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Dhan Pati Singh Kushwaha

Children Stories Inspirational

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Dhan Pati Singh Kushwaha

Children Stories Inspirational

नशामुक्त समाज की ओर

नशामुक्त समाज की ओर

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कक्षा के कुछ विद्यार्थियों को आभासी बैठक (वर्चुअल मीटिंग) के माध्यम से जुड़ना और अपनी जिज्ञासा को समाधान के लिए रखना और अपने विचारों को व्यक्त करना , इन सब कार्यों में उन्हें एक आनंद की अनुभूति होती थी । उनका यह कहना था कि हम आपस में बात करके बहुत सारी समस्याओं पर चिंतन करते हुए अपने विचारों को भी व्यक्त कर पाते हैं और इससे हमें अपने व्यक्तित्व को निखारने में काफी मदद मिल रही है। अब बहुत सारे बच्चे नियमित रूप से समय से ही आभासी बैठक (वर्चुअल मीटिंग )के माध्यम से उड़ जाते हैं। इसी क्रम में लगभग सारे बच्चे आज की आभासी बैठक जुड़ गए । सभी ने एक दूसरे का औपचारिक अभिवादन करने और कुशल - क्षेम के उपरांत आज के विशेष दिन छब्बीस जून, जिसे विश्व नशा मुक्ति दिवस रूप में मनाया जाता है, कोई आज के विचार विमर्श के लिए चुनने का निर्णय लिया।


हर वर्ष 26 जून को नशा मुक्ति दिवस लोगों को नशे के दुष्परिणामों से आगाह करने के लिए और उस के हानिकारक प्रभावों से बचने के लिए मनाया जाता है। आज बहुत सारे व्यक्ति नशे के शिकार होकर तनाव ,अवसाद ,सिर दर्द माइग्रेन और इस प्रकार की अन्य मानसिक और शारीरिक समस्याओं से पीड़ित हो रहे हैं । नशे की तस्करी से दुनिया के विभिन्न देश विभिन्न क्षेत्र प्रभावित हो रहे हैं । नशे के तस्करों के बीच में होने वाले खूनी संघर्ष आतंकवाद को बढ़ावा देता है। इस प्रकार नशा एक विशेष क्षेत्र में ही नहीं बल्कि पूरे विश्व में एक बहुत बड़ी समस्या के रूप में विश्व के समक्ष खतरा बढ़ाने में एक बहुत बड़ी भूमिका निभाता है। विश्व नशा मुक्ति दिवस मनाने के पीछे एक ही उद्देश्य है कि लोग नशे के भयावह परिणामों को जाने और अपने आप को किसी भी प्रकार के नशे से दूर रहे नशे की गिरफ्त से बचाने के जागरूकता अभियान के साथ-साथ नशे के जाल में फंस चुके लोगों के जीवन को धरने के लिए विदिशा में क्या-क्या कार्य किए जा रहे हैं और क्या क्या कदम उठाया जा सकते हैं और इसके बारे में भी विचार-विमर्श होता है। शराब और धूम्रपान नशे के दो इसी प्रकार के नशे हैं जिनसे ज्यादातर लोग प्रभावित हो रहे हैं । धूम्रपान के कारण लोगों में फेफड़े और श्वसन तंत्र से संबंधित अनेक बीमारियां होती हैं जो उनके लिए जानलेवा साबित होती हैं। इसी प्रकार शराब का प्रयोग करने से लोगों के किडनी लीवर को क्षतिग्रस्त हो जाते हैं जो उनके असमय मृत्यु का कारण बनते हैं और परिवार को परिवार को आर्थिक विपन्नता स्थिति में ले जाने का काम करते हैं।


