पहला दिन
पहला दिन


निशा का घर पर रहते हुए पांचवा दिन था। पूरे देश में कोरोना के चलते लॉक डाउन का एलान हो चुका था। निशा ने सोचा बुरे फंसे अब क्या करूंगी इक्कीस दिन। निशा एक सरकारी विभाग में सीनियर पद पर कार्यरत थी और उसका बहुत व्यस्त दिनचर्या रहती थी। सुबह जल्दी उठना खाना बनाना बेटी को कॉलेज भेजना फिर ऑफ़िस के लिए तैयार होना। पिछले पच्चीस सालों से उसकी यही दिनचर्या थी साँस लेने की भी फ़ुरसत नहीं थी। जिंदगी कैसे गुजर गई पता ही नहीं चला। कॉलेज बंद होने से बेटी भी बहुत परेशां थी।
"मम्मी कैसे काटेंगे ये दिन बिना काम के क्या करेंगे सारा दिन "बेटी परेशां सी बोली। खैर लॉक डाउन के पहले दिन दोनों आराम से सोकर उठे। कोई जल्दी नहीं थी कहीं जाना नहीं था। निशा नीचे उतर कर आई और अपने लिए चाय बनाई। आराम से चाय पी। फिर उसकी नज़र कोने में रखे हुए तानपुरे पर गई। अरे ये तो बड़ा अच्छा मौका है चलो अभ्यास करते है। वो उठी और तानपुरे के स्वर छेड़ दिए। पता नहीं कितनी देर वो संगीत में खो गयी। कितना सुखद एहसास था। जैसे ताज़ा महसूस कर रही थी वो अपनेआप को वो। तभी बेटी आ गई और बोली "अरे मम्मी आप तो बहुत अच्छा गाती है "अपनी ऑडियो बनाये ना। निशा को बहुत अच्छा लगा। बारह बज गए और पता ही नहीं चला। फिर दोनों ने नहा लिया और टीवी देखा। कोरोना से सम्बंधित समाचार आ रहे थे दुनिया भर के। दोनों ने अपनी पसंद का खाना बनाया और खाने बैठे। "कितने दिन हो गए साथ में खाना खाये हुए न "बेटी बोली। तीन बज गए थे। थोड़ी देर के लिए निशा सो गयी। फिर पांच बजे उठकर चाय पी। फिर दोनों पिक्चर लगा कर बैठ गए। पूरा दिन कैसे निकल गया पता ही नहीं चला। निशा और उसकी बेटी के लिए यह बहुत सुखद संयोग था की दोनों को एक साथ रहने का अवसर मिला था ।