फैसला
फैसला
ये मेरे विचार हैं कि जिंदगी में खुद को इतना कमजोर मत होने दो कि अपने लिए कोई फैसला नहीं कर सकते हो ।या ताकना पड़े कि ये कोई फैसला कर दे तो मैं कुछ करूं।
कम से कम खुद को तो इतना हक दो ।
लेकिन याद रहे खुद का फैसला खुद को नहीं काटना चाहिए।
ये मेरे साथ हुआ था कि बारहवीं कक्षा के बाद सभी ने कह दिया कि तू होशियार लड़का है साइंस की पढ़ाई कर ।अब लोगों के कहने पर के तो ली लेकिन खुद की रुचि हिंदी साहित्य में थी तो दो साल बर्बाद करने के बाद हिंदी साहित्य का चयन किया और एक खूबसूरत आगाज के बाद मैंने साहित्य में 90 अंक प्राप्त किए।
क्योंकि वो खुद का फैसला था और दिल कभी झूठ नहीं बोलता है।