मुद्दों से क्यों पलट जाते हैं
मुद्दों से क्यों पलट जाते हैं
मुद्दों से क्यों भटक जाते हैं
चुनावी रण शुरू हो गया है। हर गली मोहल्ले में चुनाव की चर्चा है। एक महोत्सव सा हर गली मोहल्लों में मनाया जा रहा है हर लोगों में खुशी है। चारों ओर बस चुनाव के ही चर्चे हैं। टीवी को ऑन करते ही आपको चुनावी रैलियां दिखाई देंगे या चुनावी बिगुल।
आज शाम को मैं ड्राइंग रूम में बैठा आराम कर रहा था मैंने टीवी को ऑन किया देखा तो एक बड़े नेता की रैली का लाइव आ रहा था। नेताजी बड़े-बड़े भाषण कर रहा था नीचे बैठे हजारों दर्शक तालियां बजा रहे थे और हुटिंग कर रहे थे।
वह बेरोजगारों को रोज़गार देने का वादा कर रहा था मजदूरों को मजदूरी और गरीबों का मसीहा बनने का प्रयास कर रहा था। सर्वधर्म समभाव की विचारधारा प्रकट कर रहा था। महात्मा गांधी को बार-बार हथियार बना रहा था। शायद उसके दिल मैं जीतने की महत्वकांक्षी जाग रही होगी इसलिए वह इतनी बड़ी भीड़ को जुमला दे रहा था।
कुछ ही देर बाद पड़ोस से काका जी आ गए और बोले( मास्टर जी चुनाव का क्या हाल है?)
मैंने कहा "काका जी देखो नेताजी क्या बड़ी-बड़ी फेंक रहा है यही लोगों का मसीहा बनना चाह रहा है। जिसने कल तक दर्शन नहीं दिया वह आज इन लाखों दर्शकों का मसीहा बनना चाह रहा है।“
काका बोला” मास्टर जी! यह सब हाथी के दांत हैं। आज जो इस मंच से बात कर रहा है वह कल जीतने के बाद भूल जाएगा। आज जो वोट के लिए भाईचारे की बात कर रहा है। जो हिंदुस्तान में धर्मनिरपेक्ष की बात कर रहा है। कल हम सभी उसको हिंदू -मुसलमान नजर आएंगे। और वह हमारे बीच अलगाव पैदा करवाएगा।”
मैंने बीच में उनकी बात को काटते हुए
कहा” काका जी चुनाव के बाद यह अपने मुद्दों से क्यों भटक जाते हैं? क्या यह सभी भूल जाते हैं कि हमने उस समय लोगों को क्या कहा था?”
काका ने कहा "बेटा यह नेता है इनको सत्ता में बना रहना है इनके चुनावी मुद्दे कुछ और और राजनीतिक कुछ और होते हैं। इनको किसी की बेरोजगारी गरीबी से मतलब नहीं होता है इन्हें देश से मतलब नहीं होता है इनको अपनी खुद की सत्ता पर आसीन रहने से मतलब होता है।“
मैंने कहा "फिर यह रैलियों में ऐसे जुमले क्यों देते हैं”
काका बोला "बेटा इनका हथियार है यह भोली भाली जनता को अपने इन जंगलों में फंसाते हैं और फिर इनका शोषण करते हैं।“
देखो काका लोकतंत्र में जनता का खून चूसा जाता है। यह जोक की तरह चिपके हुए होते हैं सीट छोड़ने को मन नहीं करता है।
काका जी मेरे घर से उठ कर चले जाते हैं और मेरे मन में बार-बार यही ख्याल आता है। यह लोग मुद्दों से क्यों भटक जाते हैं। चुनाव के समय देश का विकास बेरोजगारी भाईचारा गरीबी निवारण की बात करते हैं परंतु चुनाव जीतने के बाद यह इन सब बातों को भूल जाते हैं ऐसा क्यों?
इसके प्रमुख कारण चुनाव में अपनाए गए भाईचारा हमारी शिक्षा आदि भी हो सकते हैं। यह चुनाव के समय हमारे साथ जो भाईचारा अपनाते हैं बाद में सब भूल जाते हैं। इसलिए साथियों यदि हमें मुद्दों क्या काम कराना है समझना होगा चुनाव में भाईचारा छोड़ना होगा। हर वोटर को शिक्षा अपना हथियार बनाना होगा।
क्योंकि जब हम अपने वोट का सदुपयोग सही ढंग से करेंगे तो निश्चित ही बदलाव संभव होगा। 21वीं सदी में हमें जागना होगा।