नानी (चिड़िया की बच्ची)
नानी (चिड़िया की बच्ची)
'नानी हमको कहानी सुनाओ ना.. सुनाओ।' पाँच साल की इशु अपनी नानी से बड़े प्यार से बोलती है।
रमा जी अपनी बड़ी बेटी की बात सुनकर लाड लगाते हुए उसे गोद में लेते हुए कहती हैं कि - 'अच्छा बाबा ठीक है। कौन-सी कहानी सुनेगी मेरी रानी गुडिया?’
इशु बड़े ही उतावलेपन से रमा जी से कही -'नानी हमको तो चिड़िया और बढ़ाईवाली कहानी सुननी है आपसे सुनाओ ना....' सोना वो सुनेगी - नानी कहानी सुनाने लगी।
'एक दिन एक चिड़िया को एक चने का दाल मिला, और वो उस दाल को पाकर बहुत खुश हुई। वो उडती हुई अपने घोंसले में जा ही रही थी, कि अचानक उसके चोंच से चने का दाल गिरता है और एक लकड़ी के खूँटे में फँस जाता है। वो फिर दुखी होती है और उस दाल को उसमें से निकलवाने के लिए बढ़ाई के पास जाती है। लेकिन वो दाल निकालने से मना कर देता है और कहता है कि तुम्हारे एक दाल के लिए मैं लकड़ी के खूँटे को नहीं काटूँगा।
फिर वो सबसे पहले उस राज्य के राजा के पास जाती है और कहती है कि राजा बढ़ाई दाल नहीं निकाल रहा। उसे आप सज़ा दीजिए, लेकिन उसके लिए राजा भी मना कर देते हैं और इस तरह वह रानी के पास जाती है उसके बाद आग के पास, उसके बाद समुंदर के पास, उसके बाद हाथी के पास और सबसे अंत में नाग के पास जाती है उसे अपने मन के सारे दुखों को बता देती है और सबको सबक सिखाने के लिए बोलती है इस तरह अंत में राजा के कहने पर बढ़ाई लकड़ी के खूँटे का काट देता है और चिड़िया तुरंत अपने चने के दाल को लेकर उड़ जाती है।'
कहानी खत्म हो जाता है और इशु सो जाती है। रमा जी उसे देखती है और, हँसते हुए कहती हैं कि मेरी चिड़िया की बच्ची और उसके माथे को चूम लेती है।