प्रेरणा
प्रेरणा
निधि अपनी आयु से बहुत आगे की सोच रखने वाली लड़की थी। अक्सर वो ऐसी बात कह जाती कि उसके माता-पिता और शिक्षक भी हतप्रभ रह जाते। दो वर्ष पूर्व उसने इस विद्यालय मे कक्षा ९ मे प्रवेश लिया था। पुराना विद्यालय कक्षा ८ तक ही था, इसलिये उसे विद्यालय बदलना पड़ा था। यहां भी उसने आते ही धाक जमा ली थी। कुछ महीनों तक तो सब कुछ सामान्य तरह से चला। फिर अचानक मध्यान्तर के बाद वाली कक्षा से वह नदारद रहने लगी। यह कक्षा अंग्रेजी की होती थी। कुछ दिन देखने के बाद शिक्षिका ने प्रधानाचार्या से इस बात की शिकायत की। प्रधानाचार्या ने निधि को अपने कमरे में बुलाया।
"मे आई कम इन मैडम?"
निधि ने प्रधानाचार्या के कमरे के दरवाज़े पर पहुंच कर पूछा।
"येस, कम इन।"
"मैम! आपने मुझे बुलाया था।"
"हां, बैठो।"
मैम ने आज्ञा दी। निधि एक कुर्सी पर बैठ गयी। मैम कुछ पलों तक उसे अपलक देखती रही।
"तुम्हारे बारे मे शिकायत आयी है कि तुम इंटरवल के बाद वाले पीरियड को मिस करती हो?"
"यस मैडम!"
निधि ने बेहिचक स्वीकार कर लिया। मैडम उसकी स्वीकारोक्ति से हतप्रभ हुयी।
"बेटे! तुम एक अच्छी स्टूडेंट हो। क्यों करती हो ऐसा?"
"मैम! इंटरवल मे सारे बच्चे खाना खाने के बाद तमाम तरह की गंदगी स्कूल ग्राउंड में फैला देते हैं। मैं उसे साफ करती हूं। इसमें मेरा पीरियड मिस हो जाता है।"
मैम उससे प्रभावित हुयी।
"लेकिन बेटे ये तुम्हारा काम नहीं। इस काम के लिये यहां कर्मचारी हैं।"
"जानती हूं। मगर कर्मचारी अपने समय पर आयेगा। तब तक क्या स्कूल को गंदा रहने दिया जाय। जब हमारे देश के प्रधानमंत्री हाथ मे झाडू लेकर सफाई कर सकते हैं तो मैं क्यों नहीं। मैं सोंचती हूं, मेरे इस काम से शायद मेरे साथियों मे ये चेतना आये कि अपने आस-पास के वातावरण को साफ रखना चाहिए।"
मैम अपनी कुर्सी से खड़ी हो गयीं। निधि के पास आयीं और उसका कंधा थपथपाते हुये बोली-
"शाबाश निधि! तुम बहुत आगे जाओगी।"
आज निधि उसी विद्यालय में प्रथम वर्ष की छात्रा है। आज उसकी अपनी एक टोली है। इस टोली को प्रधानाचार्या की तरफ से कुछ विशेषाधिकार प्राप्त हैं। ये टोली मध्यांतर के समय पूरे विद्यालय में घूम घूम कर अपने संगी-साथियों को सफाई की प्रेरणा देती है।