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Rashmi Nair

Others

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Rashmi Nair

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पागल कौन

पागल कौन

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   श्वेता अपनी छोटी बच्चीको लेकर बाजार निकली। बाजार में पहुँचेने पर वो एक दुकान पर रुकी और जरुरत की सारी चीजों की एक पर्ची दुकानदार के हाथ में थमा दी । दुकानदार एक-एक सामान निकाल कर देता जा रहा था और वो उनकी एक्सपायरी डेट देख रही थी । अचानक एक हुल्लड उठी बहुत शोरगुल होने लगा ।पर वो अपने ही काम में व्यस्त थी ।

   कुछ आवारा किस्म के लोगों से बचने के लिये एक पागल सा आदमी दौड़ा चला जा रहा था। उसके पीछे कुछ बच्चे और गली के आवारा उसका पीछा करते हुए काफी दूर से आ रहे थे । शहर की आपा धापी में किसी का ध्यान इस तरफ गया ही नहीं सब अपने में व्यस्त थे । किसीके भी पास आसपास क्या हो रहा है ये देखने की भी फुरसत नहीं थी । 

  वो पागल बेचारा,मैले कुचैले फटे पुराने कपड़ों में बीच बजार में उनके चंगुल में फंस गया । सबने उसे घेर लिया । खुद को बचाने की कोशिश भी कर रहा था और कुछ उलुल-जुलुल हरकतें भी किये जा रहा था , ,पर उस पर तरस कौन खाता ? "सब उसे चिढ़ाये जा रहे थे । बोले "जा.. जा.. आया बड़ा ,पागल भी कभी कहता है क्या मैं पागल हुँ ? न जाने किस सरफिरे ने एक पत्थर उठाकर दे मारा पर उसका निशाना चूक गया। इसकी देखा देखी उसके दोस्तों ने भी पत्थरबाजी की ।इसमें एक पत्थर बड़े जोर से उसे लगा और उसके कपाल से खून बहने लगा जिसे देख कर श्वेता की बेटी की डर के मारे चीख निकल गई जिसे सुनकर श्वेता घबराई और उसकी तरफ मुड़कर उसने पूछा "क्या हुआ बेटा ?"

" माँ, देखो तो उस गरीब आदमीको सारे मार रहे हैं।"उसने सामने भीड़ की तरफ इशारा करते हुए कहा । श्वेता ने वहाँ देखा तो सचमुच लोग मारे जा रहे थे । उसे भी बहुत बुरा लगा । गुस्सा भी आया पर समझ में नहीं आया कि वो क्या करे? उसे उस गरीब पर दया तो आ रही थी पर वो बच्चीको अकेली छोड़ कर जा भी नहीं सकती ।अगर जाती तो उसकी बच्ची और उसको भी खतरा होता । उसने दो-चार लंबी सांसे ली । 

  फिर ठंडे दिमाग से सोचा तब उस हालात से निपटने की एक तरकीब उसके दिमाग में आई उसने वहीं से अपने मोबाईल से पुलिस को सूचना दे दी । कुछ ही देर में पुलिस आई, पागल को उनके चंगुल से छुड़ा कर अस्पताल में भरती करने दो सहायको के साथ भेज दिया। सारे आवारों को वैन में डालकर थाने ले गई । जिसे देख श्वेता को राहत मिली । अपनी खरीददारी करके वो बच्चीके साथ सही सलामत घर वापस आई । 

 



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