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Rashmi Trivedi

Others

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Rashmi Trivedi

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नियति - भाग 5

नियति - भाग 5

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अयान की पार्टी को अपने ज़िंदगी के सफ़र का एक बुरा दिन समझकर नियति फिर अपने रोज़मर्रा की ज़िंदगी में लौट आयी थी। कई दिनों तक सब कुछ ठीक चलता रहा।


एक इतवार आकाश को अयान का कॉल आया, वो स्विमिंग क्लब जा रहा था, आकाश भी उसके साथ स्विमिंग के लिए चला गया। नियति ने आकाश से कहा था, "आज शाम कही बाहर चलेंगे, तो तुम जल्दी आ जाना, मैं खाना भी नही बनाऊँगी, हम बाहर ही कही खा लेंगे"। आकाश को भी नियति का प्लान अच्छा लगा था और उसने भी हामी भर दी थी।


शाम को नियति तैयार होकर आकाश का इंतज़ार करने लगी। जब बहुत देर बाद भी आकाश घर नही आया तो उसने उसे कॉल किया।


आकाश - अरे नियति, अच्छा हुआ तुमने कॉल कर लिया, अभी मैं जस्ट तुम्हें ही कॉल करने वाला था। देखो, मैं ज़रा देर से आऊँगा आज,तो तुम मेरा खाने के लिए भी इंतज़ार मत करना।


नियति - आकाश, तुम फिर भूल गए???हमने क्या डिसाइड किया था, आज हम शाम को कही बाहर जाएंगे और आते हुए डिनर भी बाहर ही करेंगे। मैं तो रेडी होकर तुम्हारा इंतज़ार कर रही हूँ कबसे!!!


आकाश - ओह हाँ , मैं तो उस बारे में भूल ही गया था। अच्छा अब सुनो ना, आज रहने देते है, हम फिर कभी चलेंगे। वो क्या है ना, क्लब के कुछ दोस्त मिलकर कही टाइम स्पेंड करना चाहते थे, तो प्लान बना की अयान के फ़ॉर्म हाउस पर जायेंगे। अब मैं भी हाँ कह चुका हूँ। समीर, विक्रम सारे दोस्त रेडी है यार, अब मना कर दूंगा तो सबका मूड़ ऑफ़ हो जायेगा। हम लोग फिर कभी चलेंगे ना नियति!!!


नियति - अयान के साथ??? इसका मतलब आज तुम फिर ड्रिंक करके आओगे?? सबके मूड़ का ख़्याल है तुम्हें और मेरे मूड़ का क्या??


आकाश - नियति प्लीज,आज संडे है यार, एक दिन तो अपनी मर्ज़ी से जीने का सबका हक बनता है। अच्छा, आय प्रॉमिस यू, ज्यादा नही पियूँगा। अब तो ठीक है ना???


नियति - अच्छा ठीक है। लेकिन अपनी बात पर अमल करना और कोशिश करना की जल्दी घर आ जाओ।


आकाश - अच्छा ठीक है, अब चलो, रखता हूँ। तुम खाना खाकर सो जाना, मेरे पास एक्स्ट्रा चाबी है घर की!!


आकाश के कॉल के बाद नियति एकदम उदास हो गयी। बाहर ना जाने पाने का उसे दुख नही था, उसके फ़िक्र की वजह कुछ और थी। एक तो अयान का नाम सुनते ही उसको वो पार्टी वाला दिन याद आ गया, ऊपर से आकाश के ड्रिंक करने की लत बढ़ती ही जा रही थी। नियति को डर था, अगर ऐसे ही वो अयान जैसे दोस्तों के साथ रहा तो उसकी यह शराब पीने की आदत कही बढ़ ना जाएं।


स्टेटस सिंबल के नाम पर ड्रिंक्स के अलावा भी कई बुरी आदतों के बारें में नियति ने सुन रखा था। रईसजादों के फ़ॉर्म हाउस में होने वाली पार्टियों के बारें भी उसे पता था। आकाश में आये इस बदलाव से वो डर रही थी। आजकल उसकी बातों में भी स्टेटस, पैसा यही सब सुनने में आता था।


