हो रहा था। वह मन से तैयार हुई थी ...उसने स्कर्ट और टॉप पहना था। जब वह तैयार होकर बाहर आई तो उसकी निगाहें उस पर ठहर कर रह गईं थी। विशेष उसे अपलक निहारता रह गया था ।

मां ने उस दिन उसे टोका भी था ‘,अब ये नया कौन आ गया तेरे जीवन में ?’

“यॆ विशेष हैं मेरा अच्छा दोस्त ... उससे ज्यादा कुछ भी नहीं ....मेरे ही ऑफिस में काम करता है। ‘’

जब उसने शिष्टता के साथ उसके लिये कार का दरवाजा खोला तो उसके मन में पुरु की यादें ताजा हो उठीं, उसने तो इस तरह से उसके लिये कभी भी गाड़ी का गेट नहीं खोला लेकिन उन यादों को झटकते हुये वह वर्तमान में लौट आई थी।

‘’पहले कहां चलोगी .... आपने लंच कर लिया? “

“नहीं, वह सकुचा उठी थी ‘’

“फिर तो चलिये पहले लंच करते हैं ...मेरे पेट में भी चूहे बहुत जोर जोर से चहल कदमी कर रहे हैं ‘’।वह अपनी बात पर जोर से हंस पड़ा था।

उसने एक बड़े रेस्ट्रां के सामने गाड़ी रोक दी थी। वहां एक वाचमैन ने तुरंत आकर उसके हाथ से गाड़ी की चाभी ली और गाड़ी पार्क करने के लिये ले गया था। उसने वहां पर एक कोने की टेबिल पर सीधे पहुंच गया,शायद पहले से बुक कर रखा था। एकबारगी पुनः उसका दिल धड़क उठा था। विशेष की आंखों में अपने प्रति प्यार वह स्पष्ट रूप से देख रही थी . उसका प्यार भरा आमंत्रण उसके मन में प्यार की कोंपलें खिला रहा था। परंतु मन ही मन अपने कड़वे अतीत को लेकर डरी हुई थी। जब उसे उसके बारे में सब कुछ मालूम होगा तब भी वह इसी तरह से उसके प्रति समर्पण भाव रखेगा एक क्षण को इसका सर्वांग सिहर उठा था। विशेष से उसे प्यार हो गया था। उसके प्रति उसकी दीवानगी बढ़ती जा रही थी। उस दिन उसने मॉल से उसको शॉपिंग भी करवाई थी। बार बार पुरू उसकी स्मृतियों के द्वार पर आकर खड़ा हो जाता था।

    सिलसिला चल निकला था ...दोनों ही मिलने का बहाना ढूंढते थे। मैरीन ड्राइव, कभी जुहू बीच के किनारे बैठ कर समुद्र की आती जाती लहरों को निहारते हुये प्यार की बातें करना बहुत पसंद था। शाम गहरा गई थी ... समुद्र तट पर दोनों देर तक टहलते रहे थे आज उसने रेड कलर का स्लीवलेस टॉप और जींस पहनी हुई थी ... वह जानती थी कि ये ड्रेस उसके ऊपर बहुत फबती है और वह पहले ही वॉशरूम में अपने मेकअप को टचअप करके आई थी। अचानक ही विशेष ने उसकी हथेलियों को थाम लिया था ... इतने दिनों के बाद किसी पुरुष के स्पर्श को पाकर वह रोमांचित हो उठी थी वह कांप उठी थी उसे फिर से पुरू याद आ गया था ... वह भी तो ऐसे ही मजबूती से उसकी हथेलियों को पकड़ लेता था। क्षण भर को वह भावुक हो उठी थी, उसने एक झटके से उसकी हथेलियों को परे झटक दिया था।

‘सॉरी ‘ कह कर वह उससे थोड़ा दूर होकर चलने लगा था।

वह जाने क्यों विशेष के साथ नॉर्मल नहीं हो पा रही थी ....उसके साथ लंच पर जाना , शॉपिंग पर जाना और अब शाम के अंधेरे में उसकी हथेलियों पर उसका स्पर्श उसके अन्तर्मन में पुरू के प्रति अपराध बोध सा भर रहा था क्योंकि उसके मेसेज आये थे परंतु उसने नाराजगी में उसका उत्तर नहीं दिया था। आखिर वह उसके साथ बेवफाई करने पर क्यों आमादा है ? उसकी नौकरी छूटी है तो दूसरी मिल जाती ... वह बेचारा तो स्वयं ही मुसीबतों का मारा था ....

