नीलिमा

नीलिमा

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उसकी आँखें कुदरत ने कुछ ऐसा बनाया था कि मानो लगता था कि असंख्य हिरणी के आँखों को एक साथ बैठा दिया गया हो। साथ ही उनमें ऐसा आकर्षण था कि किसी को भी खींच कर मानो खुद में समेट ले। 

उसके होंठ जब खुलते थे तो प्रतीत होता था मानो अनगिनत कलियाँ एक साथ पल्लवित हो गयी हों। 

उसके केशों को देखकर बस ऐसा प्रतीत होता था कि काले बादल छा गए हों। बस यूँ समझ लीजिए उसे देखने के लिए लोग कुछ भी करने को तैयार तक थे। वो जब मुस्कुराती थी तो ऐसा प्रतीत होता था कि मानो असंख्य कमलदल एक साथ खिल गए हों। 


साथ ही उस पर माँ शारदे का वरदहस्त रहता था। इस कारण ही तो वह अभी तक सहस्ररश्मि की तरह ही प्रकाशवान थी शिक्षा जगत में या यूँ कह लिया जाए कि शिक्षा जगत में उसकी कीर्ति कुछ इस प्रकार ही फैला थी जिस प्रकार सहस्ररश्मि की रश्मियाँ ऊर्जावान रहती हैं पूरे जगत में। 

इतने अधिक गुणों के होने के बाद भी उसमें रत्ती भर भी अहंकार व्याप्त नहीं था। ऐसी ही थी नीलिमा ।


 


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