ऑनलाइन प्यार
ऑनलाइन प्यार
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आज सुप्रिया बहुत खुश थी नए कॉलेज जाने की उत्सुकता जो थी। गांव से अकेले शहर में होस्टल में रहना नए दोस्त बनाने की उत्सुकता भी थी। सुप्रिया भी होस्टल के दोस्तों की तरह होती गयी। सुप्रिया की एक सहेली ने कहा अरे तेरे पास स्मार्ट फ़ोन नहीं है, फ़ेसबुक और वाट्सअप के बिना कैसे रहेगी होस्टल में, सुप्रिया ने कहा हां कुछ दिन बाद लेने वाली हूं।
कुछ दिन बाद सुप्रिया का स्मार्ट फ़ोन आ गया, उसकी सहेलियों ने फेसबुक पर आई डी बना दी, सुप्रिया को ये नई डिजिटल दुनिया अच्छी लगने लगी। धीरे धीरे उसे मोबाइल की आदत सी पड़ गयी, पर अभी भी गांव की मासूमियत बाकी थी क्योंकि उसकी सहेलियों की तरह उसने कभी किसी लड़के से बात नहीं कि थी। पर फेसबुक पर हो और लड़के से बात न हो ये तो आज के समय में असम्भव लगता है। उसी के कॉलेज के एक लड़के से उसने बात शुरु की, धीरे धीरे रोज बातें होने लगी। सुप्रिया को कब उसकी आदत सी पड़ गयी उसे पता ही न चला। जब कभी वो बात नहीं करता तो सुप्रिया रोने लगती। उसकी सहेलियाँ उसे कहती यार हम तो कई लोग से बात करते हैं तू क्यों एक लड़के के पीछे रोती है। सुप्रिया को समझ न आता कि क्या करे कभी कभी लगता शायद ये सोशल साइट्स जॉइन करके बड़ी गलती कर दी लेकिन कभी उसे लगता कि शायद वो उससे सच्चा प्यार करता है। जैसा वो कहता वैसा ही वो करती उसे डर था कि कहीं उसकी बात न मानने पर वो उसे छोड़ न दे। सुप्रिया ने जैसे अपना अस्तित्व ही खो दिया था। लगता ही नहीं था कि ये वो सुप्रिया है जो एक उद्देश्य लेकर आई थी। आज उसने कॉलेज में एक खूबसूरत लड़की के साथ अपने तथाकथित प्यार को देखा। वापस आकर वो बहुत रोई उसने अपने आप से वादा किया अब अपने अस्तित्व को किसी के लिये मिटने नहीं दूंगी।