नियति उस दिन अपने ही विचारों में गुम अपने बेड़रूम में लेटी थी। अकेली के लिए उसने कुछ खाने के लिये भी नही बनाया और नींद का तो कही नामोनिशान ही नही था। उसने लेटे लेटे घड़ी की ओर देखा, रात के ग्यारह बजने वाले थे, उसने आकाश के मोबाइल पर मैसेज कर कब तक आओगे यह पूछा। बहुत देर तक तो कोई रिप्लाय नही आया, फिर एक मैसेज आया, वो भी बस इतना ही कि अभी देर लगेगी, तुम सो जाओ।


वो उठी कमरे से बाहर आई, रसोईघर में गयी। अपने लिए एक कॉफ़ी बनाकर वो ड्रॉइंग रूम में आई, सोफ़े पर बैठकर वो कॉफ़ी पीते हुए फिर अपने विचारों में खो गई।


वो सोच रही थी, वक़्त के साथ साथ इंसान कितना बदल जाता है। यह वही आकाश है, जो कॉलेज में शराबबंदी विषय पर भाषण दे चुका था, जो नशे के ख़िलाफ़ जागरूकता अभियान चलाता था। आज उसी आकाश को एक दो ड्रिंक्स लेना स्टेटस सिंबल लगने लगा है। अभी तो शादी को एक साल भी पूरा नही हुआ था और आकाश में आते यह बदलाव नियति को डिस्टर्ब कर रहे थे।


एक ख़याल यह भी आया उसे, शायद वो कुछ ज्यादा ही सोच रही है। हो सकता है, लेकिन इंसान अपने विचारों को कब काबू कर पाया है और अक्सर देखा गया है कि बुरे ख़याल तो सबसे पहले मन में घर कर जाते है।


उस रात आकाश देर रात डेढ़ बजे घर आया,नियति का डर सच साबित हुआ दिख रहा था। वो नशे में चूर था, उसने इस हालत में ड्राइव कैसे किया होगा यह सोच नियति की रूह कांप गयी, अगर कुछ.... नही मुझे ऐसा नही सोचना चाहिए, इस हालत में उससे क्या बहस करुँगी, अब सुबह ही बात हो पाएगी, बस यही सोचते सोचते नियति आकाश को कमरे में ले गयी। उसे बेड पर लिटाया और ख़ुद भी सोने की कोशिश करने लगी, लेकिन आज भी नींद उससे कोसों दूर थी।


सुबह होते ही वही नियति का समझाना, आकाश की वही पुरानी दलीलें, एक ज़ोरदार बहस और उसके बाद एक लंबी ख़ामोशी......


अब तो हर दो तीन हफ़्ते बाद यही सिलसिला चल पड़ा था।


फिर भी नियति अपने रिश्ते को बचाने के लिए पूरी कोशिश कर रही थी। उसने मम्मी-पापा से भी कुछ नही कहा था,आख़िर क्या कहती वो?? अपनी पसंद पर उसको कितना नाज़ था और अब मम्मी पापा से नज़रे मिलाने की हिम्मत उसमें नही थी।


देखते देखते शादी को एक साल हो गया। अब तो नियति ने आकाश की शराब पीने की आदत को जैसे एक लत समझ अपना लिया था। शादी के सालगिरह वाले दिन नियति चाहती थी, वो दोनों पूरा दिन साथ में बिताये, घूमे-फिरे, लेकिन आकाश का कुछ और ही प्लान था। वो अपने कुछ दोस्तों को घर पर बुलाना चाहता था।


आकाश - मैं हर किसी के यहाँ जाकर पार्टी कर आता हूँ, आखिर कभी मुझे भी तो सबको घर पर बुलाना चाहिए। हम दोनों फिर कभी चले जायेंगे बाहर। खाने-पीने की टेंशन तुम मत लेना, वो सब मैं बाहर से अरेंज कर लूँगा। तुम बस घर का हुलिया थोड़ा ठीक कर लेना।


बहस करना तो नियति ने ख़ूब पहले ही छोड़ दिया था और उसको भी घर पर किसीको बुलाने में कोई ऐतराज़ नही था, लेकिन एक शख्स था जिससे उसे ऐतराज़ था और वो था अयान। वो नही चाहती थी कि अयान उनके घर आये।


नियति - आकाश, वैसे शाम को कौन-कौन आएंगे घर पर??