    परंतु विशेष का आकर्षण उस पर हावी था। उसकी मनोदशा दोराहे पर थी ...इधर जाऊं कि उधर ...उसका लालची मन निर्णय नहीं ले पा रहा था ... एक शाम वह किसी गार्डेन में झाड़ी में छिप कर बैठे थे विशेष बिल्कुल उसके करीब था, यहां तक कि उसकी धौंकनी सी तेज सांसों को भी वह महसूस कर रहीं थी। वह स्वयं भी तो कब से उसकी बांहों में खो जाने का इंतजार कर रही थी ...विशेष ने भी उसके मन की भावनाओं को समझ लिया था और फिर जाने कब वह उसकी बांहों में सिमटती चली गई थी। कुछ देर तक दोनों यूं ही निः शब्द एक दूसरे के आलिंगन में थे ... फिर धीरे से वह उससे अलग हो गई थी।

विशेष के चेहरे पर उदासी की छाया मूर्त हो उठी थी।

अब उसका घर पर आना बढ़ गया था ... कभी घर के खाने के लिये तो कभी घर का कोई सामान लेकर आ जाता तो कभी मम्मी से मिलने के बहाने से आ जाता।

परंतु उसकी तेज निगाहों से छिपा नहीं था कि वह मात्र उससे ही मिलने के लिये ही बहाना खोजता रहता है।

मम्मी ने उसे कई बार समझाने की कोशिश की थी कि तू गलत रास्ते पर चल पड़ी है। ये पुरू के साथ अन्याय होगा ...

परंतु विशेष का फ्लैट देख उसकी आंखें चौंधिया उठी थी। जब वह पहली बार उसको अपने फ्लैट पर लेकर आया तो पहले तो वह हिचकिचा रही थी, मन ही मन कसमसा रही थी ... परंतु उसका प्यासा तन किसी मजबूत बाहों में खोने को बेचैन हो रहा था ....जब उसने प्यार से उसकी दोनों कलाइयों को पकड़ा तो फिर से पुरू की कठोर पकड़ याद आ गई थी। वह सोचने को मजबूर हो उठी थी कि यह कितना सभ्य और शालीन है कि उसे ऐसे पकड़ता है कि मानो वह कोई कांच की गुड़िया हो।

 परंतु पुरू की अदृश्य परछाईं उन दोनों के बीच आकर खड़ी हो जाती और वह आहिस्ता से पीछे हट कर उसकी मजबूत कलाइयों को अपने से दूर कर दिया था।

   वह स्वयं भी नहीं समझ पा रही थी कि वह चाहती क्या है ? एक ओर तो वह विशेष के सपनों में खोई रहती है और जब वह मिलता है तो वह उसे अपने से दूर कर देती है, जब कि वह उसकी बांहों में पूरी तरह से डूब जाना चाहती थी।

  क्यों पुरू का स्पर्श, उसके साथ बिताये हुये मधुर पल याद आने लगते हैं। उसकी स्मृतियों में आरव भी बार बार अपनी दस्तक देने से नहीं बाज आता ....क्या ऐसा है कि औरत अपना पहला प्यार कभी नहीं भूल पाती...शायद यही वजह होगी कि आरव आज भी उसके ख्वाबों में आकर उससे अक्सर पूछता है कि गार्गी तुम खुश हो?

  पैसे की अंधी दौड़ में उसने पुरू के साथ प्यार किया ... शादी की .... उसने वह सब कुछ देने की कोशिश की थी जो उसने चाहा था .... पुरू ने उसे कभी किसी चीज के लिये मना नहीं किया था ... क्या पता वह सचमुच किसी मुसीबत में हो .....

  एक शाम वह मॉल में शॉपिंग कर रही थी तभी पुरू पर उसकी निगाह पड़ी थी, उसके साथ एक लड़की भी थी दोनों की निगाहें मिल गईं थीं लेकिन पुरू तेजी से भीड़ का फायदा उठा कर उससे बच कर निकल गया था। अब तो वह ईर्ष्या से जल भुन गई और विशेष के साथ लिव इन में रहने लगी थी। उसका लक्जीरियस एपार्टमेंट, बड़ी गाड़ी, महंगे ड्रिंक, हाई सोसाइटी के लोगों की पार्टियों में उसकी बांहों में बाहें डाल कर डांस करना .... वह तो मानो फिर से सपनों की दुनिया में खो गई थी।

   उसका दिन तो ऑफिस में किसी तरह बीतता लेकिन शामें तो विशेष की मजबूत बांहों के साये में हंसते खिलखिलाते बीत रही थी। उसने पुरू की यादों की परछाईं को अपने से परे धकेल कर अपने लिव इन का एनाउंसमेंट मां के सामने कर दिया था।

 उन्होंने उसे समझाने की बहुत कोशिश भी की थी कि स्त्री का यौवन सदा नहीं रहता है और पुरुष का भ्रमर मन यदि बहक कर दूसरे पुष्प पर अटक जायेगा तो ‍फिर से तुम एक बार लुटी पिटी सी अकेली रह जाओगी परंतु उसके मन की धन लिप्सा और उसकी लोलुपता ने सही गलत कुछ भी सोचने ही नहीं दिया था र इस अंधी दौड़ में चलती हुई एक के बाद दूसरा साथी बदलती रही ...

