मुखौटा
मुखौटा
मानस शरण एक निपुण वक्ता माने जाते हैं। उनके भाषणों को सभी इतने ध्यान और शांति से सुनते हैं कि उस दरम्यान किसी सुई के गिरने की आवाज भी स्पष्ट सुनी जा सकती है। शब्दों के जादूगर मानस शरण श्रोताओं को सम्मोहित सा कर लेते। आज एक स्वयंसेवी संस्था के द्वारा विश्व बाल श्रम निषेध दिवस पर आयोजित कार्यक्रम में वे मुख्य वक्ता के रूप में आमंत्रित किये गये थे। सीमित श्रोताओं की उपस्थिति में कार्यक्रम सम्पन्न हुआ।
मानस शरण ने बाल श्रम पर तथ्यों और तर्कों के साथ हृदयस्पर्शी वक्तव्य दिया था। उनके विचार सुनने के बाद काफी देर तक लोग तालियाँ बजाते रहे। घर लौटकर उन्होने स्वयंसेवी संस्था से मिले स्मृति चिन्ह एवं फूलों के गुलदस्ते को टेबिल पर रखकर पानी लाने के लिए रघु को आवाज दिया।
एक ट्रे में पानी भरा गिलास रखकर चौदह वर्षीय रघु उनके समक्ष आया। पानी की एक घूंट मुँह में डालते ही वे वहीं फर्श पर मुँह का पानी उगल दिये और गुस्से से चिल्लाये - "कितनी बार कहा है तुम्हें मुझे फ्रिज का पानी दिया कर, एकदम चील्ड, लेकिन यह बात तेरे भेजे में क्यों नही घुसती ?"
रघु डर से थर थर कांपने लगा। वह दौड़कर अंदर गया और फ्रिज का पानी लेकर वापस लौटा। ठंडा पानी पीते ही मानस का गुस्सा भी ठंडा पड़ गया। वो रघु से टेबिल पर रखे गुलदस्ता और स्मृति चिन्ह को उठाकर कार्नर में बने रैक पर सजाने का हुक्म दिया।
रघु अभी भी डरा हुआ था। एक हाथ में गुलदस्ता और दूसरे में काँच के फ्रेम से बनी स्मृति चिन्ह उठाकर वह रैक की तरफ बढ़ा, तभी उसके नंगे पैर गीले फर्श पर फिसले और वह लड़खड़ाया। उसने संतुलन बनाने का भरपूर प्रयास किया तभी मानस जोर से चिल्लाया - "मोमेंटों सम्हाल .....।"
मानस की तेज आवाज से रघु घबरा गया और स्मृति चिन्ह हाथ से फिसल कर छन्न की आवाज के साथ फर्श पर गिरकर बिखर गया। मानस गुस्से से उठा और रघु की पिटाई करने लगा। रघु की चीख पुकार सुनकर मानस की पत्नी अंदर से दौड़ते हुए आई और मानस को समझाते हुए अपनी ओर खींची। वह बोली - "मार ही डालोगे क्या बेचारे को, इसके गरीब माँ बाप को खबर लगेगी तो इसका भी काम पर आना बंद हो जायेगा, फिर इतने बड़े घर में झाड़ू पोंछा कौन करेगा ?"
मानस हांफते हुए सोफे पर बैठ गया। वह रघु को घूरते हुए बोला - "गरीबों पर दया करना ही बेकार है, पढ़ाई लिखाई बंद कर घर में बेकार बैठा था, सोचे इसके परिवार को चार पैसे मिल जायेंगे लेकिन यह किसी काम का नहीं, गंवार ! क्या जाने उस मोमेंटो का महत्व ?"
रघु दर्द से कराहते हुए रोये जा रहा था। उसके आँसुओं से स्मृति चिन्ह पर उभरे अक्षर भीग गये, जिन पर लिखा था - बाल श्रम निषेध सम्मान।