आकाश - ज्यादा कोई नही, समीर और विक्रम आएंगे,ऑफ़ कोर्स उनके साथ उनकी वाइफ भी आएंगी तो तुम्हें भी कंपनी हो जाएगी। एक दो दोस्त और रहेंगे बस...


नियति - और...और..वह अयान, वो तो हमारे घर नही आयेगा, है ना??


आकाश - अरे, वह तो सबसे पहले पहुँच जायेगा देखना। जबसे उसे घर पर आने की बात की है वह बहुत एक्ससायटेड लग रहा था। तुम्हारी तो बहुत तारीफ़ करता है वह।


नियति - आकाश, प्लीज् तुम अयान को मना कर दो। मुझे वह इंसान बिल्कुल पसंद नही है।


आकाश - नियति, तुम फिर शुरू हो गई। अरे यार, कितनी बार समझाऊँ तुम्हें, वह ऐसा इंसान नही है, जैसा तुम उसे समझ रही हो। वह बस थोड़े मॉडर्न ख़यालों का है, सबसे फ्रीली बात करता है बस और कुछ नही...। अब आज अपनी शादी की सालगिरह का दिन है, कम से कम आज तो यह सब बहस मत करो।


फिर क्या था, नियति ने एक बार फिर चुप रहना ही ठीक समझा।

उसने दिनभर बड़ी मेहनत से घर की साफ़ सफाई की। घर को बहुत अच्छे से सजाया। बाहर से आये खाने को अच्छे से टेबल पर सजा दिया। ड्रिंक्स की बोतलें देख उसका मन उदास हुआ जा रहा था। अभी तक तो घर के बाहर ही यह सब होता था, आज से यह सब उसके घर भी होने वाला था। उसने कभी सोचा भी नही था, यह दिन देखना पड़ेगा।


अपने काम ख़त्म कर वह तैयार होने लगी, तब आकाश की आवाज़ उसके कानों में गूंज रही थी, "कुछ भी उल्टा सीधा मत पहन लेना,कुछ अच्छा सा पहनना जिससे लगे कि तुम मेरी वाइफ हो", शादी से पहले तो कभी आकाश ने उसके पहनावे पर ध्यान नही दिया था, फिर अब...।


खैर, वक़्त कहाँ एक सा रहता है, हम तो फिर भी इंसान है। ज़रूरी नही, कल जो जैसा था आज भी वैसा ही हो..., अपनी ही बातों में खोई नियति ने ख़ुद से कहा, चल, अब यह सब बातें छोड़कर जल्दी से तैयार हो जा, चढ़ा ले एक मुखोटा चेहरे पर हँसी का....।


आकाश के सारे दोस्त घर पहुँच चुके थे, उसने सच ही कहा था, अयान तो सबसे पहले आ गया था। इतने दिन बीत गए थे उसकी और नियति के मुलाक़ात हुए लेकिन उसकी आँखों में नियति के लिए जो भाव थे, वह आज भी बिल्कुल वैसे ही थे। उसकी वासनाभरी नजरों से जितना हो सके उतना बचने की कोशिश में नियति लगी हुई थी। लेकिन वह किसी ना किसी बहाने से नियति से बात करते ही जा रहा था।


नियति अपने ही घर में एक कोने से दूसरे कोने में जाकर कैसे उन नज़रों से बचने की कोशिश करूँ, इसी उधेड़बुन में थी। आकाश तो अपने दोस्तों के साथ ही बिज़ी था। नजाने क्यूँ नियति को लगने लगा था वह जान-बूझकर उसको नज़रअंदाज़ कर रहा है। आखिर क्यूँ उसे अपनी ही पत्नी की बातों पर विश्वास नही था।


नियति कुछ लेने के लिए रसोईघर में आई, जैसे ही वह मूड़ी, अयान उसके सामने खड़ा था। नियति तो जैसे बर्फ़ सी जम गई थी उसे देखते ही, "आपको कुछ चाहिए था??", बड़े ही सीधे शब्दों में उसने उससे पूछा।


