नाम से ही है असली पहचान
नाम से ही है असली पहचान
शुभा ने अवकाश के बाद संस्था पहुँचकर अपना कार्य शुरू किया ही था, अधिकारी ने आवाज़ दी गंगाधर, थोड़ी देर में शुभा को पता चला, उसकी नई नियुक्ति हुई है, नाम था बालचंद आर्या। फिर एक सज्जन संस्था में आकर उसे ढूंढ रहे, कौन सा कार्य संभालते हैं बताया, पर नाम से हो गई गड़बड़ क्योंकि सभी उसे गंगाधर ही कहने लगे।
शुभा और बालचंद अधिकारी की कैबिन में थे, इतने में वे सज्जन आए , बालचंद को देखते ही, अरे बेटा।
अधिकारी : "नाम में क्या रखा है",यह गलत-फहमी रही हमारी नाम से ही है असली पहचान।