लगभग चार महीने बीत चुके थे वह उसके साथ पत्नी जैसा व्यवहार करने लगी थी ...कहां रह गये थे ... हाहर खाना खाकर आना था तो फोन कर सकते थे .... आदि आदि परंतु उसकी बाहों में खोकर वह आनंदित हो उठती थी ...लेकिन कुछ दिनों से वह विशेष की निगाहों में अपने प्रति उपेक्षा महसूस कर रही थी ...वह उसका इंतजार करती रह जाती और वह अपनी मनपसंद डियो की खुशबू फैलाता हुआ यह कह कर निकल जाता कि ऑफिस की जरूरी मीटिंग है ...

 अब वह उपेक्षित सी महसूस करने लगी थी। उसका बर्थडे था इसलिये बाहर डिनर की बात थी ... उसने छोटी सी पार्टी की भी बात कही थी लेकिन उसका कहीं अता पता नहीं था, उसने जब फोन किया तो बैकग्राउंड से म्यूजिक की आवाज सुन कर उसका माथा ठनका था .... लेकिन जब वह झिड़क कर बोला, ‘’परेशान मत करो मैं जरूरी मीटिंग में हूं। “

उस दिन वह सिसक पड़ी थी लेकिन मन को तसल्ली देकर सो गई कि सच में ही वह मीटिंग मे ही होगा।

 अब वह बदला बदला सा लगने लगा था। अक्सर खाना बाहर खाकर आता ...ड्रिंक भी करके आता ...कुछ कहने पर अपने नये प्रोजेक्ट में बिजी होने की बात कह कर घर से निकल जाता।

 वह अकेले रहती तो अपने लैपटॉप से सिर मारती रहती तभी उसकी निगाह एक मेल पर पड़ी थी ... आज विशेष की बर्थडे पार्टी थी ... उसमें वह उसे क्यों नहीं लेकर गया .... वह उसे सरप्राइज देने के लिये तैयार होकर वहां पहुंच गई थी ... उसने कांच के दरवाजों से देखा कि विशेष किसी लड़की की बाहों को पकड़ कर डांस कर रहा था ..... वह क्रोधित हो उठी थी... उसको अपने हक पर किसी का अनाधिकृत प्रवेश महसूस हुआ था ... वह तेजी से अंदर पहुंच गई थी ..अपने को संयत करते हुये वह बोली, ‘’हैप्पी बर्थ डे विशेष ‘’, वह जान बूझ कर उसके गले लग गई थी।

विशेष चौंक उठा था, जैसे उसकी चोरी पकड़ी गई हो .... उसको अपने से परे करते हुये बोला, ‘’तुम यहां कैसे’’

दोनों की डांस की मदहोशी में खलल पड़ गया था ...

‘’आई एम गार्गी ... विशेष की लिव इन पार्टनर ‘’

निया नाराज होकर चीख पड़ी, ‘’यू रॉस्कल ...यू चीटेड मी ..यू टोल्ड मी दैट यू आर सिंगिल ‘’

“ यस डियर, आइ एम सिंगिल .... शी इज माइ लिवइन पार्टनर ओनली ‘’

     उसके कानों में मानो किसी ने गर्म पिघला शीशा किसी ने उडेल दिया हो। भरी महफिल में वह बुरी तरह अपमानित की गई थी। विशेष उसे ऐसी अपरिचित और खा जाने वाली निगाहों से देख रहा था .... उसके कानों में बार बार गूंज रहा था ... यस आइ एम सिंगिल ... शी इज माई लिव इन पार्टनर ओनली ....

 उसने समझ लिया था कि अब विशेष से कुछ भी कहना सुनना व्यर्थ है ... वह एक बार फिर अपनी धन लिप्सा की अंधी दौड़ के कारण छली गई है, ठगी गई है ....

     यह एहसास उसके दिल को घायल कर रहा था। उसकी सारी खुशियां, जीवन का उल्लास, पल पल संजोये हुये सारे सपने सब कुछ खोखले और झूठे दिखाई पड़ रहे थे ... मानो सारी दुनिया उसे मुंह चिढ़ा रही थी।

वह मन ही मन पछता रही थी कि काश वह आरव के प्यार को न ठुकराती...

 उसकी आंखों से पश्चाताप की अश्रु धारा निर्झर रूप से प्रवाहित हो रही थी .....

 


Rate this content
Log in