अयान - "चाहिये तो था, पर उसके बारें हम बाद में बात करेंगे, पहले आप बताइये, मुझसे कोई खता हो गयी है क्या?? आप हमेशा मुझसे दूर क्यूँ भागती है?? जब भी आपसे बात करने की कोशिश करता हूँ, आप कोई ना कोई बहाना बना देती है। अब देखिए ना, आप सबसे कितने प्यार से बात कर रही थी अभी और मुझसे?? मेरी ओर तो आप देखना भी पसंद नही करती, क्यूँ है ना??? "


नियति - "नही, ऐसी तो कोई बात नही है। चलिये, बाहर चलते है, आकाश शायद मुझे ढूंढ रहे होंगे। "


अयान - "चलेंगे, इतनी भी क्या जल्दी है, मेरी बात अभी पूरी नही हुई है। "


इतना कहकर वह नियति के एकदम करीब आ जाता है,नियति घबराहट में पीछे की ओर चलने लगती है और रुक जाती है।


अयान - "देखो नियति, मुझे घूमा-फिराकर बात करना पसंद नही है। जबसे तुम्हें देखा है, रातों को हररोज़ सपनों में तुम्हें ही देखता हूँ। लाख कोशिशों के बावजूद तुम्हें देखने से ख़ुद को रोक नही पाता हूँ। तुम मुझे बहुत अच्छी लगती हो औऱ जानती हो, जो मुझे अच्छा लगता है उसे मैं पाकर ही रहता हूँ, किसी भी हाल में। यू नो, उस दिन पार्टी में, येल्लो साड़ी में तुम क्या कमाल........"


नियति - "बस कीजिये,बहुत हुआ अब। आप अपने आप को समझते क्या है, मेहमानों का लिहाज़ कर मैं आपको कुछ नही कह रही हूँ, आप अभी इसी वक़्त मेरे घर से चले जाइये, वरना मैं अभी चीख़ कर सबको यहाँ बुला लुंगी। जाईये यहाँ से.... "


नियति की बात सुन अयान चुपचाप वहाँ से निकल गया, लेकिन जाते वक़्त वह अपनी आँखों से बहुत कुछ कह गया। नियति ने अभी तक जिस बांध को रोक रखा था, वह अब टूटने को था। वह दौड़कर अपने कमरे गयी और दरवाज़ा अंदर से लगा लिया, लाख कोशिशों के बावजूद वह अपने आँसू रोक नही पायी और फूटफूटकर रोने लगी।


थोड़ी देर में उसके रूम के दरवाज़े पर दस्तक हुई। उसने कुछ संभलते हुए दरवाज़ा खोला, आकाश था, उसने नियति को देख पूछा,"क्या हुआ??? तुम ऐसे अंदर क्यूँ आकर बैठ गयी???


नियति बहुत गुस्से में थी, "पूछ तो ऐसे रहे हो, जैसे मैं तुम्हें बताऊँगी और तुम मेरा यकीन कर लोगे??? इतना कहकर वह बाहर चली गयी। आकाश को कुछ समझ नही आया, आखिर हुआ क्या है!! वह भी मेहमानों को देखने बाहर आ गया। अब धीरे धीरे मेहमान जाने लगे थे।


सबके जाने के बाद नियति चुपचाप अपना काम करती जा रही थी। आकाश उससे बार बार पूछता रहा, लेकिन वह फिर भी चुप रही और अपना काम करती रही।


आकाश उसके पास आया औऱ उसे फिर से प्यार से पूछने लगा, अबकी बार नियति रोते हुए आकाश की बाहों में समा गई। उसने आकाश को सारी बात बताई। उसकी बात सुनकर आकाश ने उसे भरोसा दिलाया कि वो अयान से ज़रूर बात करेगा। उसे परेशान होने की ज़रूरत नही है।


एक बार फिर अपने आकाश को पाकर नियति बहुत दिनों बाद चैन की नींद सो पायी थी उस दिन...... लेकिन क्या अब सब कुछ ठीक हो जाएगा नियति के ज़िंदगी में????


क्रमशः .........



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