उसी के संबंध में अपने विचार प्रकट करते हुए श्रवण ने सभी को बताया कि हम सब जानते हैं निशा हमारे धन तन और मन तीनों पर प्रतिकूल असर डालता है । नशा करने वाला व्यक्ति अपने खून पसीने की कमाई से अर्जित धन को नशा करने में व्यय करता है तो यह वह अपनी गाढ़ी कमाई में आग लगाकर अपने परिवार और समाज की सुख शांति को नष्ट कर, अपने स्वास्थ्य का विनाश करते हुए, अपनी और अपने कुल की प्रतिष्ठा पर कालिख पोतता है। हमने अपनी अपनी पाठ्य पुस्तकों में जिस तरीके से धड़कता है और प्रार्थना सभा ने भी इस बारे में हमारे विद्यार्थी साथियों और अध्यापक अध्यापिका ने अपने विचारों को व्यक्त करते हुए हमें जो बताया उसको संक्षिप्त रूप में इस प्रकार रखा जा सकता है कि अधिकांश लोग नशा शौक में, अपनी शान के प्रदर्शन में या किसी दुख होने का बहाना बनाकर इसकी शुरुआत करते हैं।ऐसा कहा जाता है कि पहली बार नशा आप लेते हैं फिर वह नशा आगे वाले नशे की खुराक लेता चला जाता है और यह क्रम नशा करने वाले को दयनीय आर्थिक स्थिति में पहुंचा देता है।नशे की लत पारिवारिक सुख-शांति, समृद्धि ,सामाजिक प्रतिष्ठा के विनाश के साथ-साथ नशा करने वाले की असमय मृत्यु पर खत्म होता है। नशे पर किए गए पिया के कारण उसका संपूर्ण परिवार आर्थिक और मानसिक विपन्नता की स्थिति पर पहुंच जाते हैं जिससे उस व्यक्ति का ही नहीं बल्कि उसके पूरे परिवार पर ही नशे की काली छाया छाई रहती और प्रतिकूल तरीके से प्रभावित करती है।


ओमप्रकाश ने अपने विचार रखते हुए कहा कि "नशे के प्रभाव में आ जाने से व्यक्ति अच्छे बुरे की समझ खो देता है । उसे अपनी नशे के अलावा कोई दूसरी चीज नजर ही नहीं आती। न ही अपने परिवार की सुख शांति, न ही अपने बच्चों का भविष्य, न ही अपने कुल परिवार की प्रतिष्ठा ,वह तो केवल बस नशा - नशा और नशा के बारे में ही सोचता है। वह लोगों का विश्वास खो देता है और लोगों के बीच में उपहास का कारण बनता है। यदि उसको कोई दूसरे के दुष्प्रभावों के बारे में समझाने का प्रयास करता है तो वह समझने के बजाय उल्टा उसी को समझाने लगता है।"


रीतु ने अपनी बात को सबके बीच रखते हुए कहा कि "कुछ लोगों का ऐसा मानना है कि जो व्यक्ति नशे का आदी हो जाता है वह फिर नशा नहीं छोड़ सकता क्योंकि अगर उसे नशा मुक्ति केंद्र ले जाया जाता है तो केंद्र में तो उसका अनुसार नशा छूट जाता है लेकिन जब वह केंद्र से घर पर वापस आता है तो फिर नशा शुरू कर देता है।मगर मेरा यह मानना है कि एक व्यक्ति का संकल्प दृढ़ है उसकी इच्छा शक्ति मजबूत है और उसे अपने अपने परिवार के भले बुरे का बोध हो जाता है तो अपनी दृढ़ इच्छाशक्ति के सहारे वह नशे को हमेशा-हमेशा छोड़ सकता है। और बहुत सारे ऐसे लोग हैं जिन्होंने नशे से अपने को पूरी तरह मुक्त कर लिया है। हममें से बहुत से बच्चे अपने माता-पिता के लाड़ले होते हैं ।व्यक्ति नशे में भी अपने बच्चे के प्रति प्यार प्रदर्शित करता है तो कुछ बच्चे भी अपने परिवार के नशा करने वाले व्यक्तियों को अपने बाल-सुलभ चेष्टा से हट करके उसे विचारों को स्थाई रूप से प्रभावित कर नशे से मुक्ति प्रदान करते हैं। तो आज आवश्यकता है कि हम सब नशे के प्रति एकजुट होकर समाज में नशे के दुष्प्रभावों से लोगों को परिचित करवाकर उन्हें जागरूक करने की। हम सब अपने समाज को नशा मुक्त कर एक आदर्श समाज निर्माण में अपना योगदान करें। हमारी इच्छा शक्ति मजबूत है तो हम इस पुनीत लक्ष्य को लेकर कृत संकल्पित होते हैं और हमें अपने कार्य में सफलता अवश्य मिलती है ।आइए हम सब यह संकल्प लें कि हम नशे के प्रति लोगों को जागरूक करते रहेंगे और अपनी पूरी शक्ति के साथ समाज को नशे से मुक्त बनाने में अपनी भूमिका निभाते रहेंगे।"


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