मुस्कान
मुस्कान
वह धीरे से उठी ' रसोईघर की सिंक का नल धीरे से खोला और सधे धीमे हाथों से बर्तन धो धोकर सजाती गयी ...दिल में डर समाया हुआ था कि कहीं आवाज़ सुनकर पास के कमरे मे पढ़ रहा छोटा बेटा रवि न आ जाए।
कोरोना संक्रमण के बाद से उसे कमजोरी बहुत आ गयी है तो दोनों बच्चों की सख्त हिदायत है कि वह झूठे बर्तनों को हाथ न लगाए पर पढ़ने वाले बच्चे हैं . आनलाइन कक्षाएं और न जाने क्या क्या ? फिर बच्चों से यह काम करवाना उसे भाता भी नहीं है ...
उसे थकान लग रही थी ' बर्तन धुल गए थे ' वह कमरे में आकर लेट गयी ' उसका दिल डरा हुआ था इतना तो वह कभी बचपन में शैतानी पकड़ी जाने पर अपने माता पिता से भी नहीं डरी थी ।
उसने लंबी सांस लेकर अपने को व्यवस्थित किया . एक मुस्कान उसके अधरो पर खिल उठी थी ... आज का डर ... अच्छा है।
